धर्मेश अवस्थी, इलाहाबाद : प्रदेश में गुपचुप तरीके से आठ सौ शिक्षकों की नियुक्तियां कर ली गई हैं। यह कार्य इतने गोपनीय तरीके से हुआ कि संबंधित जिले में ही नहीं बल्कि उसी स्कूल के अन्य शिक्षकों को भी भनक नहीं लगी। निर्देशों को धता बताकर जिलों में नियुक्तियों के विज्ञापन नहीं निकले।
प्रदेश के अशासकीय जूनियर हाईस्कूलों में शिक्षकों की कमी को देखते हुए तय न्यूनतम मानक के तहत शैक्षिक पदों को भरने के आदेश 2015 में ही हुए। इसके पहले अशासकीय सहायता प्राप्त 2888 जूनियर हाईस्कूलों में प्रधानाध्यापक एवं सहायक अध्यापकों की कमी सामने आई। शासन ने पदों की संख्या तय करने के बजाए सीधी भर्ती से न्यूनतम मानक पूरा करने का आदेश दिया। शिक्षा निदेशक बेसिक डीबी शर्मा ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों को सीधी भर्ती करने के लिए अधिकृत किया था। पहले भर्ती की प्रक्रिया 31 मार्च, 2016 तक पूरा करने की मियाद तय की थी, लेकिन वह पूरी नहीं हो सकी।
शासन ने बाद में भर्ती पूरी करने की मियाद बढ़ाकर 31 जुलाई 2016 कर दी। इसके बाद बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने आंखे बंद करके ताबड़तोड़ नियुक्तियां शुरू कर दी। जिलों में नियुक्तियों से पहले विज्ञापन तक नहीं निकाले गए, बल्कि साठगांठ करके चहेतों को प्रधानाध्यापक एवं सहायक अध्यापक के रूप में तैनाती दे गई। नियुक्ति से पूर्व अनुभव प्रमाणपत्र का अभिलेखों से मिलान तक नहीं किया गया। ऐसे ही शिक्षकों की योग्यता में भी नियम टूटे। प्रदेश के देवरिया, आगरा, बलिया, चंदौली, वाराणसी आदि जिलों में नियमों के बजाए बीएसए की ही चली। ऐसे ही अन्य जिलों में भी नियम तार-तार हुए। रायबरेली के कुछ विद्यालयों में तो बिना निर्देश के ही लिपिक भी तैनात हो गए हैं। उधर, बेसिक शिक्षा के अपर निदेशक विनय कुमार पांडेय ने बताया कि शासन ने एक विद्यालय में प्रधानाध्यापक, चार सहायक अध्यापक का मानक पूरा किए जाने के निर्देश थे। उनमें तमाम नियुक्तियां हुई हैं व शिकायतें बहुत हैं।
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कहां कितने शिक्षक नियुक्त
मंडल प्रधानाध्यापक स. अध्यापक
मेरठ 05 33
आगरा 06 35
बरेली 03 22
इलाहाबाद 10 64
वाराणसी 15 67
लखनऊ 11 46
गोरखपुर 21 51
झांसी 06 32
देवीपाटन 02 22
फैजाबाद 12 32
मुरादाबाद 01 31
कानपुर 18 50
आजमगढ़ 15 64
सहारनपुर 02 35
मिर्जापुर 03 08
बस्ती 10 28
चित्रकूट 03 12
अलीगढ़ 04 21
कुल 147 653
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प्रदेश के अशासकीय जूनियर हाईस्कूलों में शिक्षकों की कमी को देखते हुए तय न्यूनतम मानक के तहत शैक्षिक पदों को भरने के आदेश 2015 में ही हुए। इसके पहले अशासकीय सहायता प्राप्त 2888 जूनियर हाईस्कूलों में प्रधानाध्यापक एवं सहायक अध्यापकों की कमी सामने आई। शासन ने पदों की संख्या तय करने के बजाए सीधी भर्ती से न्यूनतम मानक पूरा करने का आदेश दिया। शिक्षा निदेशक बेसिक डीबी शर्मा ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों को सीधी भर्ती करने के लिए अधिकृत किया था। पहले भर्ती की प्रक्रिया 31 मार्च, 2016 तक पूरा करने की मियाद तय की थी, लेकिन वह पूरी नहीं हो सकी।
शासन ने बाद में भर्ती पूरी करने की मियाद बढ़ाकर 31 जुलाई 2016 कर दी। इसके बाद बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने आंखे बंद करके ताबड़तोड़ नियुक्तियां शुरू कर दी। जिलों में नियुक्तियों से पहले विज्ञापन तक नहीं निकाले गए, बल्कि साठगांठ करके चहेतों को प्रधानाध्यापक एवं सहायक अध्यापक के रूप में तैनाती दे गई। नियुक्ति से पूर्व अनुभव प्रमाणपत्र का अभिलेखों से मिलान तक नहीं किया गया। ऐसे ही शिक्षकों की योग्यता में भी नियम टूटे। प्रदेश के देवरिया, आगरा, बलिया, चंदौली, वाराणसी आदि जिलों में नियमों के बजाए बीएसए की ही चली। ऐसे ही अन्य जिलों में भी नियम तार-तार हुए। रायबरेली के कुछ विद्यालयों में तो बिना निर्देश के ही लिपिक भी तैनात हो गए हैं। उधर, बेसिक शिक्षा के अपर निदेशक विनय कुमार पांडेय ने बताया कि शासन ने एक विद्यालय में प्रधानाध्यापक, चार सहायक अध्यापक का मानक पूरा किए जाने के निर्देश थे। उनमें तमाम नियुक्तियां हुई हैं व शिकायतें बहुत हैं।
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कहां कितने शिक्षक नियुक्त
मंडल प्रधानाध्यापक स. अध्यापक
मेरठ 05 33
आगरा 06 35
बरेली 03 22
इलाहाबाद 10 64
वाराणसी 15 67
लखनऊ 11 46
गोरखपुर 21 51
झांसी 06 32
देवीपाटन 02 22
फैजाबाद 12 32
मुरादाबाद 01 31
कानपुर 18 50
आजमगढ़ 15 64
सहारनपुर 02 35
मिर्जापुर 03 08
बस्ती 10 28
चित्रकूट 03 12
अलीगढ़ 04 21
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