आयुर्वेद भर्ती घोटाला सामने आने के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग ने सवा साल
में हुई नियुक्तियों की पड़ताल का फैसला किया है। इस बाबत आदेश जारी कर
दिये गए हैं।1प्रदेश के आयुर्वेद विभाग की भर्तियों में हुए घोटाले को शासन
ने सख्त रुख अख्तियार किया है।
एक क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी को निलंबित करने के साथ ही पूरे मामले की जांच संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को सौंपी गयी थी। इस बीच प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) डॉ.अनूप चंद्र पाण्डेय ने सवा साल में हुई नियुक्तियों की पड़ताल के निर्देश दिये हैं।
दिसंबर 2014 से अब तक पूरे प्रदेश में जहां भी, जिस भी कर्मचारी-अधिकारी ने ज्वाइन किया है, उसका पूरा ब्योरा तलब किया गया है। माना जा रहा है कि जिस तरह कर्मचारियों के फर्जी नियुक्ति पत्र जारी हुए हैं, उसी तरह चिकित्सकों के तबादले आदि को लेकर भी फर्जीवाड़ा किया जा सकता है। इसलिए निदेशालय स्तर पर पूरी तरह पारदर्शी व्यवस्था बनाने के निर्देश दिये गए हैं।
उधर संयुक्त निदेशक जेएस मिश्र ने विभागीय जांच में सुनवाई पूरी कर ली है। अब तक हुई जांच में कुछ और अधिकारी-कर्मचारी भी फंसते नजर आ रहे हैं। तय है कि फर्जी नियुक्ति का यह नेटवर्क बड़े पैमाने पर फैला है। बुंदेलखंड से लेकर मध्य उत्तर प्रदेश तक तो इस नेटवर्क ने पांव मजबूती से पसार रखे हैं। ललितपुर, झांसी, उरई, जालौन, फतेहपुर, कानपुर, उन्नाव और लखनऊ तक इस नेटवर्क के एजेंट सक्रिय रहते हैं। निलंबित किये जा चुके कार्यालय प्रभारी मोहम्मद मियां ने एक अन्य कर्मचारी का नाम भी लिया है। बताया गया कि ज्वाइनिंग के स्तर पर इस कर्मचारी के साथ ही पैसे का लेनदेन हुआ। ऐसे में उस कर्मचारी के खिलाफ भी कार्रवाई तय है। इस नेटवर्क के मुखिया के रूप में फतेहपुर में तैनात एक आयुर्वेद चिकित्सक का नाम सामने आया है, जिसकी ससुराल कानपुर में है। उस चिकित्सक के साथ झांसी में रहने वाले एक अन्य आयुर्वेद चिकित्सक के जुड़े होने की बात भी प्रकाश में आयी है। इन दोनों के खिलाफ भी कार्रवाई तय मानी जा रही है। निलंबित क्षेत्रीय आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ.डीके जैन के साथ उनकी अनुपस्थिति में काम संभाले हुए डॉ.धनीराम चंचल के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की गयी है। उनकी पेंशन व सेवानिवृत्ति से जुड़े अन्य लाभ रोक दिये गए हैं।
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एक क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी को निलंबित करने के साथ ही पूरे मामले की जांच संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को सौंपी गयी थी। इस बीच प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) डॉ.अनूप चंद्र पाण्डेय ने सवा साल में हुई नियुक्तियों की पड़ताल के निर्देश दिये हैं।
दिसंबर 2014 से अब तक पूरे प्रदेश में जहां भी, जिस भी कर्मचारी-अधिकारी ने ज्वाइन किया है, उसका पूरा ब्योरा तलब किया गया है। माना जा रहा है कि जिस तरह कर्मचारियों के फर्जी नियुक्ति पत्र जारी हुए हैं, उसी तरह चिकित्सकों के तबादले आदि को लेकर भी फर्जीवाड़ा किया जा सकता है। इसलिए निदेशालय स्तर पर पूरी तरह पारदर्शी व्यवस्था बनाने के निर्देश दिये गए हैं।
उधर संयुक्त निदेशक जेएस मिश्र ने विभागीय जांच में सुनवाई पूरी कर ली है। अब तक हुई जांच में कुछ और अधिकारी-कर्मचारी भी फंसते नजर आ रहे हैं। तय है कि फर्जी नियुक्ति का यह नेटवर्क बड़े पैमाने पर फैला है। बुंदेलखंड से लेकर मध्य उत्तर प्रदेश तक तो इस नेटवर्क ने पांव मजबूती से पसार रखे हैं। ललितपुर, झांसी, उरई, जालौन, फतेहपुर, कानपुर, उन्नाव और लखनऊ तक इस नेटवर्क के एजेंट सक्रिय रहते हैं। निलंबित किये जा चुके कार्यालय प्रभारी मोहम्मद मियां ने एक अन्य कर्मचारी का नाम भी लिया है। बताया गया कि ज्वाइनिंग के स्तर पर इस कर्मचारी के साथ ही पैसे का लेनदेन हुआ। ऐसे में उस कर्मचारी के खिलाफ भी कार्रवाई तय है। इस नेटवर्क के मुखिया के रूप में फतेहपुर में तैनात एक आयुर्वेद चिकित्सक का नाम सामने आया है, जिसकी ससुराल कानपुर में है। उस चिकित्सक के साथ झांसी में रहने वाले एक अन्य आयुर्वेद चिकित्सक के जुड़े होने की बात भी प्रकाश में आयी है। इन दोनों के खिलाफ भी कार्रवाई तय मानी जा रही है। निलंबित क्षेत्रीय आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ.डीके जैन के साथ उनकी अनुपस्थिति में काम संभाले हुए डॉ.धनीराम चंचल के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की गयी है। उनकी पेंशन व सेवानिवृत्ति से जुड़े अन्य लाभ रोक दिये गए हैं।
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