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शिक्षक बनने को ‘दुश्मन’ बने : 16448 शिक्षक भर्ती प्रकरण, बीटीसी 2013 का परीक्षा परिणाम जारी कराने एवं रुकवाने को रस्साकशी तेज

राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : प्रदेश के भर्ती बोर्डो पर लंबे समय से अंगुली उठती रही है। उन पर अभ्यर्थी विशेष एवं वर्ग विशेष के लोगों को नियुक्तियां देने का आरोप रहा है। कमोवेश ऐसे ही हालात इन दिनों शिक्षक भर्ती में भी बन रहे हैं।
पहली बार बीटीसी के अभ्यर्थी खेमों में बंट गए हैं। कुछ सत्र के बीटीसी प्रशिक्षुओं को शिक्षक बनाने के लिए सत्र विशेष के अभ्यर्थियों को जबरन रोका जा रहा है। नियुक्ति के लिए होनी वाली ‘प्रतिस्पर्धा’ ने ‘दुश्मनी’ का रूप ले लिया है। युवाओं के बीच छिड़ी जंग में अफसर तमाशबीन बने हैं। वहीं शिक्षा विभाग के बड़े अफसरों की अनदेखी के कारण ही हालात बिगड़े हैं।

बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में 16448 सहायक अध्यापकों की नियुक्ति प्रक्रिया इन दिनों चल रही है। इन पदों के लिए बीटीसी 2012 बैच तक के अभ्यर्थी धड़ल्ले से आवेदन कर रहे हैं, वहीं बीटीसी 2013 बैच के अभ्यर्थी मौका हाथ से फिसलता देख गुस्से में हैं।
असल में 2013 बैच के अभ्यर्थियों का बीटीसी प्रशिक्षण मार्च में पूरा हो चुका है और चतुर्थ सेमेस्टर की परीक्षा मई में हो चुकी है, किंतु लचर कार्यशैली के कारण अब तक परीक्षा परिणाम जारी नहीं हुआ है। 2013 बैच के अभ्यर्थी रिजल्ट जल्द जारी करने की मांग कर रहे हैं, वहीं 2012 तक के अभ्यर्थी इस भर्ती को निजी जागीर मानकर 2013 बैच के अभ्यर्थियों का विरोध कर रहे हैं। दरअसल 15 हजार शिक्षकों की भर्ती में आवेदकों की भीड़ बढ़ने पर अभ्यर्थियों ने 16448 पद उसी भर्ती में जोड़े जाने की मांग की थी, लेकिन न्यायालय ने पद जोड़ने से मना कर दिया। बाद में शासन ने इसकी अलग से भर्ती निकाली है इससे 2012 बैच तक के अभ्यर्थी यह मान रहे हैं कि यह नियुक्तियां सिर्फ उनके लिए हैं। उनको चिंता भी साल रही है कि यदि 2013 बैच के अभ्यर्थियों ने दावेदारी कर दी तो इस भर्ती में भी शिक्षक नहीं बन पाएंगे, क्योंकि 15 हजार शिक्षक भर्ती से वह बाहर हो चुके हैं। परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने 2013 का रिजल्ट जुलाई के पहले सप्ताह में निकालने की घोषणा की थी, लेकिन वह पूरी नहीं हो सकी है। 2012 बैच तक के अभ्यर्थी कॉपियों के ताबड़तोड़ हो रहे मूल्यांकन पर सवाल उठा रहे हैं और दोबारा मूल्यांकन की मांग कर रहे हैं, ताकि इस प्रक्रिया में भर्ती के आवेदन का समय निकल जाएगा। वहीं 2013 के अभ्यर्थी अफसरों से जल्द परिणाम देने एवं 16 हजार भर्ती में शामिल कराने की मांग कर रहे हैं। पिछले हफ्ते परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय पर बीटीसी के अभ्यर्थियों में बड़ा टकराव किसी तरह टला है, वरना खूनी संघर्ष की नौबत आ गई थी। यह सब अफसरों की जानकारी में है फिर वह मौन हैं। 1अफसर चला रहे पुराना पैटर्न1परिषदीय स्कूलों में पहले शिक्षक के पदों पर बीटीसी उत्तीर्ण युवाओं का चयन आसानी से होता रहा है। लगभग हर बैच शत प्रतिशत शिक्षक के रूप में तैनात हो जाता था, लेकिन 2011 से एनसीटीई के नियम लागू होने, टीईटी अनिवार्य होने और बीटीसी कालेजों की बाढ़ आने के बाद बीटीसी प्रशिक्षुओं की तादाद बढ़ गई। इसके बाद से मेरिट के आधार पर तैनाती दी जाने लगी। इसमें बीटीसी सत्र आदि गौण हो गया था, लेकिन अफसर फिर पुराने पैटर्न पर चल पड़े हैं कोर्ट के एक आदेश का हवाला देकर युवाओं के बीच होने वाली स्वस्थ प्रतियोगी परंपरा रोकी जा रही है। इससे अच्छे शिक्षक मिलने पर भी विराम लगने के पूरे आसार बन गए हैं।
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