बुलंदशहर : बेसिक शिक्षा अधिकारी के आदेशों को शिक्षकों ने हवा में उड़ा
दिया है। जनपद के प्रत्येक प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में
सत्र के पहले दिन से शैक्षिक कैलेंडर के आधार पर शिक्षण कार्य कराना था,
लेकिन एक भी विद्यालय में कैलेंडर के आधार पर पढ़ाई शुरू नहीं की गई है।
सबसे बड़ी बात तो यह है कि बिना किताबों के ही पढ़ाई चल रही है।
बेसिक शिक्षा अधिकारी ने शैक्षिक सत्र 2016-17 शुरू होने से पहले आदेश जारी किया था कि सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं को पहले दिन से ही शैक्षिक कैलेंडर के आधार पर पढ़ाई शुरू करनी थी। बीएसए ने कहा था कि गत वर्षों की तरह इस वर्ष काम चलने वाला नहीं है। सभी शिक्षकों को पहले दिन से ही छात्र-छात्राओं को पढ़ाना पड़ेगा, लेकिन जनपद के एक भी प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय में शैक्षिक कैलेंडर के आधार पर न तो पढ़ाई शुरू हुई है और न ही कैलेंडर तैयार किया गया है। शिक्षक मनमाने तरीके से पढ़ाई करा रहे हैं। इतना ही नहीं कुछ ब्लाकों में तो शिक्षक-शिक्षिकाओं के आने जाने के तरीके तक में सुधार नहीं हुआ है। शैक्षिक कैलेंडर की बात भी छोड़ दी जाए तो अभी तक किसी भी प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में किताब नहीं पहुंची है। शिक्षकों का तर्क है कि जब किताब ही नहीं होंगी तो शैक्षिक कैलेंडर का क्या किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शैक्षिक कैलेंडर के आधार पर पढ़ाई तभी कराई जा सकती है, जब छात्र-छात्राओं के पास किताबें हों। बेसिक शिक्षा अधिकारी वेदराम का कहना है कि पुरानी किताबों के आधार पर शिक्षक-शिक्षिकाएं छात्र-छात्राओं को पढ़ाई कराएं। शासन से किताबें आई नहीं हैं। किताबें आने के बाद तत्काल रूप से सभी स्कूलों में वितरण करा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके अलावा भी शिक्षक मौखिक तरीके से छात्र-छात्राओं को सामान्य ज्ञान भी कराएं।
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सबसे बड़ी बात तो यह है कि बिना किताबों के ही पढ़ाई चल रही है।
बेसिक शिक्षा अधिकारी ने शैक्षिक सत्र 2016-17 शुरू होने से पहले आदेश जारी किया था कि सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं को पहले दिन से ही शैक्षिक कैलेंडर के आधार पर पढ़ाई शुरू करनी थी। बीएसए ने कहा था कि गत वर्षों की तरह इस वर्ष काम चलने वाला नहीं है। सभी शिक्षकों को पहले दिन से ही छात्र-छात्राओं को पढ़ाना पड़ेगा, लेकिन जनपद के एक भी प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय में शैक्षिक कैलेंडर के आधार पर न तो पढ़ाई शुरू हुई है और न ही कैलेंडर तैयार किया गया है। शिक्षक मनमाने तरीके से पढ़ाई करा रहे हैं। इतना ही नहीं कुछ ब्लाकों में तो शिक्षक-शिक्षिकाओं के आने जाने के तरीके तक में सुधार नहीं हुआ है। शैक्षिक कैलेंडर की बात भी छोड़ दी जाए तो अभी तक किसी भी प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में किताब नहीं पहुंची है। शिक्षकों का तर्क है कि जब किताब ही नहीं होंगी तो शैक्षिक कैलेंडर का क्या किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शैक्षिक कैलेंडर के आधार पर पढ़ाई तभी कराई जा सकती है, जब छात्र-छात्राओं के पास किताबें हों। बेसिक शिक्षा अधिकारी वेदराम का कहना है कि पुरानी किताबों के आधार पर शिक्षक-शिक्षिकाएं छात्र-छात्राओं को पढ़ाई कराएं। शासन से किताबें आई नहीं हैं। किताबें आने के बाद तत्काल रूप से सभी स्कूलों में वितरण करा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके अलावा भी शिक्षक मौखिक तरीके से छात्र-छात्राओं को सामान्य ज्ञान भी कराएं।
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