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टीईटी के बिना राजकीय स्कूलों में एलटी ग्रेड भर्ती पर सवाल

राजकीय विद्यालयों में प्रस्तावित 9342 एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अनदेखी पर सवाल उठ रहे हैं। नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार कानून-09 में कक्षा एक से आठ तक की कक्षाओं के लिए शिक्षक भर्ती में टीईटी अनिवार्य है।

राजकीय विद्यालयों में एलटी ग्रेड शिक्षक कक्षा 6 से 10 तक के बच्चों को पढ़ाते हैं। इसलिए अभ्यर्थी इस भर्ती में भी टीईटी को शामिल किए जाने की मांग कर रहे हैं। शिक्षक भर्ती में योग्यता तय करने वाली राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने भी टीईटी को अनिवार्य माना है।
दिसंबर 2014 में एनसीटीई ने एक आरटीआई के जवाब में साफ बताया था कि उत्तर प्रदेश के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में एलटी ग्रेड शिक्षकों की नियुक्ति के लिए बीएड प्रशिक्षुओं को टीईटी पेपर टू (उच्च प्राथमिक स्तर) पास करना अनिवार्य है।
बिना टीईटी पेपर टू पास किए किसी भी बीएड पास अभ्यर्थी की एलटी ग्रेड शिक्षक के रूप में नियुक्ति नहीं की जा सकती। इस संबंध में एनसीटीई ने राज्य सरकार को निर्देश भी जारी किए लेकिन माध्यमिक शिक्षा विभाग ने नई भर्ती का जो प्रस्ताव भेजा, उसमें टीईटी का कहीं जिक्र नहीं है।
अक्तूबर में कैबिनेट से मंजूर की गई उत्तर प्रदेश अधीनस्थ शिक्षा (प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी) सेवा (चतुर्थ संशोधन) नियमावली 2016 में भी टीईटी अनिवार्यता को शामिल नहीं किया गया है।
इनका कहना है
9342 एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत खोले गए उच्चीकृत माध्यमिक विद्यालयों के लिए की जा रही है। इसमें टीईटी को शामिल नहीं किया गया है और न ही शासन से कोई निर्देश मिले हैं।
रमेश कुमार, अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा
परीक्षा से भर्ती के लिए घेराव करेंगे प्रतियोगी
इलाहाबाद। राजकीय विद्यालयों में 9342 एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती एकेडमिक रिकार्ड की बजाय परीक्षा के जरिए करने की मांग को लेकर प्रतियोगी छात्र 13 दिसंबर को शिक्षा निदेशालय का घेराव करेंगे। टीजीटी-पीजीटी मोर्चा के अध्यक्ष रिंकू सिंह ने बताया कि परीक्षा ही चयन का उचित आधार है।
चयन बोर्ड ने बिना टीईटी लिए आवेदन
इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने भी एडेड कॉलेजों में टीजीटी (प्रशिक्षित स्नातक) भर्ती 2016 के लिए बिना टीईटी आवेदन लिए हैं। ये शिक्षक भी कक्षा 6 से 10 तक के बच्चों को पढ़ाएंगे। ऐसे में एनसीटीई की अधिसचूना का कोई मतलब नहीं रह गया है। 
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