हाईकोर्ट ने 15 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती के मामले में ऐसे
अभ्यर्थियों की नियुक्ति रद्द करने के आदेश पर रोक लगा दी है, जिनको
नियुक्ति पत्र प्राप्त हो चुके हैं। इनकी नियुक्तियां प्रदेश सरकार ने 14 दिसंबर
2015 केआदेश से रद्द कर दी थी।
अंकित सिंह और चार अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल ने दिया है।
प्रकरण के अनुसार प्राथमिक विद्यालयों में 15 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए एक दिसंबर 2015 को विज्ञापन जारी किया गया था। बीईएलएड (बैचलर इन एलीमेंट्री एजूकेशन) डिग्री धारकोें ने भी भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। कोर्ट ने बीईएलएड डिग्री धारकों को भी प्रक्रिया में शामिल करने का निर्देश देते हुए कहा कि चयन प्रक्रिया इस याचिका के निर्णय के आधीन होगी।
इस दौरान चयन पा चुके कुछ अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी कर दिए गए। मगर कोर्ट का आदेश आने के बाद उनकी नियुक्तियों को एक दिसंबर 2015 को यह कहते हुए रद्द कर दिया गया कि बीईएलएड डिग्री धारकों को भी शामिल करने के बाद नियुक्ति पत्र जारी किए जाएंगे। याची के वकील अशोक खरे का कहना था कि बीईएलएड डिग्री धारक मुश्किल से सौ की संख्या में होंगे, ऐसी स्थिति में नियुक्ति रद्द करने का औचित्य नहीं है। कोर्ट ने 14 दिसंबर 2015 के आदेश पर रोक लगाते हुए प्रदेश सरकार और बेसिक शिक्षा विभाग से जवाब तलब किया है।
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अंकित सिंह और चार अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल ने दिया है।
प्रकरण के अनुसार प्राथमिक विद्यालयों में 15 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए एक दिसंबर 2015 को विज्ञापन जारी किया गया था। बीईएलएड (बैचलर इन एलीमेंट्री एजूकेशन) डिग्री धारकोें ने भी भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। कोर्ट ने बीईएलएड डिग्री धारकों को भी प्रक्रिया में शामिल करने का निर्देश देते हुए कहा कि चयन प्रक्रिया इस याचिका के निर्णय के आधीन होगी।
इस दौरान चयन पा चुके कुछ अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी कर दिए गए। मगर कोर्ट का आदेश आने के बाद उनकी नियुक्तियों को एक दिसंबर 2015 को यह कहते हुए रद्द कर दिया गया कि बीईएलएड डिग्री धारकों को भी शामिल करने के बाद नियुक्ति पत्र जारी किए जाएंगे। याची के वकील अशोक खरे का कहना था कि बीईएलएड डिग्री धारक मुश्किल से सौ की संख्या में होंगे, ऐसी स्थिति में नियुक्ति रद्द करने का औचित्य नहीं है। कोर्ट ने 14 दिसंबर 2015 के आदेश पर रोक लगाते हुए प्रदेश सरकार और बेसिक शिक्षा विभाग से जवाब तलब किया है।
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