शिक्षामित्रों की बढ़ रही चिंताएँ, एक से एक मामले फंसे

राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : सीटों के आवंटन के साथ ही शिक्षामित्रों के समायोजन का मुद्दा फिर सतह पर आ गया है। शिक्षामित्र विभागीय अफसरों से गुहार लगा रहे हैं कि जब तक सुप्रीम कोर्ट का फरमान न आ जाए, तब तक 16448 सीटों पर नियुक्तियां न की जाएं।
असल में इन नवसृजित पदों पर समायोजन की शिक्षामित्र उम्मीद संजोए थे, जो फिलहाल टूटती नजर आ रही है।
बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में शिक्षक बनने के लिए इन दिनों तेजी से प्रयास जारी हैं। परिषदीय स्कूलों में 19948 नए पद सृजित हुए, उनमें से 3500 पद उर्दू शिक्षकों को दे दिए गए हैं। शेष पदों को लेकर कशमकश जारी थी। 15 हजार शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थी लगातार यह पद देने की मांग कर रहे थे। उनका दावा था कि कई अलग-अलग वर्गो के अभ्यर्थियों को आवेदन करने का मौका मिला इसलिए संख्या इतनी अधिक हो गई है कि पद बढ़ाना जरूरी है। पिछले माह बेसिक शिक्षा परिषद सचिव ने इस संबंध में शासन को प्रस्ताव भी भेजा था। अंत में शासन ने न्यायालय का निर्देश लेकर 15 हजार शिक्षक भर्ती के पद बढ़ाने पर सहमति दे दी है।
इसके बाद से शिक्षामित्र परेशान हैं। उनका कहना है कि अभी 26 हजार शिक्षामित्रों का समायोजन होना शेष है जब सारे पद भर जाएंगे तो वह कहां समायोजित होंगे। इसलिए इन पदों पर फिलहाल नियुक्ति न की जाए बल्कि सुप्रीम कोर्ट में चल रही शिक्षामित्रों की सुनवाई खत्म होने का इंतजार किया जाए। विभागीय अफसरों से अनुरोध के साथ ही कोर्ट में भी इस आशय की याचिका दायर करने की तैयारी है। उप्र दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार यादव ने कहा है कि शासन को शिक्षामित्रों का ध्यान रखना होगा। इसलिए इन पदों पर नियुक्तियों में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। इस मामले को लेकर शासन एवं परिषद में जल्द ही ज्ञापन भी दिया जाएगा।
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