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Blog Editor : अब समस्त भर्तियों का भविष्य सर्वोच्च न्यायालय तय करेगा

आज जूनियर विद्यालयों में शिक्षक भर्ती एवं उससे जुडी समस्त भर्तियों पर अपने-अपने हितानुसार कयास लगाए गए,कसीदे पढ़े गए । जबकि इस सन्दर्भ में वास्तविकता यह है कि पिछले पांच वर्षों में हुई समस्त भर्तियों का भविष्य अब सर्वोच्च न्यायालय तय करेगा ।
इसके अतिरिक्त और कुछ भी सत्य नहीं है । परिषदीय विद्यालयों में न्युक्ति पाए अथवा न्युक्ति से वंचित सभी अभ्यर्थियों का समाधान अब सर्वोच्च न्यायालय से होना है । निःसंदेह सभी अभ्यर्थियों में उन अभ्यर्थियों को अधिक संकट का सामना करना पड़ रहा है जो इस समय वेतन नहीं पा रहें हैं । यदि सभी का विवाद लम्बित ही है तो यह पक्षपात न केवल संकट पैदा कर रहा है बल्कि हम आपस में लड़ते और उलझते जा रहें हैं । खैर, जो भी हो और जैसा भी हो हमें इसी सिस्टम के साथ रहना है । कल शीर्ष कोर्ट कौन सा फैसला देती है और कौन विद्यालय जाता है या फिर कौन सडक पर, यह तो भविष्य तय करेगा लेकिन हमारे-आपके बीच के लोग ही एक-दूसरे को नीचा दिखा रहें हैं जो कदापि उचित नहीं है । जो भी चयनित अथवा अचयनित हैं उन सभी को एक बात हमेशा ध्यान रखनी चाहिए कि 'समय बड़ा बलवान' है , कल हम एक साथ विद्यालय अथवा सडक दोनों पर मिल सकते हैं । वैचारिक भिन्नता और अपने उद्देश्य(नौकरी) की लड़ाई लडिए, लड़ना ही चाहिए पर मर्यादा में । इस टीईटी-एकेडमिक के राजनीति के चक्कर में आपसी सम्बन्ध न बर्बाद करें। अगर आपका कोई साथी आपसे अलग विचारधारा रखता है तो इसका कदापि यह मतलब नहीं हैं कि वो आपसे किसी मामले में निम्नतर है ।सरदार भगत सिंह कम्यूनिस्ट विचारधारा रखते थे, बिस्मिल आर्यसमाजी थे, और सब के सब देशभक्त थे। यहाँ हम सभी की देशभक्ति विद्यालयों में गुणवत्ता सुधार हेतु योग्य अध्यापकों के चयन से है ।अत: उद्देश्य एवं वैचारिक भिन्नता के बावजूद मकसद एक है ।कल माननीय सर्वोच्च न्यायालय से मिलने वाला सडक हो या विद्यालय हम-आप ही एक दूसरे के काम आयेंगे । कहीं ऐसा न हो कि आपका तर्क तो जीत जाए और आप सम्बन्ध हार कर अकेले रह जाएं ।
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