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परिषदीय स्कूलों में एक जुलाई से लागू होगी सेमेस्टर प्रणाली

लखनऊ। बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में अब आगामी एक जुलाई से सेमेस्टर प्रणाली के अनुसार ही पढ़ाई कराई जाएगी। पहली बार शुरू हो  रही इस नई व्यवस्था के तहत किस माह में कौन-कौन से पाठ पढ़ाए जाएंगे, इसका भी विभाजन कर दिया गया है। पूरे साल में चार बार बच्चों का मूल्यांकन भी किया जाएगा।
जिसमें बच्चों और अभिभावकों को गुरुजी का मूल्यांकन करने का मौका भी दिया जाएगा।
दरअसल, परिषदीय विद्यालयों में कक्षा एक से आठ तक करीब दो करोड़ बच्चे पढ़ते हैं। इन बच्चों के साथ-साथ राजकीय, सहायता प्राप्त एवं मरदसों आदि में कक्षा आठ तक के सभी बच्चों को भी निशुल्क किताबें मुहैया कराई जाती हैं। एक जुलाई से शुरू होने वाले शैक्षिक सत्र में पढ़ाई की गुणवत्ता पर खास जोर दिया गया है। इसके लिए विभाग ने सेमेस्टर प्रणाली को लागू कर दिया है।

अब साल में चार बार बच्चों का मूल्यांकन होगा। अगस्त, अक्टूबर, दिसम्बर और मार्च के महीनों में मूल्यांकन किया जाएगा। बच्चों को किस महीने में कितने-कितने पाठ पढ़ाए जाने हैं, यह सब किताबों की शुरुआत में ही लिखा होगा। इसके लिए बाकायदा चार पन्ने अतिरिक्त जोड़े जा रहे हैं।
इस बार पाठ्यक्रम का पूरा सिलेबस हर महीने के हिसाब से विभाजित कर दिया गया है, जिससे शिक्षकों को यह पता होगा कि उन्हें किस महीने क्या पढ़ाना है और बच्चे भी अपनी तैयारी अच्छे से कर सकेंगे। पूरे वर्ष का विभाजित पाठ्यक्रम किताब में उपलब्ध कराया जा रहा है, वर्ष में चार बार बच्चों का मूल्यांकन भी किया जाएगा। इन बदलावों से बच्चों के प्रदर्शन को लगातार परखने का मौका मिल सकेगा। - अमरेंद्र सिंह, पाठ्य पुस्तक अधिकारी

परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाने के लिए सिलेबस में भी बदलाव किया गया है। कक्षा छह और आठ की किताबों में पोषण एवं स्वास्थ्य संबंधी जानकारी के लिए पूरा पाठ जोड़ा गया है। इसमें बच्चों को स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियां मिल सकेंगी। सभी कक्षाओं के किताबों के अंतिम पेजों पर बच्चों के सीखने के लिए अच्छी आदतें जैसे खाने का तरीका, हाथ धोना, खुले में शौच न करना, आदि के बारे में जानकारी दी जाएगी।
मूल्यांकन के बाद अभिभावकों और शिक्षकों की एक बैठक का आयोजन किया जाएगा। इसमें अभिभावकों से उनके बच्चे के प्रदर्शन पर राय ली जाएगी। इसके बाद बच्चों का भी विचार लिया जाएगा कि उन्होंने क्या सीखा। इस बार ‘बच्चे ने क्या सीखा? आईए जाने’ नाम का एक पृष्ठ किताबों में जोड़ा जा रहा है। बच्चों में जो भी कमियां रह जाएंगी, उस पर मंथन किया जाएगा। इसके अलावा बच्चे भी शिक्षकों के पढ़ाने की तरीकों के बारे में अपनी राय दे सकेंगे।अच्छी क्वालिटी की मिलेंगी किताबें इस बार बच्चों को जो किताबें देने की तैयारी की जा रही है, उसकी क्वालिटी काफी अच्छी होगी। किताबों के कवर एवं अंदर के पन्नें पहले की अपेक्षा मोटे होंगे। इसके लिए वर्जन पल्प आर्ट पेपर पर छापी जाने वाली किताबें दी जाएंगी।


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