जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : आरआरबी की भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़ा करने
वालों के लंबे हाथ हैं। गिरोह के सदस्यों के तार कई राज्यों से जुड़े हैं।
पुलिस जेल में बंद सरगना के साथियों की खोजबीन में तेजी से लगी है,
लेकिन अब तक उसके हाथ ज्यादा कुछ नहीं लगा है।
सरगना रेलवे में इंजीनियर था। गिरफ्तारी के बाद उसने पुलिस को उलझाने की तमाम कोशिश की थी।1 बताते चलें कि एसटीएफ ने बीती 22 अप्रैल को तेलियरगंज में दबिश देकर आरआरबी की आनलाइन परीक्षा में पेपर साल्व कराने वालों को गिरफ्तार किया था। मौके से पकड़े गए लोगों में रेलवे का सेक्शन इंजीनियर विनोद गुप्ता भी था। तेलियरगंज में बनाया गया परीक्षा केंद्र कथित तौर पर उसका ही बताया जा रहा है। एसटीएफ का दावा है कि विनोद और उसके साथियों ने पेपर साल्व कराने के लिए आठ-आठ लाख रुपये में सौदा किया था। गिरफ्तारी के बाद विनोद ने कई ऐसे लोगों का भी नाम बता कर पुलिस को भटकाने की कोशिश की जो इस गोरखधंधे में नहीं थे। धीरे धीरे बढ़ी जांच में कई बातें सामने आई हैं। मसलन विनोद गुप्ता के गिरोह का जाल कई प्रांतों में फैला था। उसके संपर्क में मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा के भी परीक्षा केंद्रों के संचालक थे। पुलिस का कहना है कि वह (विनोद) अपने माध्यम से रुपया लेता था और हाईटेक ढंग से पेपर साल्व कराता था। अब मामले की जांच क्राइम ब्रांच कर रही है। आरोपी रेलवे इंजीनियर से लगातार संपर्क में रहने वाले समकक्षीय लोगों से पूछताछ की तैयारी क्राइम ब्रांच कर रही है। एसपी (क्राइम) रमाकांत प्रसाद कहते हैं कि फर्जीवाड़ा का यह गंभीर मामला है। इसलिए इसकी बारीकी से जांच की जा रही है। जल्द ही कई और सदस्य पकड़े जाएंगे।
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लेकिन अब तक उसके हाथ ज्यादा कुछ नहीं लगा है।
सरगना रेलवे में इंजीनियर था। गिरफ्तारी के बाद उसने पुलिस को उलझाने की तमाम कोशिश की थी।1 बताते चलें कि एसटीएफ ने बीती 22 अप्रैल को तेलियरगंज में दबिश देकर आरआरबी की आनलाइन परीक्षा में पेपर साल्व कराने वालों को गिरफ्तार किया था। मौके से पकड़े गए लोगों में रेलवे का सेक्शन इंजीनियर विनोद गुप्ता भी था। तेलियरगंज में बनाया गया परीक्षा केंद्र कथित तौर पर उसका ही बताया जा रहा है। एसटीएफ का दावा है कि विनोद और उसके साथियों ने पेपर साल्व कराने के लिए आठ-आठ लाख रुपये में सौदा किया था। गिरफ्तारी के बाद विनोद ने कई ऐसे लोगों का भी नाम बता कर पुलिस को भटकाने की कोशिश की जो इस गोरखधंधे में नहीं थे। धीरे धीरे बढ़ी जांच में कई बातें सामने आई हैं। मसलन विनोद गुप्ता के गिरोह का जाल कई प्रांतों में फैला था। उसके संपर्क में मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा के भी परीक्षा केंद्रों के संचालक थे। पुलिस का कहना है कि वह (विनोद) अपने माध्यम से रुपया लेता था और हाईटेक ढंग से पेपर साल्व कराता था। अब मामले की जांच क्राइम ब्रांच कर रही है। आरोपी रेलवे इंजीनियर से लगातार संपर्क में रहने वाले समकक्षीय लोगों से पूछताछ की तैयारी क्राइम ब्रांच कर रही है। एसपी (क्राइम) रमाकांत प्रसाद कहते हैं कि फर्जीवाड़ा का यह गंभीर मामला है। इसलिए इसकी बारीकी से जांच की जा रही है। जल्द ही कई और सदस्य पकड़े जाएंगे।
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