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एकेडमिक रिकार्ड के आधार पर नियुक्त शिक्षकों के भाग्य का फैसला 24 अगस्त को, टीईटी मेरिट पर भर्ती हुये 64 हजार प्रशिक्षु शिक्षकों का भविष्य भी दांव पर

इलाहाबाद। प्राथमिक स्कूलों में 72,825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती के तहत चयनित तकरीबन 64 हजार सहायक अध्यापकों के भविष्य का फैसला भी 24 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में होगा। सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के तहत पिछले दो सालों में इनकी नियुक्ति हुई है।
यूपी में सबसे पहले प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती का ही विवाद शुरू हुआ। सपा सरकार ने टीईर्टी में गड़बड़ी के आरोपों के बीच एकेडमिक रिकार्ड के आधार पर दिसम्बर 2012 में 72,825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती शुरू की थी जिस पर हाईकोर्ट ने फरवरी 2013 में रोक लगा दी। 20 नवम्बर 2013 को टीईटी मेरिट पर भर्ती के आदेश दिए। इसके खिलाफ प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका की जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम व्यवस्था के तहत हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए टीईटी मेरिट पर भर्ती के निर्देश दिए। दरअसल बसपा सरकार ने 13 नवम्बर 2011 को टीईटी से चार दिन पहले अध्यापक सेवा नियमावली में 12वां संशोधन कर दिया। जिसमें शिक्षक भर्ती का आधार टीईटी मेरिट कर दिया। सपा सरकार ने अध्यापक सेवा नियमावली में 15वां और 16वां संशोधन करके क्रमश: सहायक अध्यापक (टीईर्टी पास बीटीसी डिग्रीधारक) और प्रशिक्षु शिक्षक (टीईर्टी पास बीएड डिग्रीधारक) की भर्ती शुरू कर दी। 16वें संशोधन के आधार पर शुरू की गई भर्ती पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। जबकि 15वें संशोधन के आधार पर बीटीसी प्रशिक्षुओं की तकरीबन एक लाख भर्ती पूरी हो चुकी है।
इलाहाबाद। यूपी में शिक्षक भर्ती के विवादों पर 24 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में संभावित अंतिम सुनवाई पर तकरीबन एक लाख उन शिक्षकों की निगाहें टिकी हुई है जिनकी नियुक्ति टीईटी को पात्रता परीक्षा मानते हुए एकेडमिक रिकार्ड के आधार पर की गई।पिछले चार साल में प्राथमिक स्कूलों में 9970, 10800, 4280 व 3500 उर्दू, 10000, 15000 सहायक अध्यापकों और उच्च प्राथमिक स्कूलों में विज्ञान व गणित विषय के 29,334 सहायक अध्यापकों की भर्ती एकेडमिक रिकार्ड के आधार पर पूरी हो चुकी है।जबकि प्राथमिक स्कूलों में ही 16448 सहायक अध्यापकों की भर्ती एकेडमिक रिकार्ड के आधार पर चल रही है। ये सभी भर्तियां टीईटी को पात्रता परीक्षा मानते हुए अभ्यर्थियों के हाईस्कूल, इंटर, स्नातक व प्रशिक्षण अर्हता में मिले अंकों के आधार पर की गई। इसके खिलाफ कुछ अभ्यर्थियों ने टीईटी के अंकों को वरीयता नहीं देने के कारण याचिका कर रखी है। हालांकि एनसीटीई ने आरटीआई के जवाब में यह साफ कर दिया है कि भर्ती का आधार राज्य सरकार तय करेगी। टीईटी के अंकों को वरीयता देना या नहीं देना राज्य सरकार का अधिकार है। हाईकोर्ट ने बीटीसी डिग्रीधारियों के लिए अध्यापक सेवा नियमावली 1981 में 15वां संशोधन किया गया था जिसमें एकेडमिक रिकार्ड के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति का प्रावधान था। जिसे हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया। यह प्रकरण भी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
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