फजीहत कराने के बाद साक्षरता प्रेरकों के भुगतान पर अब शिक्षा विभाग के
अफसर गंभीर हुए हैं। बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने मानदेय देने में बेसिक
शिक्षा सचिव के आदेश को भी नहीं माना, बल्कि झूठी सूचनाएं भेजते रहे। इसका
पता चलने पर साक्षरता निदेशक ने सख्त नाराजगी जताते हुए तत्काल भुगतान करने
के
Sponsored links : निर्देश दिए हैं और सभी जिलों से रिपोर्ट भी मांगी है। साक्षर भारत योजना के तहत प्रदेश भर में लोक शिक्षा केंद्रों का संचालन हो रहा है।
ये केंद्र ग्राम पंचायत स्तर पर चल रहे हैं। वहां तैनात प्रेरकों को मानदेय भुगतान नहीं किया जा रहा है। कई बार इसकी शिकायत होने पर बेसिक शिक्षा अधिकारियों को राज्य स्तरीय समीक्षा बैठकों व वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए निर्देश दिए गए, लेकिन उसका भी कोई असर नहीं हुआ। ऐसे में साक्षरता निदेशक अवध नरेश शर्मा ने सभी जिलों की फरवरी का बैंक स्टेटमेंट निकलवाया। इसमें जिन बीएसए ने भुगतान होने का दावा किया था, वहां पैसा ही बैंक से नहीं निकला था। ये हालात तब थे जब बेसिक शिक्षा सचिव ने 18 मार्च को वीडियो कांफ्रेंसिंग में प्रेरकों को अवशेष मानदेय का भुगतान 31 मार्च तक किए जाने के निर्देश दिए थे। अफसरों की आनाकानी के कारण राज्य स्तर पर प्रेरक मानदेय पाने के लिए धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। इससे धन आवंटन के बाद भी भुगतान न होने से वरिष्ठ अधिकारी हैरत में हैं। साक्षरता निदेशक ने फिर सभी बीएसए को पत्र लिखा है और इसमें फरवरी का बैंक स्टेटमेंट भी लगाया है। इसमें कहा गया है कि जल्द ही सारा भुगतान कर दिया जाए। साक्षरता विभाग अब सभी जिलों का मार्च माह का बैंक स्टेटमेंट हासिल करके बेसिक शिक्षा अधिकारियों से जवाब तलब करने की तैयारी में है। निदेशक ने सभी बीएसए से मानदेय भुगतान की रिपोर्ट भी मांगी है, ताकि बेसिक शिक्षा मंत्री के समक्ष स्थिति स्पष्ट की जा सके। माना जा रहा है कि अब आनाकानी करने वाले बीएसए पर कड़ी कार्रवाई होगी।
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