नई दिल्ली। सरकारी एवं निजी स्कूलों में तैनात 11 लाख अप्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षण देने के लिए केंद्र दो अक्तूबर से महाअभियान शुरू करने जा रहा है।
करीब ढाई साल पीछे चल रहे इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए शिक्षकों को कॉलेजों में प्रशिक्षण के अलावा ऑनलाइन और डीटीएच चैनलों के जरिये कोर्स कराए जाएंगे। इस प्रशिक्षण के बाद डिप्लोमा और डिग्री देने का कार्य इग्नू या अन्य राज्य मुक्त विश्वविद्यालयों के जरिये किया जाएगा।
देश के सरकारी एवं निजी स्कूलों में तैनात 11 लाख अप्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षण देने के लिए केंद्र सरकार दो अक्तूबर से महाअभियान शुरू करने जा रही है। करीब ढाई साल पीछे चल रहे इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए शिक्षकों को कॉलेजों में प्रशिक्षण के अलावा ऑनलाइन और डीटीएच चैनलों के जरिये भी कोर्स कराए
जाएंगे।शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीई) के तहत शिक्षकों के लिए पेशेवर योग्यता जरूरी है। लिहाजा इस प्रशिक्षण के बाद डिप्लोमा और डिग्री देने का कार्य इग्नू या अन्य राज्य मुक्त विश्वविद्यालयों के जरिये किया जाएगा। इसके लिए वे बाकायदा परीक्षा आयोजित करेंगे। वैसे तो 31 मार्च 2015 तक सभी सेवारत शिक्षकों को यह योग्यता हासिल करनी थी, लेकिन मानव संसाधन विकास मंत्रलय ने कहा है कि अभी भी 11 लाख शिक्षक ऐसे हैं, जो बिना पेशेवर योग्यता के स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। अब 31 मार्च 2019 तक इन्हें पेशेवर योग्यता हासिल करनी है। मंत्रलय के अनुसार, सरकारी स्कूलों में तैनात तीन लाख अप्रशिक्षित शिक्षकों को पिछले सात सालों में प्रशिक्षित किया गया है। इसके अलावा डेढ़ लाख शिक्षकों ने एक साल का प्रशिक्षण पूरा कर लिया है, जबकि एक साल का बाकी है। वहीं, सरकारी स्कूलों में 2.5 लाख शिक्षक ऐसे हैं जो अभी तक पेशेवर कोर्स नहीं कर पाए हैं, जबकि निजी स्कूलों में ऐसे शिक्षकों की संख्या सात लाख है। कानून के तहत उन्हें भी पेशेवर योग्यता तय समय में हासिल करनी होगी।
बीएड, बीएलएड के कोर्स जरूरी: मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के अनुसार, इन शिक्षकों को डीएलएड, बीएलएड या बीएड के कोर्स करने होंगे। प्राथमिक विद्यालयों के लिए डीएलएड या बीएलएड कोर्स होना चाहिए, जबकि उच्च प्राथमिक विद्यालयों के लिए बीएड करना जरूरी है।
आरटीई एक अप्रैल 2010 में लागू हुआ था। कानून के प्रावधानों के मुताबिक 31 मार्च 2015 तक सभी सेवारत शिक्षकों को पेशेवर कोर्स करना था, लेकिन प्रशिक्षण संस्थानों की कमी के चलते लक्ष्य पूरा नहीं हुआ। अवधि आगे बढ़ाने के लिए अभी मानसून सत्र में इसका संशोधन विधेयक संसद में पारित हुआ है।
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करीब ढाई साल पीछे चल रहे इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए शिक्षकों को कॉलेजों में प्रशिक्षण के अलावा ऑनलाइन और डीटीएच चैनलों के जरिये कोर्स कराए जाएंगे। इस प्रशिक्षण के बाद डिप्लोमा और डिग्री देने का कार्य इग्नू या अन्य राज्य मुक्त विश्वविद्यालयों के जरिये किया जाएगा।
देश के सरकारी एवं निजी स्कूलों में तैनात 11 लाख अप्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षण देने के लिए केंद्र सरकार दो अक्तूबर से महाअभियान शुरू करने जा रही है। करीब ढाई साल पीछे चल रहे इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए शिक्षकों को कॉलेजों में प्रशिक्षण के अलावा ऑनलाइन और डीटीएच चैनलों के जरिये भी कोर्स कराए
जाएंगे।शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीई) के तहत शिक्षकों के लिए पेशेवर योग्यता जरूरी है। लिहाजा इस प्रशिक्षण के बाद डिप्लोमा और डिग्री देने का कार्य इग्नू या अन्य राज्य मुक्त विश्वविद्यालयों के जरिये किया जाएगा। इसके लिए वे बाकायदा परीक्षा आयोजित करेंगे। वैसे तो 31 मार्च 2015 तक सभी सेवारत शिक्षकों को यह योग्यता हासिल करनी थी, लेकिन मानव संसाधन विकास मंत्रलय ने कहा है कि अभी भी 11 लाख शिक्षक ऐसे हैं, जो बिना पेशेवर योग्यता के स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। अब 31 मार्च 2019 तक इन्हें पेशेवर योग्यता हासिल करनी है। मंत्रलय के अनुसार, सरकारी स्कूलों में तैनात तीन लाख अप्रशिक्षित शिक्षकों को पिछले सात सालों में प्रशिक्षित किया गया है। इसके अलावा डेढ़ लाख शिक्षकों ने एक साल का प्रशिक्षण पूरा कर लिया है, जबकि एक साल का बाकी है। वहीं, सरकारी स्कूलों में 2.5 लाख शिक्षक ऐसे हैं जो अभी तक पेशेवर कोर्स नहीं कर पाए हैं, जबकि निजी स्कूलों में ऐसे शिक्षकों की संख्या सात लाख है। कानून के तहत उन्हें भी पेशेवर योग्यता तय समय में हासिल करनी होगी।
बीएड, बीएलएड के कोर्स जरूरी: मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के अनुसार, इन शिक्षकों को डीएलएड, बीएलएड या बीएड के कोर्स करने होंगे। प्राथमिक विद्यालयों के लिए डीएलएड या बीएलएड कोर्स होना चाहिए, जबकि उच्च प्राथमिक विद्यालयों के लिए बीएड करना जरूरी है।
आरटीई एक अप्रैल 2010 में लागू हुआ था। कानून के प्रावधानों के मुताबिक 31 मार्च 2015 तक सभी सेवारत शिक्षकों को पेशेवर कोर्स करना था, लेकिन प्रशिक्षण संस्थानों की कमी के चलते लक्ष्य पूरा नहीं हुआ। अवधि आगे बढ़ाने के लिए अभी मानसून सत्र में इसका संशोधन विधेयक संसद में पारित हुआ है।
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