लखनऊ। चार साल की बच्ची को अगर नौवीं कक्षा में
दाखिला मिले तो शायद ही किसी को विश्वास हो लेकिन ऐसा हो गया है। चार साल
की अनन्या को अपनी औपचारिक स्कूली शिक्षा शुरू करने के पहले ही नौवीं
कक्षा में सीधे प्रवेश दे दिया गया।
आपको जानकर हैरानी होगी कि उसके भाई शैलेंद्र ने 9 साल की उम्र में हाई स्कूल परीक्षा पास कर ली। उसकी बहन सुषमा 15 साल की है और माइक्रोबायलॉजी में मास्टर्स करने के बाद अब डॉक्टोरेट कर रही है। इन बच्चों के पिता तेज बहादुर वर्मा बाबा भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में सुपरवाइजर हैं।
एक बार जब अनन्या के पिता उसे बाजार ले गए तब उन्हें सेंट मीरा कॉलेज के एक शिक्षक से मुलाकात हुई। इस कॉलेज में उनके दो अन्य बच्चे भी पढ़े हैं। जब यह शिक्षक ने उसके पिता से बात कर रहा था, तब अनन्या ने उनकी एक किताब उठा ली और पढ़ना शुरू कर दिया। शिक्षक यह देखकर दंग रह गए और तेज बहादुर को अपनी बेटी के साथ कॉलेज बुलाया। अनन्या का टेस्ट लिया गया और यह पाया गया कि वह कक्षा नौवीं में दाखिले के लिए फिट है।
स्कूल मैनेजर विनोद रात्रा ने कहा ' अनन्या अपने भाई-बहन से ज्यादा प्रतिभावान है। हमें स्कूलों के जिला इंस्पेक्टर से उसे नौवीं कक्षा में दाखिला देने की अनुमति मांगी थी। हमने उसके भाई-बहनों का केस उन्हें बताया था। हमें विश्वास था कि अनुमति मिल जाएगी और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि उसे यहां नि:शुल्क शिक्षा मिले।'
संयोग से सुषमा पांच साल की थी जब उसे इसी स्कूल में कक्षा नौवीं में दाखिला मिला था। तेज बहादुर ने कहा कि उनके बच्चों ने कभी भी ट्यूशन नहीं ली क्योकि वह इसे अफोर्ड नहीं कर सकते थे।
अनन्या की मां छाया कहती हैं 'अनन्या बहुत जल्दी चीजों को सीख जाती है। वह कोई भी किताब उठाती है और उसे पढ़ने लग जाती है। उसने रामायण भी पढ़ी है और उसे याद भी है। वह एक शांत बच्ची है और कभी भी डिमांड नहीं करती।'
तीनों विलक्षण बच्चों के बारे में तेज बहादुर कहते हैं 'यह भगवान का उपहार है। हमारे बच्चे पढ़ना चाहते थे और मैं अच्छी शिक्षा का खर्चा वहन नहीं कर सकता था इसलिए शायद भगवान ने उन्हें यह असाधारण प्रतिभा दी है। मेरे बच्चों ने अपने पिता के लिए भविष्य बनाया है क्योंकि उनकी नाम के कारण ही मुझे नौकरी मिली।'
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आपको जानकर हैरानी होगी कि उसके भाई शैलेंद्र ने 9 साल की उम्र में हाई स्कूल परीक्षा पास कर ली। उसकी बहन सुषमा 15 साल की है और माइक्रोबायलॉजी में मास्टर्स करने के बाद अब डॉक्टोरेट कर रही है। इन बच्चों के पिता तेज बहादुर वर्मा बाबा भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में सुपरवाइजर हैं।
एक बार जब अनन्या के पिता उसे बाजार ले गए तब उन्हें सेंट मीरा कॉलेज के एक शिक्षक से मुलाकात हुई। इस कॉलेज में उनके दो अन्य बच्चे भी पढ़े हैं। जब यह शिक्षक ने उसके पिता से बात कर रहा था, तब अनन्या ने उनकी एक किताब उठा ली और पढ़ना शुरू कर दिया। शिक्षक यह देखकर दंग रह गए और तेज बहादुर को अपनी बेटी के साथ कॉलेज बुलाया। अनन्या का टेस्ट लिया गया और यह पाया गया कि वह कक्षा नौवीं में दाखिले के लिए फिट है।
स्कूल मैनेजर विनोद रात्रा ने कहा ' अनन्या अपने भाई-बहन से ज्यादा प्रतिभावान है। हमें स्कूलों के जिला इंस्पेक्टर से उसे नौवीं कक्षा में दाखिला देने की अनुमति मांगी थी। हमने उसके भाई-बहनों का केस उन्हें बताया था। हमें विश्वास था कि अनुमति मिल जाएगी और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि उसे यहां नि:शुल्क शिक्षा मिले।'
संयोग से सुषमा पांच साल की थी जब उसे इसी स्कूल में कक्षा नौवीं में दाखिला मिला था। तेज बहादुर ने कहा कि उनके बच्चों ने कभी भी ट्यूशन नहीं ली क्योकि वह इसे अफोर्ड नहीं कर सकते थे।
अनन्या की मां छाया कहती हैं 'अनन्या बहुत जल्दी चीजों को सीख जाती है। वह कोई भी किताब उठाती है और उसे पढ़ने लग जाती है। उसने रामायण भी पढ़ी है और उसे याद भी है। वह एक शांत बच्ची है और कभी भी डिमांड नहीं करती।'
तीनों विलक्षण बच्चों के बारे में तेज बहादुर कहते हैं 'यह भगवान का उपहार है। हमारे बच्चे पढ़ना चाहते थे और मैं अच्छी शिक्षा का खर्चा वहन नहीं कर सकता था इसलिए शायद भगवान ने उन्हें यह असाधारण प्रतिभा दी है। मेरे बच्चों ने अपने पिता के लिए भविष्य बनाया है क्योंकि उनकी नाम के कारण ही मुझे नौकरी मिली।'
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