27जुलाई की सुनवाई के बाद बहुत ज्यादा ही निराशा व् हताशा देखने को मिल रही है जबकि कोर्ट में ऐसा कुछ भी नही हुआ है जिससे हमारे अंतिम परिणाम पर कोई प्रभाव पड़े। बात कड़वी अवश्य है किन्तु यदि आप अपने मन में यह विचार बनाये हुए है कि अमुख तिथि पर ही आदेश हो जायेगा तो कष्ट होना स्वाभाविक है।
मेरा आप सभी से निवेदन है कि "अपनी उम्मीद केस से लगाएं नाकि तारिख विशेष से।"
27जुलाई को सुनवाई का ना हो पाना निश्चित ही कष्टप्रद है। एक लम्बे समय से हमें जिसकी प्रतीक्षा थी वहां आदेश तो दूर सुनवाई का भी ना हो पाना निःसंदेह आघात जैसा ही था किन्तु इस बीच हमें यह भी याद रखना है कि हमारा लक्ष्य भी आसान नही है। हमारी लड़ाई सिर्फ अन्याय के विरुद्ध नही है हमें एक पूर्ण बहुमत की सरकार से, एक मजबूत प्रतिद्वंदी से साथ ही साथ न्याय पाने की जटिल कार्यप्रणाली से भी लड़ना है। ऐसे में यदि आपके इरादे मजबूत नही है तो आपका परेशान होना स्वाभाविक है।
27जुलाई को जब सुनवाई हेतु बैंच का गठन हुआ तब ही यह स्पस्ट हो गया था कि आज कोई नया आदेश पारित नही हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ग्राउंड में मौजूद सभी नेतृत्वकर्ताओं से मैने कहा कि आज बस एक प्रयास होना चाहिए कि अब किसी भी दशा में सुनवाई की अगली तिथि अगले सप्ताह की नियत कराई जाये। जिसका हमने प्रयास भी किया और कुछ हद तक सफल भी रहे। हो सकता है कुछ लोगों को हमारी यह बात सही ना लगे किन्तु जल्द सुनवाई कराने हेतु प्रत्येक तारिख पर हमारी तरफ से खड़ी होने वाली सीनियर एडवोकेट वी मोहना जी ने अच्छा प्रयास किया और परिणाम भी हमें प्राप्त हुआ। सुप्रीम कोर्ट में अब तक के अपने केस में ऐसा पहली बार हुआ है कि सुनवाई की अगली तिथि 1माह से कम की है।
दोस्तों, जो नकारात्मक भाव है कि सीट गठन में इसका हाथ है, डेट बढ़वाने में उसका हाथ है, चयनित यह नही चाहते, सरकार का दबाब बन रहा है, कुछ ख़रीद-फरोख्त चल रही है तो जरा सोचिये चाहे किसी के लिए ही सही लेकिन यह सब करना हाई कोर्ट में कितना आसान था। अन्ततः जब वहां से हमें न्याय मिला तो यहाँ से क्यों नही मिलेगा..???
सुप्रीम कोर्ट अब चाह रही है कि इस केस में अंतिम फैसला ही सुनाया जाये। आर्टिकल 21A हो या मेरिट पर फ़ैसला हो याकि किसी भी नियमावली पर। यह बात में बड़े दावे के साथ कह सकता हूँ कि अंतिम परिणाम हमारे पक्ष में ही होगा। बस आवश्यकता है तो आपके साहस दिखाने की, अपने नेतृत्व में विश्वास दिखाने की, न्यायपालिका में आस्था बनाये रखने की। मैं जानता हूँ एक-एक दिन काटना कितना मुश्किल होता है किन्तु जो आसानी से मिले वो भी हमें कहाँ मंजूर होता है। जहाँ आपने इतना लम्बा अनथक अनवरत संघर्ष या इंतज़ार किया है वहीँ कुछ रोज़ ओर सही।
"विश्वास बनाये रखिये योग्यता पर अयोग्यता की जीत कभी नही होगी। आप सभी के द्वारा निःसंदेह इतिहास लिखा जायेगा जिसका साक्षी सम्पूर्ण भारत वर्ष होगा।"
अंत में इन पंक्तियों से अपनी बात पूरी करूँगा....
सत्य को कहने के लिए किसी,
"शपथ" की जरुरत नहीं होती ।
नदियो को बहने के लिए किसी,
"पथ" की जरुरत नहीं होती ।।
जो बढ़ते है ज़माने में अपने,
मजबूत इरादों पर,
उन्हें अपनी मंजिल पाने के लिए,
किसी "रथ" की जरुरत नहीं होती ।
!! सत्यमेव जयते सर्वदा !!
2011से आपके उज्जवल भविष्य हेतु संघर्षरत
आपका मयंक तिवारी
बीएड/टेट उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा
उत्तर प्रदेश
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मेरा आप सभी से निवेदन है कि "अपनी उम्मीद केस से लगाएं नाकि तारिख विशेष से।"
27जुलाई को सुनवाई का ना हो पाना निश्चित ही कष्टप्रद है। एक लम्बे समय से हमें जिसकी प्रतीक्षा थी वहां आदेश तो दूर सुनवाई का भी ना हो पाना निःसंदेह आघात जैसा ही था किन्तु इस बीच हमें यह भी याद रखना है कि हमारा लक्ष्य भी आसान नही है। हमारी लड़ाई सिर्फ अन्याय के विरुद्ध नही है हमें एक पूर्ण बहुमत की सरकार से, एक मजबूत प्रतिद्वंदी से साथ ही साथ न्याय पाने की जटिल कार्यप्रणाली से भी लड़ना है। ऐसे में यदि आपके इरादे मजबूत नही है तो आपका परेशान होना स्वाभाविक है।
27जुलाई को जब सुनवाई हेतु बैंच का गठन हुआ तब ही यह स्पस्ट हो गया था कि आज कोई नया आदेश पारित नही हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ग्राउंड में मौजूद सभी नेतृत्वकर्ताओं से मैने कहा कि आज बस एक प्रयास होना चाहिए कि अब किसी भी दशा में सुनवाई की अगली तिथि अगले सप्ताह की नियत कराई जाये। जिसका हमने प्रयास भी किया और कुछ हद तक सफल भी रहे। हो सकता है कुछ लोगों को हमारी यह बात सही ना लगे किन्तु जल्द सुनवाई कराने हेतु प्रत्येक तारिख पर हमारी तरफ से खड़ी होने वाली सीनियर एडवोकेट वी मोहना जी ने अच्छा प्रयास किया और परिणाम भी हमें प्राप्त हुआ। सुप्रीम कोर्ट में अब तक के अपने केस में ऐसा पहली बार हुआ है कि सुनवाई की अगली तिथि 1माह से कम की है।
दोस्तों, जो नकारात्मक भाव है कि सीट गठन में इसका हाथ है, डेट बढ़वाने में उसका हाथ है, चयनित यह नही चाहते, सरकार का दबाब बन रहा है, कुछ ख़रीद-फरोख्त चल रही है तो जरा सोचिये चाहे किसी के लिए ही सही लेकिन यह सब करना हाई कोर्ट में कितना आसान था। अन्ततः जब वहां से हमें न्याय मिला तो यहाँ से क्यों नही मिलेगा..???
सुप्रीम कोर्ट अब चाह रही है कि इस केस में अंतिम फैसला ही सुनाया जाये। आर्टिकल 21A हो या मेरिट पर फ़ैसला हो याकि किसी भी नियमावली पर। यह बात में बड़े दावे के साथ कह सकता हूँ कि अंतिम परिणाम हमारे पक्ष में ही होगा। बस आवश्यकता है तो आपके साहस दिखाने की, अपने नेतृत्व में विश्वास दिखाने की, न्यायपालिका में आस्था बनाये रखने की। मैं जानता हूँ एक-एक दिन काटना कितना मुश्किल होता है किन्तु जो आसानी से मिले वो भी हमें कहाँ मंजूर होता है। जहाँ आपने इतना लम्बा अनथक अनवरत संघर्ष या इंतज़ार किया है वहीँ कुछ रोज़ ओर सही।
"विश्वास बनाये रखिये योग्यता पर अयोग्यता की जीत कभी नही होगी। आप सभी के द्वारा निःसंदेह इतिहास लिखा जायेगा जिसका साक्षी सम्पूर्ण भारत वर्ष होगा।"
अंत में इन पंक्तियों से अपनी बात पूरी करूँगा....
सत्य को कहने के लिए किसी,
"शपथ" की जरुरत नहीं होती ।
नदियो को बहने के लिए किसी,
"पथ" की जरुरत नहीं होती ।।
जो बढ़ते है ज़माने में अपने,
मजबूत इरादों पर,
उन्हें अपनी मंजिल पाने के लिए,
किसी "रथ" की जरुरत नहीं होती ।
!! सत्यमेव जयते सर्वदा !!
2011से आपके उज्जवल भविष्य हेतु संघर्षरत
आपका मयंक तिवारी
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