Truth of 7th pay commission : सातवें वेतन आयोग का काला सच

सातवें आयोग की सिफारिशें करने वाले जस्टिस ऐ के माथुर व भारत सरकार के वित्त मंत्री द्वारा केंद्र सरकार के निम्नतम स्तर पर काम करने वाले चपरासी को 18000 का वेतन देने की घोषणा की गई है, लेकिन जवाब माँगते कुछ सवाल :
1. क्या आप लोग भी सिर्फ 600 मिली लीटर  दूध ही काम में लेते है, और 38 रू लीटर कहाँ मिलता है, सरकारी डेयरी पर 48 रु मिलता है अब क्या 10 रू चोरी करके लाये।
2. चीनी वर्तमान में ही 40 रु किलो चल रही है,
3. दाल का भाव 97 रु के हिसाब से आपने बताया है, माननीय वित्तमंत्री जी दाल के आज वर्तमान भाव भी 150 रु किलो है, अब आप ही बताओ की चपरासी दाल कहाँ से लाएगा।
4. आपने कहाँ है कि परिवार में 3 सदस्य ही होते है, क्या आपके परिवार में तीन ही लोग है, भारत सरकार के कानून के अनुसार भी 2 बच्चे  व 2 पति पत्नी स्वयं मिलाकर 4 हो गए, क्या एक आदमी पड़ोसी के खाना खाने या रहने जायेगा। दूसरी बात आप माँ बाप को भूल गए, अरे अंधो जिसका बाप अफसर होगा या बड़ा बिज़नेस मैन होगा क्या उसका बेटा चपरासी बनेगा???? उनकी औलाद तो  वैसे ही  अमीर है। जिसका बाप गरीब मज़दूर होगा वो ही नौकरी करेगा, तो फिर वो क्या अपने माँ बाप को क्या खिलायेगा????, क्या वो उनको बेच दे??, क्या वो उनको मार दे, आपने तो उनको पहले ही मार दिया है। देश के बड़े उधोगपतियों को सरकार ने 32 लाख करोड़ का लोन माफ़ कर दिया, उनके लिये पैसा कहाँ से आ गया, उतने पैसे में आप 32 बार पे कमीशन दे सकते हो सरकारी कर्मचारियों को।
जो लोग आपको दिन रात मेहनत करके कमा कर दे रहे है उनको उनकी मजदूरी देते आपको बुखार आ रहा है,
भारत के प्रधानमंत्री व वित्तमंत्री जी आप क्या चाहते हो देश की जनता से?????
आपने सैलरी में हकीकत बढ़ोतरी 7% ही की है, आप देश के मीडिया को खरीद कर उससे गलत आंकड़े पेश कर देश की जनता के सामने सरकारी कर्मचारी को आंतकवादी बना रहे हो, आप कितना बड़ा अन्याय कर रहे हो सरकारी कर्मचारियों व देश की जनता के साथ
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