शिक्षक भर्ती में 13 अभ्यर्थियों ने लगाए थे टैट के फर्जी प्रमाणपत्र
मथुरा : बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक के लिए अक्टूबर 2015 में हुई काउंस¨लग में 13 अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्र फर्जी निकले थे। जब मामला प्रकाश में आया तो डायट प्राचार्य द्वारा बेसिक शिक्षा विभाग को फर्जी प्रमाणपत्र लगाने वाले अभ्यर्थियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने के आदेश दिए गए।
लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग ने निष्क्रियता के कारण अभी तक एफआइआर नहीं कराई।
काउंसलिंग में उछला मुद्दा
जून में हुई काउंस¨लग में यह मुद्दा एक बार फिर उछला। यदि बेसिक शिक्षा विभाग ने सक्रियता दिखाई होती तो जाली मार्कशीट बनाने वाले रैकेट का पर्दाफाश हो सकता था। वर्ष 2014 के अंत में परिषदीय विद्यालय में सहायक शिक्षक भर्ती के लिए प्रदेश में 15 हजार जगह निकाली गई थीं। जनपद में 200 शिक्षक भर्ती के लिए काउंस¨लग होनी थी। इसके लिए अक्टूबर 2015 में काउंस¨लग हुई थी।
डायट प्राचार्य ने कराए थे 200 वेरीफिकेशन
काउंस¨लग के दौरान टैट का एक फर्जी प्रमाणपत्र डायट प्राचार्य डॉ। मुकेश अग्रवाल के सामने आया। इस पर उनके हस्ताक्षर थे। जिसे देखकर उनका माथा ठनका था। इसके बाद सभी 200 प्रमाणपत्र और अंक तालिका को सत्यापन के लिए इलाहाबाद भेजा गया था। इसमें 13 अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्र फर्जी निकले थे। फर्जी प्रमाणपत्र लगाने वाले अभ्यर्थियों को काउंस¨लग से बाहर कर दिया गया था।
रैकेट को बचा रहा विभाग
डायट प्राचार्य ने नवंबर में तत्कालीन बीएसए को सभी 13 अभ्यर्थियों के खिलाफ एफआईआर कराने के निर्देश दिए। इसके बाद इस भर्ती पर रोक लग गई। जून 2016 में जब एक बार फिर काउंस¨लग हुई तो डायट प्राचार्य ने यह मुद्रदा उछाला और बीएसए को एफआईआर कराने के निर्देश दिए, लेकिन विभाग अपनी कमजोरी के कारण शांत रहा। माना जा रहा रहा है कि विभाग अपनी निष्क्रियता से एक रैकेट को बचाने की कोशिश कर रहा है।
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मथुरा : बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक के लिए अक्टूबर 2015 में हुई काउंस¨लग में 13 अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्र फर्जी निकले थे। जब मामला प्रकाश में आया तो डायट प्राचार्य द्वारा बेसिक शिक्षा विभाग को फर्जी प्रमाणपत्र लगाने वाले अभ्यर्थियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने के आदेश दिए गए।
लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग ने निष्क्रियता के कारण अभी तक एफआइआर नहीं कराई।
काउंसलिंग में उछला मुद्दा
जून में हुई काउंस¨लग में यह मुद्दा एक बार फिर उछला। यदि बेसिक शिक्षा विभाग ने सक्रियता दिखाई होती तो जाली मार्कशीट बनाने वाले रैकेट का पर्दाफाश हो सकता था। वर्ष 2014 के अंत में परिषदीय विद्यालय में सहायक शिक्षक भर्ती के लिए प्रदेश में 15 हजार जगह निकाली गई थीं। जनपद में 200 शिक्षक भर्ती के लिए काउंस¨लग होनी थी। इसके लिए अक्टूबर 2015 में काउंस¨लग हुई थी।
डायट प्राचार्य ने कराए थे 200 वेरीफिकेशन
काउंस¨लग के दौरान टैट का एक फर्जी प्रमाणपत्र डायट प्राचार्य डॉ। मुकेश अग्रवाल के सामने आया। इस पर उनके हस्ताक्षर थे। जिसे देखकर उनका माथा ठनका था। इसके बाद सभी 200 प्रमाणपत्र और अंक तालिका को सत्यापन के लिए इलाहाबाद भेजा गया था। इसमें 13 अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्र फर्जी निकले थे। फर्जी प्रमाणपत्र लगाने वाले अभ्यर्थियों को काउंस¨लग से बाहर कर दिया गया था।
रैकेट को बचा रहा विभाग
डायट प्राचार्य ने नवंबर में तत्कालीन बीएसए को सभी 13 अभ्यर्थियों के खिलाफ एफआईआर कराने के निर्देश दिए। इसके बाद इस भर्ती पर रोक लग गई। जून 2016 में जब एक बार फिर काउंस¨लग हुई तो डायट प्राचार्य ने यह मुद्रदा उछाला और बीएसए को एफआईआर कराने के निर्देश दिए, लेकिन विभाग अपनी कमजोरी के कारण शांत रहा। माना जा रहा रहा है कि विभाग अपनी निष्क्रियता से एक रैकेट को बचाने की कोशिश कर रहा है।
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