विधि संवाददाता, लखनऊ : हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से दो वर्षीय बीटीसी ट्रेनिंग करने वाले शिक्षामित्रों के प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के पदों पर आवेदन को स्वीकार करने का
आदेश दिया है। न्यायालय ने यह आदेश मंगलवार को अंजलि और दिनेश कुमार की याचिका पर दिया।
हालांकि न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि उनके परिणाम अगली सुनवाई तक घोषित नहीं किए जाएंगे। मामले की सुनवाई एक अगस्त को होगी।
याचिका में 25 जून 2016 के शासनादेश और 28 जून 2016 के विज्ञापन को चुनौती देते हुए कहा गया कि दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से दो वर्षीय बीटीसी ट्रेनिंग करने वाले शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर होने वाली भर्ती से वंचित कर दिया गया है। विज्ञापन के माध्यम से प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के कुल 16448 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किये गए थे। याचियों की ओर से अधिवक्ता अमरेंद्र नाथ त्रिपाठी ने दलील दी कि यह शासनादेश और विज्ञापन उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा (शिक्षक) सेवा नियमावली, 1981 के प्रावधानों के प्रतिकूल हैं। उन्होंने कहा कि याचियों द्वारा की गई दो वर्ष की बीटीसी ट्रेनिंग आनंद कुमार मामले में न्यायालय द्वारा गैर कानूनी नहीं ठहराई गई है।
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आदेश दिया है। न्यायालय ने यह आदेश मंगलवार को अंजलि और दिनेश कुमार की याचिका पर दिया।
हालांकि न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि उनके परिणाम अगली सुनवाई तक घोषित नहीं किए जाएंगे। मामले की सुनवाई एक अगस्त को होगी।
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याचिका में 25 जून 2016 के शासनादेश और 28 जून 2016 के विज्ञापन को चुनौती देते हुए कहा गया कि दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से दो वर्षीय बीटीसी ट्रेनिंग करने वाले शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर होने वाली भर्ती से वंचित कर दिया गया है। विज्ञापन के माध्यम से प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के कुल 16448 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किये गए थे। याचियों की ओर से अधिवक्ता अमरेंद्र नाथ त्रिपाठी ने दलील दी कि यह शासनादेश और विज्ञापन उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा (शिक्षक) सेवा नियमावली, 1981 के प्रावधानों के प्रतिकूल हैं। उन्होंने कहा कि याचियों द्वारा की गई दो वर्ष की बीटीसी ट्रेनिंग आनंद कुमार मामले में न्यायालय द्वारा गैर कानूनी नहीं ठहराई गई है।
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