राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : शिक्षकों की एक भर्ती प्रक्रिया पूरी होने से
पहले ही दूसरी भर्ती की मांग जोर पकड़ रही है। अब 2010 तक के बीटीसी
अभ्यर्थी अलग से भर्ती करने की आवाज बुलंद कर रहे हैं।
उनका कहना है कि नियुक्तियां मेरिट के बजाए सत्र के आधार पर होनी चाहिए, क्योंकि पहले यही नियम रहा है। इसमें करीब चार हजार अभ्यर्थियों को लाभ मिल जाएगा।
बीटीसी 2004, 2007, 2008 बैच के अभ्यर्थी कहते हैं कि सत्र लेट होने के कारण उन पर भी टीईटी उत्तीर्ण करने की अनिवार्यता लागू हो गई। किसी तरह उन्होंने टीईटी उत्तीर्ण भी कर लिया है, लेकिन शैक्षणिक मेरिट नियुक्ति में बाधा है। ऐसे में शासन पुराने अभ्यर्थियों की अलग से नियुक्ति दे, ताकि सभी को शिक्षक बनने का मौका मिल जाए।
विशिष्ट बीटीसी संघ के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि उन लोगों ने जब बीटीसी में दाखिला लिया था, तब सभी को प्राथमिकता के आधार पर स्कूलों में नियुक्ति दी जाती थी, मेरिट का नियम 2010 के बाद लागू हुआ है।
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उनका कहना है कि नियुक्तियां मेरिट के बजाए सत्र के आधार पर होनी चाहिए, क्योंकि पहले यही नियम रहा है। इसमें करीब चार हजार अभ्यर्थियों को लाभ मिल जाएगा।
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बीटीसी 2004, 2007, 2008 बैच के अभ्यर्थी कहते हैं कि सत्र लेट होने के कारण उन पर भी टीईटी उत्तीर्ण करने की अनिवार्यता लागू हो गई। किसी तरह उन्होंने टीईटी उत्तीर्ण भी कर लिया है, लेकिन शैक्षणिक मेरिट नियुक्ति में बाधा है। ऐसे में शासन पुराने अभ्यर्थियों की अलग से नियुक्ति दे, ताकि सभी को शिक्षक बनने का मौका मिल जाए।
विशिष्ट बीटीसी संघ के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि उन लोगों ने जब बीटीसी में दाखिला लिया था, तब सभी को प्राथमिकता के आधार पर स्कूलों में नियुक्ति दी जाती थी, मेरिट का नियम 2010 के बाद लागू हुआ है।
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