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रोज-रोज नियमों में परिवर्तन से फंसी शिक्षक भर्ती, परिवर्तन की वजह से चयन प्रक्रिया को लेकर नए विवाद खड़े

इलाहाबाद। असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती की नियमावली में रोजाना हो रहे परिवर्तन की वजह से चयन प्रक्रिया को लेकर नए विवाद खड़े हो गए हैं। भर्ती प्रक्रिया के बीच में नियमों में परिवर्तन से विश्वविद्यालयों तथा नियुक्ति
संस्थाओं के सामने भी चुनौती खड़ी हो गई है। कई भर्तियां तो बीच में ही रोकनी पड़ीं।
बदलावों का आलम यह है कि उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में ही आवेदन के दौरान दो बार परिवर्तन करना पड़ा।
विगत एक वर्ष में ही योग्यता को लेकर कई आदेश हो चुके हैं। नियमावली 2016 के अनुसार 2009 नौ से पहले पीएचडी करने वाले अभ्यर्थियों के लिए पांच मानक तय कर दिए गए हैं। इन मानकों को पूरा करने वालों को नेट से छूट दी जाएगी। इसी तरह से असिस्टेंट प्रोफेसर तथा नेट के लिए परास्नातक में 55 फीसदी अंक की अनिवार्यता है। एससी और एसटी अभ्यर्थियों को पांच फीसदी की छूट मिलेगी। नई नियमावली में ओबीसी अभ्यर्थियों को भी परास्नातक में पांच प्रतिशत छूट देने का प्रावधान किया गया है। यानी, परास्नातक में 50 फीसदी अंक पाने वाले ओबीसी अभ्यर्थी नेट तथा असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए आवेदन कर सकते हैं। उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने विज्ञापन संख्या 47 के अंतर्गत दोनों संशोधन कर लिए लेकिन इलाहाबाद विश्वविद्यालय समेत कई संस्थानों में इसे लागू नहीं किया गया। अभ्यर्थी कोर्ट जाने की तैयारी में हैं।
दो भर्ती हो चुकी है निरस्त
नियमाें में लगातार बदलाव का असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों को भारी कीमत चुकानी पड़ी है। उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की ओर से विज्ञापन संख्या 44 और 45 के अंतर्गत असिस्टेंट प्रोफेसर के तकरीबन एक हजार पदों के लिए आवेदन मांगे गए लेकिन नियमों के दांवपेंच में दोनों भर्तियां निरस्त कर दी गईं। अब उन पर नए सिरे से भर्ती की जाएगी।
2010 से शुरू है बदलावों का सिलसिला
यूजीसी ने असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट तथा प्रोफेसर पद पर भर्ती के लिए 2010 में विस्तृत नियमावली बनाई। उसमें नेट-जेआरएफ अनिवार्य योग्यता रही। फिर न्यायालय के आदेश पर यूजीसी की नियमावली-2009 के अनुसार पीएचडी के लिए निर्धारित 11 में से छह मानक पूरा करने वालों को नेट से छूट देने का प्रावधान लागू किया गया। अब नई नियमावली के अनुसार सभी मानक पूरा करने वाले अभ्यर्थियों को नेट से छूट मिलेगी। इसके अलावा 2009 से पहले पंजीकृत पीएचडी अभ्यर्थियाें के लिए पांच मानक तय किए गए। उसे पूरा करने वाले नेट से छूट पाने के हकदार होंगे।
एपीआई को लेकर फिर संशोधन
यूजीसी की 2010 नियमावली के अनुसार शिक्षकों की भर्ती में एकेडमिक परफारमेंस इंडीकेटर (एपीआई) स्कोर का प्रावधान लागू किया गया। इसमें भी लगातार परिवर्तन जारी है। नियमावली 2016 में फिर परिवर्तन किया गया है। इसके अंतर्गत यूजीसी से मान्य जरनल पर ही नंबर मिलेंगे। ऐसे जरनल जल्द सूचीबद्ध किए जाएंगे। इसके अलावा यूजीसी ने सेमिनार, कांफ्रेंस आदि के लिए भी मानक तय कर दिए हैं। इससे पहले गली-गली में जरनल के प्रकाशन की शिकायत के बाद यूजीसी ने अधिकतम नंबर निर्धारित कर दिए थे।
गुड एकेडमिक रिकार्ड के मानक पर नया विवाद
असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए परास्नातक में 55 फीसदी अंक अनिवार्य है। ओबीसी, एससी, एसटी के अभ्यर्थियों को नियमानुसार छूट है। इसके अलावा यूजीसी ने गुड एकेडमिक रिकार्ड की शर्त लगाई है। यह विश्वविद्यालयाें को तय करना है। गौर करने वाली बात यह है विश्वविद्यालय के स्तर पर इसे समय-समय पर परिवर्तित किया जाने लगा है। इसे लेकर भी विवाद बढ़ गया है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में परास्नातक छोड़ अन्य कक्षाएं न्यूनतम द्वितीय श्रेणी में पास होने का प्रावधान किया गया था लेकिन अब 50 फीसदी कर दिया गया है। इसी तरह से अन्य विश्वविद्यालयों में भी परिवर्तन किए गए हैं।
‘यूजीसी ने मानक में लगातार परिवर्तन किए। इससे भर्ती प्रक्रिया प्रभावित हुई। कानूनी लड़ाई में भी फंस जाती है। इसके विपरीत कई बिंदुओं पर ये परिवर्तन अपरिहार्य भी हो जाते हैं लेकिन विश्वविद्यालय में मानक बदलना चिंता का विषय है। एक-दो साल में ही गुड एकेडमिक रिकार्ड का मानक में परिवर्तन अच्छा नहीं है।’
प्रो.एके श्रीवास्तव, एफआरडीसी के पूर्व चेयरमैन तथा डीन साइंस
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