सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया, अर्न्तजनपदीय तबादले व पदोन्नति में बरती गई लापरवाही

रायबरेली। उत्तर प्रदेश के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों में सबसे ज्यादा विवादित और दागी बीएसए की नियुक्ति रायबरेली में होने से शिक्षा का बंटाढार हो रहा हैं। शिक्षा के प्रति समर्पित सपा सरकार के युवा मुख्यमंत्री की मंशा जिले में तार-तार हो रही हैं।
बीते एक वर्ष से शिक्षा के स्तर में जो बढ़ोत्तरी हुई थी वह शून्य पर पहुंच गई हैं। जिस मंशा के साथ बीएसए के रूप में जीएस निरंजन की तैनाती की गई वह सफल नहीं हो पा रही हैं। खुद को कभी बेसिक शिक्षा मंत्री तो कभी प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा का खास बताने वाले बीएसए पर अब तक कोई कार्रवाई न होना, उनके बड़बोलेपन की पुष्टि करता हैं।
हालांकि बेसिक शिक्षा मंत्री और प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा पर जनता को पूर्ण विश्वास हैं किन्तु यहां कार्रवाई क्यों नहीं हो रही हैं यह समझ से परे हैं। अपनी तैनाती से ही बेसिक शिक्षा विभाग को विवादित करने वाले बीएसए द्वारा सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया, अर्न्तजनपदीय तबादले व पदोन्नति में बरती गई लापरवाही सामने आ गई हैं। स्कूलों में बिना पद सृजन के ही शिक्षकों को तैनाती दे दी गई। 555 शिक्षकों में से 202 से ज्यादा शिक्षकों ने संशोधन के लिए आवेदन किया। बीएसए ने मन-मुताबिक स्कूल मांगने वालों के जरिए मोटी रकम आवंटन कर दिया। ऐसे तमाम कारनामे हैं जो जीएस निरंजन की कार्यशैली को संदिग्ध और सवालों के घेरे में खड़े करते हैं।

आईटीआई कालोनी में किराए का कमरा लेकर बीएसए वहीं से कार्यालय को संचालित करते हैं। मातहत इतना परेशान हैं कि वह अपने कार्यों से कन्नी काट रहे हैं। सरकारी कार्यक्रमों के लिए कोई एडवांस लेने को तैयार नहीं हैं। सहायता प्राप्त विद्यालयों की नियुक्तियों में भी बड़ा खेल किया गया हैं। लगातार बीएसए के काले कारनामों की खबरें प्रकाशित होने के बाद भी शासन संज्ञान क्यों नहीं ले रहा हैं? अब यह सवाल जनहित में लोग उठाने लगे हैं। लोगों की मानें तो बीएसए का कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा क्योंकि शासन में उनकी ऊंची पकड़ हैं। स्कूलों का शैक्षिक स्तर पूरी तरह से गिर गया हैं।

शिक्षा में सुधार की दिशा में अब तक एक भी कदम बीएसए ने नहीं उठाया हैं। संशोधन में एक करोड़ के लगभग रकम वसूले जाने की चर्चा बेसिक शिक्षा विभाग परिसर से लेकर जनपद के गांवों तक हैं। वसूली की यह रकम कहां खर्च हुई और किसको बांटी गई ? इस पर बहस छिड़ गई हैं, लोग अब शासन की कार्रवाई के इंतजार में हैं।
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