जानिए क्या है धारणाधिकार(LIEN) का मूल नियम 13 व 14 : नवीन सेवा मे स्थायी रूप से नियुक्त होने तक पूर्व सेवा के स्थायी पद पर रहता है धारणाधिकार

साथियों  हम में से कई मित्रों का अपने विभाग में ही अन्य पद पर या अन्य विभागों में किसी पद पर चयन होने पर कई मित्रों की जिज्ञासा रही है कि वो नये पद पर कार्यभार  ग्रहण करने के बाद, अगर उस पद से असंतुष्ट रहे तो वर्तमान पद पर वापस लौट सकते हैं या नहीं ?
उनको मैं सलाह देता हूँ कि वो वर्तमान सेवा से त्यागपत्र देने के बजाये वित्तीय नियम संग्रह खण्ड-II भाग 2 से 4 में संकलित सेवा नियमों मूल नियम 13 व 14 के तहत कार्यमुक्त होकर अन्य पद पर कार्यभार ग्रहण करें जिससे उनका धारणाधिकार मूल पद पर उस समय तक बना रहेगा जब तक वो नये पद पर परिवीक्षा अवधि पूरी कर स्थायी रूप से नियुक्त नहीं हो जाते। नये पद पर स्थायी रूप से नियुक्त होने के बाद उनका धारणाधिकार निलम्बित कर दिया जाएगा।
इस संबंध मे कुछ जनपदों के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा निर्गत किये गये आदेश



• धारणाधिकार (LIEN) :-                                                                                     (मूल नियम 9 (13))
•                किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा किसी स्थायी पद को मौलिक रूप से धारण करने के अधिकार को धारणाधिकार कहते हैं।
•                इसका तात्पर्य किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा किसी स्थायी पद को या तो तुरन्त अथवा उसकी अनुपस्थिति की अवधि या अवधियों के समाप्त होने पर मौलिक रूप से ग्रहण करने के अधिकार से है। इसमें वह सावधि पद (टेन्योर पोस्ट) भी सम्मिलित है, जिस पर वह मौलिक रूप से नियुक्त किया गया हो।

स्थानापन्न (OFFICIATE) :-                                                                              (मूल नियम 9 (19))
•                कोई सरकारी कर्मचारी स्थानापन्न रूप से तब कार्य करता है जब वह उस पद की ड्यूटी करता है जिस पर दूसरे व्यक्ति का धारणाधिकार (लियन) हो। किन्तु यदि सरकार उचित समझे तो वह एक सरकारी कर्मचारी को ऐसे रिक्त पद पर स्थानापन्न रूप से नियुक्त कर सकती है जिस पर किसी दूसरे सरकारी कर्मचारी का धारणाधिकार (लियन) न हो।

पद पर नियुक्ति :-
•    (i)    दो या उससे अधिक सरकारी कर्मचारी एक ही समय में एक ही स्थायी पद पर स्थायी रूप से नियुक्त नहीं किये जा सकते।                                                                                         (मूल नियम 12 (क))
•    (ii)    केवल अस्थायी प्रबन्ध को छोड़कर कोई सरकारी कर्मचारी दो या उससे अधिक पदों पर एक ही समय में स्थायी रूप से नियुक्त नहीं किया जा सकता।                                                       (मूल नियम 12(ख))
•    (iii)    किसी सरकारी कर्मचारी को ऐसे पद पर स्थायी रूप से नियुक्त नहीं किया जा सकता जिस पर किसी सरकारी कर्मचारी का धारणाधिकार हो।                                                                 (मूल नियम 12 (ग))


धारणाधिकार कब तक -                                                                                           (मूल नियम 13)
•         जब तक किसी स्थायी पद पर स्थायी रूप से नियुक्त सरकारी कर्मचारी का धारणाधिकार कतिपय दशाओं के अन्तर्गत निलम्बित अथवा स्थानान्तरित नहीं कर दिया जाता उस पर उसका धारणाधिकार रहता है।
•         (क)    जब तक वह उस पद की ड्यूटी करता रहे।
•         (ख)    जब वह बाह्य सेवा में हो या किसी अस्थायी पद पर नियुक्त हो या किसी दूसरे पद पर स्थानापन्न रूप से कार्य कर रहा हो।
•         (ग)    दूसरे पद पर स्थानान्तरित होने पर कार्यभार ग्रहण काल में जब तक कि वह स्थायी रूप से किसी निम्न वेतन वाले पद पर स्थानान्तरित नहीं हो जाय और उस दशा में उसका धारणाधिकार भी उसी तिथि से स्थानान्तरित हो जाता है जिस तिथि से वह अपने पुराने पद से कार्यमुक्त हो जाता है।
•         (घ)    जब वह छुट्टी पर हो (नियम 86 या 86 क के अधीन जैसी भी दशा से स्वीकृत की गई छुट्टी को छोड़कर) और
•         (च)    जब वह निलम्बित हो।
• (iii)    धारणाधिकार का निलम्बन -                                                                           (मूल नियम 14)
•            निम्नलिखित दशाओं में किसी सरकारी सेवक का धारणाधिकार निलम्बित किया जा सकता है :-                                                                                                                   (मूल नियम 14 (क))
• 1.    यदि सरकारी सेवक स्थायी रूप से नियुक्त हो जाय-
•    क-    किसी सावधि पद पर,
•    ख-    अपने संवर्ग से बाहर किसी स्थायी पद पर,
•   ग-    अनन्तिम रूप से किसी ऐसे पद पर जिस पर दूसरे सरकारी सेवक का धारणाधिकार हो उसका धारणाधिकार बना रहता है, यदि उसका धारणाधिकार निलम्बित न किया जाता।
• 2.   सरकार अपने विकल्प पर किसी स्थायी पद पर स्थायी रूप से नियुक्त सरकारी कर्मचारी के लियन को निलम्बित कर सकती है यदि वह भारत से बाहर प्रतिनियुक्ति पर चला जाये या वाह्य सेवा में स्थानान्तरित हो जाय। यदि उक्त परिस्थितियों में सरकारी सेवक को 3 वर्ष तक वापस आने की सम्भावना न हो, तो उस पद पर किसी दूसरे कर्मचारी को प्रोविजनल पर्मानेन्ट किया जा सकता है। किन्तु उसके वापस आ जाने पर जिस कर्मचारी को प्रोविजनल पर्मानेन्ट किया जायेगा वह पुन: अस्थायी हो जायेगा यदि इस बीच में किसी अन्य स्थायी रिक्ति में उसे स्थायी न कर दिया गया हो।                                                 (मूल नियम 14 (ख))
• 3.    किसी भी परिस्थिति में किसी भी सरकारी सेवक का एक सावधि पद से लियन निलम्बित नहीं किया जा सकेगा। यदि वह किसी अन्य स्थायी पद पर स्थायी रूप से नियुक्त हो जाता है तो सावधि पद पर उसका धारणाधिकार समाप्त कर देना चाहिए।                                                                (मूल नियम 14 (ग))
• 4.     यदि यह संज्ञान में हो कि किसी सरकारी कर्मचारी का अपने संवर्ग से बाहर स्थानान्तरण हो गया हो, अपने स्थानान्तरण के 3 वर्ष के भीतर ही अधिवर्षता पेंशन पर सेवा निवृत्त होने वाला है तो स्थायी पद से उसका लियन निलम्बित नहीं किया जा सकता।          (मूल नियम 14 के सम्बन्ध में राज्यपाल का आदेश)
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