जाली शैक्षिक प्रमाणपत्र बनवाकर नौ लोगों ने मंडल के राजकीय माध्यमिक विद्यालय में शिक्षक की नौकरी हासिल कर ली। फैजाबाद की डॉ. राममनोहर लोहिया यूनिवर्सिटी और यूपी बोर्ड के मेरठ परिक्षेत्र से कराए गए सत्यापन में इनके शैक्षिक प्रमाणपत्र फर्जी होने की पुष्टि हो गई।
इन शिक्षकों की नियुक्ति पिछले साल एलटी ग्रेड (स्नातक वेतनक्रम) में सहायक अध्यापक के पद पर की गई थी। इनकी ओर से प्रस्तुत किए गए शैक्षिक प्रमाणपत्रों की मेरिट के आधार पर इनका चयन हुआ और इन्हें संयुक्त शिक्षा निदेशक ने नियुक्तिपत्र जारी करके बरेली मंडल के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में तैनात कर दिया गया था, जहां ये कार्यरत थे। इस बीच इनके सारे शैक्षिक प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराया गया। इनमें से कुछ के स्नातक और बीएड के प्रमाणपत्र फैजाबाद की डॉ. राममनोहर लोहिया यूनिवर्सिटी से जारी किए गए दर्शाए गए थे लेकिन यूनिवर्सिटी ने सत्यापन में उन्हें फर्जी बताया है। वहीं, यूपी बोर्ड के मेरठ परिक्षेत्र कार्यालय की ओर से आए सत्यापन में पाया गया है कि इनमें से कुछ शिक्षकों की ओर से प्रस्तुत की गई हाईस्कूल और इंटरमीडिएट अंक तालिकाओं के नंबरों में अंतर पाया गया। मेरिट हाई करने के लिए अंकतालिकाओं में संशोधन करके नंबर बढ़ाए गए हैं।
सत्यापन के बाद इन शिक्षकों को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दिया गया। इनमें से कुछ तो पक्ष रखने के लिए उपस्थित नहीं हुए और बाकी ने अपने प्रमाणपत्र सही होने का मौखिक दावा किया, जिनके प्रमाणपत्रों के सत्यापन की पुष्टि कराई गई। इसके बाद इनकी नियुक्ति निरस्त कर उनके खिलाफ मुकदमे को तहरीर दी गई है।
-शिवप्रकाश द्विवेदी, संयुक्त शिक्षा निदेशक
-विष्णु कुमार सिंह पुत्र रनवीर सिंह, निवासी बढ़ौला, पटियाली, कासगंज। राजकीय उच्चतर माध्यमिक विषलय सरसवा, शाहजहांपुर में कार्यरत थे। स्नातक और बीएड के प्रमाणपत्र फर्जी मिले।
-अशोक कुमार पुत्र रामलाल, निवासी मधुपुरी, नादेमऊ, कन्नौज। राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बारीलालपुर, शाहजहांपुर में कार्यरत थे। स्नातक और बीएड के प्रमाणपत्र फर्जी मिले।
-शैलेंद्र कुमार यादव पुत्र विश्राम सिंह, निवासी मकरंदपुर, कन्नौज। राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नौगाई, शाहजहांपुर में कार्यरत थे। स्नातक और बीएड के प्रमाणपत्र फर्जी मिले।
-राजीव कुमार पुत्र सुर्जन सिंह, निवासी मकरंदापुर, कन्नौज। राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय परौथी, बरेली में कार्यरत थे। बीएड का प्रमाणपत्र फर्जी मिला।
-रेखा रानी, निवासी चौखंडा फर्रुखाबाद। राजकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्योलड़िया, बरेली में कार्यरत थीं। स्नातक का प्रमाणपत्र फर्जी मिला।
-सुधा अरुण, निवासी बागपुर, औरेया। राजकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पिपरौला, शाहजहांपुर में कार्यरत थीं। स्नातक और बीएड के प्रमाणपत्र फर्जी मिले।
-शीतल भारद्वाज पुत्र अनिल कुमार निवासी चिनौरा, मिरहची, एटा। राजकीय इंटर कालेज गभियाई, बदायूं में कार्यरत थे। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के नंबरों में भिन्नता पाई गई।
-संजीव कुमार उपाध्याय पुत्र ओमप्रकाश निवासी जिन्हेरा, मिरहची, एटा। राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नौगाई, शाहजहांपुर में कार्यरत थे। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के नंबरों में भिन्नता पाई गई।
-सुमित कुमार उपाध्याय पुत्र ओमप्रकाश निवासी जिन्हेरा, मिरहची, एटा। राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय लुईचा, पीलीभीत में कार्यरत थे। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के नंबरों में भिन्नता पाई गई।
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- बेसिक शिक्षा अधिकारी के इस कदम से अध्यापकों में मची खलबली
इन शिक्षकों की नियुक्ति पिछले साल एलटी ग्रेड (स्नातक वेतनक्रम) में सहायक अध्यापक के पद पर की गई थी। इनकी ओर से प्रस्तुत किए गए शैक्षिक प्रमाणपत्रों की मेरिट के आधार पर इनका चयन हुआ और इन्हें संयुक्त शिक्षा निदेशक ने नियुक्तिपत्र जारी करके बरेली मंडल के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में तैनात कर दिया गया था, जहां ये कार्यरत थे। इस बीच इनके सारे शैक्षिक प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराया गया। इनमें से कुछ के स्नातक और बीएड के प्रमाणपत्र फैजाबाद की डॉ. राममनोहर लोहिया यूनिवर्सिटी से जारी किए गए दर्शाए गए थे लेकिन यूनिवर्सिटी ने सत्यापन में उन्हें फर्जी बताया है। वहीं, यूपी बोर्ड के मेरठ परिक्षेत्र कार्यालय की ओर से आए सत्यापन में पाया गया है कि इनमें से कुछ शिक्षकों की ओर से प्रस्तुत की गई हाईस्कूल और इंटरमीडिएट अंक तालिकाओं के नंबरों में अंतर पाया गया। मेरिट हाई करने के लिए अंकतालिकाओं में संशोधन करके नंबर बढ़ाए गए हैं।
सत्यापन के बाद इन शिक्षकों को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दिया गया। इनमें से कुछ तो पक्ष रखने के लिए उपस्थित नहीं हुए और बाकी ने अपने प्रमाणपत्र सही होने का मौखिक दावा किया, जिनके प्रमाणपत्रों के सत्यापन की पुष्टि कराई गई। इसके बाद इनकी नियुक्ति निरस्त कर उनके खिलाफ मुकदमे को तहरीर दी गई है।
-शिवप्रकाश द्विवेदी, संयुक्त शिक्षा निदेशक
- परमादेश याचिका 167/2015 : ये सबसे पहली याचिका है जिसमे article 21 A का उल्लेख था : हिमांशु राणा
- 09 अगस्त 2016 : सात सूत्रीय मांग पत्र पर विधान सभा के समीप जी पी ओ पार्क में धरना
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-विष्णु कुमार सिंह पुत्र रनवीर सिंह, निवासी बढ़ौला, पटियाली, कासगंज। राजकीय उच्चतर माध्यमिक विषलय सरसवा, शाहजहांपुर में कार्यरत थे। स्नातक और बीएड के प्रमाणपत्र फर्जी मिले।
-अशोक कुमार पुत्र रामलाल, निवासी मधुपुरी, नादेमऊ, कन्नौज। राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बारीलालपुर, शाहजहांपुर में कार्यरत थे। स्नातक और बीएड के प्रमाणपत्र फर्जी मिले।
-शैलेंद्र कुमार यादव पुत्र विश्राम सिंह, निवासी मकरंदपुर, कन्नौज। राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नौगाई, शाहजहांपुर में कार्यरत थे। स्नातक और बीएड के प्रमाणपत्र फर्जी मिले।
-राजीव कुमार पुत्र सुर्जन सिंह, निवासी मकरंदापुर, कन्नौज। राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय परौथी, बरेली में कार्यरत थे। बीएड का प्रमाणपत्र फर्जी मिला।
-रेखा रानी, निवासी चौखंडा फर्रुखाबाद। राजकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्योलड़िया, बरेली में कार्यरत थीं। स्नातक का प्रमाणपत्र फर्जी मिला।
-सुधा अरुण, निवासी बागपुर, औरेया। राजकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पिपरौला, शाहजहांपुर में कार्यरत थीं। स्नातक और बीएड के प्रमाणपत्र फर्जी मिले।
-शीतल भारद्वाज पुत्र अनिल कुमार निवासी चिनौरा, मिरहची, एटा। राजकीय इंटर कालेज गभियाई, बदायूं में कार्यरत थे। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के नंबरों में भिन्नता पाई गई।
-संजीव कुमार उपाध्याय पुत्र ओमप्रकाश निवासी जिन्हेरा, मिरहची, एटा। राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नौगाई, शाहजहांपुर में कार्यरत थे। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के नंबरों में भिन्नता पाई गई।
-सुमित कुमार उपाध्याय पुत्र ओमप्रकाश निवासी जिन्हेरा, मिरहची, एटा। राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय लुईचा, पीलीभीत में कार्यरत थे। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के नंबरों में भिन्नता पाई गई।
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