लखनऊ. इलाहाबाद हाईकोर्ट
ने परिषदीय विद्यालयों में 72,825 सहायक अध्यापकों की भर्ती को खारिज करने
की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा है की इस प्रकरण
का सुप्रीम कोर्ट से निस्तारण हो चुका है।
लिहाजा याचीगण के पास नियुक्ति
शासनादेश और विज्ञापन को चुनौती देने का विकल्प नहीं रह गया है। कोर्ट के
अनुसार सर्वोच्च न्यायलय ने रिक्त रह गए पदों पर नया विज्ञापन जारी कर
नियुक्तियां करने का निर्देश दिया है। प्रदेश सरकार इस निर्देश के अनुसार
कार्रवाई करे।
जस्टिस का क्या कहना है
मुख्य न्यायमूर्ति डीबी भोसले एवं
न्यायमूर्ति एमके गुप्ता की खंडपीठ ने कहा कि प्रकरण का सर्वोच्च अदालत से
निस्तारण हो चुका है ऐसे में याचियों के पास शासनादेश और विज्ञापन को
चुनौती देने का विकल्प नहीं रह गया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने रिक्त रह
गए पदों के लिए नया विज्ञापन जारी कर नियुक्तियां करने को कहा है इसलिए
राज्य सरकार उसके तहत कार्रवाई करे।
विज्ञापन को रद्द करने की मांग की गई थी
मिथलेश कुमार व कई अन्य की याचिका में
72,825 सहायक अध्यापकों की भर्ती के 27 सितंबर 2011 को जारी शासनादेश और 30
नवम्बर 2011 के विज्ञापन को रद्द करने की मांग की गई थी। कहा गया था कि
शासनादेश व विज्ञापन संविधान केअनुच्छेद 14 व 16 के विपरीत हैं इसलिए इसे
असंवैधानिक घोषित करते हुए रद्द करने की मांग की गई थी। कहा गया कि इस
विज्ञापन के तहत 66,655 सहाक अध्यापकों का चयन हो चुका है।
याची भी भर्ती प्रक्रिया में शामिल हुए थे लेकिन सफल नहीं हुए। इस मामले को लेकर दाखिल विशेष अपील पर हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षक भर्ती नियमावली का 15वां संशोधन रद्द कर दिया था, जिसमें क्वालिटी प्वाइंट मार्क्स के आधार पर नियुक्ति का प्रावधान किया गया था। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई लेकिन सर्वोच्च अदालत ने 15वं संशोधन को सही करार देते हुए नियुक्तियों को वैध माना था।
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