किसी भी हाल में शारीरिक प्रशिक्षक शिक्षक किसी भी स्कूल के प्राचार्य के
पद पर बहाल नहीं किए जा सकते। मगर शिक्षा विभाग के बाबू की कृपा बनी रही तो
कुछ भी संभव हो सकता है। अधिकारियों की बदौलत वकीलों की वकालत चलती रहेगी।
शिक्षा विभाग में शिक्षित नहीं अशिक्षित लोगों की भरमार है।
न्यायमूर्ति अजय कुमार त्रिपाठी की एकलपीठ ने अजीत सिंह की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की और आवेदक की अर्जी खारिज कर दी। साथ ही कहा कि रोहतास के जिला शिक्षा अधिकारी को नियम-कानून का जरा भी ज्ञान नहीं है।
अदालत ने माध्यमिक शिक्षा के डिप्टी डायरेक्टर सहित डायरेक्टर को इस ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि डीईओ को नियम-कानून की जानकारी होनी चाहिए।
दरअसल, रोहतास जिले के सर्वोदय हाईस्कूल में शारीरिक प्रशिक्षक शिक्षक को कार्यकारी प्राचार्य बना दिया गया। कहा गया कि इस स्कूल में सबसे सीनियर शिक्षक होने के नाते इन्हें प्राचार्य पद का दायित्व सौंपा गया है। मगर इसको लेकर स्कूल के नियमित सहायक शिक्षक ने आपत्ति जताई। मामला डिप्टी डायरेक्टर के पास पहुंचा। इस पर डिप्टी डायरेक्टर ने शारीरिक प्रशिक्षक को पद से हटाने का आदेश दिया। साथ ही डीईओ से जवाब तलब किया।
आवेदक के वकील का कहना था कि प्राचार्य पद के लिए सभी जरूरी योग्यता होने के कारण प्राचार्य पद पर बहाल किया गया था। वहीं सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि शारीरिक प्रशिक्षक शिक्षक संवर्ग के तहत नहीं आते हैं। किसी भी स्कूल में प्राचार्य के पद पर उन्हें ही बहाल किया जा सकता है, जो शिक्षक संवर्ग से हों। अदालत ने आवेदक की ओर से दी गई दलील को नामंजूर करते हुए अर्जी को खारिज कर दिया।
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अदालत ने माध्यमिक शिक्षा के डिप्टी डायरेक्टर सहित डायरेक्टर को इस ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि डीईओ को नियम-कानून की जानकारी होनी चाहिए।
दरअसल, रोहतास जिले के सर्वोदय हाईस्कूल में शारीरिक प्रशिक्षक शिक्षक को कार्यकारी प्राचार्य बना दिया गया। कहा गया कि इस स्कूल में सबसे सीनियर शिक्षक होने के नाते इन्हें प्राचार्य पद का दायित्व सौंपा गया है। मगर इसको लेकर स्कूल के नियमित सहायक शिक्षक ने आपत्ति जताई। मामला डिप्टी डायरेक्टर के पास पहुंचा। इस पर डिप्टी डायरेक्टर ने शारीरिक प्रशिक्षक को पद से हटाने का आदेश दिया। साथ ही डीईओ से जवाब तलब किया।
आवेदक के वकील का कहना था कि प्राचार्य पद के लिए सभी जरूरी योग्यता होने के कारण प्राचार्य पद पर बहाल किया गया था। वहीं सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि शारीरिक प्रशिक्षक शिक्षक संवर्ग के तहत नहीं आते हैं। किसी भी स्कूल में प्राचार्य के पद पर उन्हें ही बहाल किया जा सकता है, जो शिक्षक संवर्ग से हों। अदालत ने आवेदक की ओर से दी गई दलील को नामंजूर करते हुए अर्जी को खारिज कर दिया।
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