गोण्डा। सूबे
की सरकार द्वारा 'सब पढ़ें सब बढ़ें' 'सर्व शिक्षा अभियान' को बढ़ावा देने के
नाम पर करोड़ों रुपये की लागत से विद्यालयों का भवन शौचालय, पेयजल आदि का
निर्माण कराया गया। जहां मुफ्त शिक्षा, पाठ्य पुस्तक, मध्याह्न भोजन आदि
सुविधाएं प्रदान कर रही है। परन्तु यह सभी सुविधाएं व योजनाएं शासन से चलकर
गांव तक पहुंचने के बाद देख-रेख के अभाव में उपेक्षित हो जाती है। एक माह
गर्मी अवकाश के बाद विद्यालय खुल रहे हैं लेकिन एक माह में विद्यालय जंगल
का रूप धारण कर लिया है। इसका नजारा विकास परसपुर के ग्राम पंचायत में
सुसुण्डा में देखा जा सकता है।
सुसुण्डा के
विशाल छत्तर पुरवा में बना प्राथमिक विद्यालय प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार
है जहां लाखों रूपये की लागत से बने सरकारी भवन में फर्श पूर्णरूप
क्षतिग्रस्त है। कक्षाओं और खिड़कियों के दरवाजे का अता पता तक नहीं है।
प्रांगण में लगे हैण्डपम्प झाड़ियां के बीच छिप गये हैं। हैण्डपम्प व दरवाजा
विहीन शौचालय झाड़ियों में छुपा हुआ है। विद्यालय की रंगाई पुताई कई
वर्षाें से नहीं हुई है और न ही कक्षाओं का कोई अंकन है। ग्रामीणों ने
बताया कि, यहां दो प्राथमिक विद्यालय है यहां पिछले वर्ष आधे दर्जन ही
छात्र थे और एक अध्यापक की तैनाती है।
स्कूल तो नहीं बना बजट हुए खर्च
लगभग
8 वर्ष पूर्व 208-2009 कर्नलगंज के ग्राम पंचायत कूरी में पूर्व माध्यमिक
विद्यालय की स्थापना के लिए विभाग ने पांच लाख चालीस हजार रुपये ग्राम
शिक्षा निधि खाते में भेजा था। उक्त समय भूमि पूजन व शिलान्यास हुआ लेकिन
कुछ समय बाद वहा रखी गई 5 ईंटें भी गायब हो गई जहां अब तक स्कूल नहीं बना
लेकिन स्कूल निर्माण के नाम पर 2 लाख रुपये निकाल लिए गये। निर्माण प्रभारी
का कहना है कि, स्कूल निर्माण हेतु 2 लाख रुपये तत्कालीन ग्राम प्रधान ने
निकाले थे जिसकी सूचना उसी समय विभाग को दी गई थी। लेकिन जांच कराने का
आसवाशन देकर अब तक कोई कार्यवाई नहीं की गई।
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