इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को प्रदेश
के प्राइमरी स्कूलों में 72,825 सहायक अध्यापकों की भर्ती में रिक्त 7654
पदों को भरने के प्रत्यावेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने वेद प्रकाश व 15 अन्य की याचिका
को निस्तारित करते हुए दिया है। हाईकोर्ट ने उनसे उम्मीद जताई है कि भर्ती
की पूरी प्रक्रिया नियमानुसार पूरी कर ली जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने शिव
कुमार पाठक केस में सरकार को सभी पद भरने का आदेश दिया है। पदों को भरने
में देरी होने पर यह याचिका दाखिल की गई थी।
याची का कहना है कि 43,077 अभ्यर्थियों ने प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया
है। 15,058 अभ्यर्थी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। 14,690 पद अब भी रिक्त
हैं। चयन के लिए आरक्षित वर्ग में 60 व सामान्य वर्ग का 70 फीसदी अंक होना
जरूरी है। बताया जा रहा है कि कुल 66,655 पद भरे गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने
रिक्त पदों को भरने की छूट दी है। 25 जुलाई 2017 को सुनाए गए सुप्रीम कोर्ट
के इस फैसले पर अब तक पूरी तरह अमल नहीं हो सका है। कोर्ट ने सरकार को
आदेश का पालन करने का निर्देश दिया है।
पिछली भर्ती की बची सीटों पर सुनवाई 27 को
इलाहाबाद हाईकोर्ट में 2013 की 35,500 पुलिस भर्ती में बची सीटों पर
नियुक्ति की मांग को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 27 मार्च की
तिथि तय की है। कोर्ट ने राज्य सरकार से इस बात की जानकारी मांगी है कि वह
मौजूदा भर्ती में पिछली भर्ती की बची सीटों पर नियुक्ति कर सकती है या
नहीं। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति डीबी भोसले व न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की
खंडपीठ ने दिया। कोर्ट ने आरक्षित कोटे की 2312 बची सीटों को कैरी फारवर्ड
करने का निर्णय लिया था। लेकिन बाद में फैसला वापस ले लिया। जिसे याचिकाओं
में चुनौती दी गयी।
जवाब दाखिल न होने पर प्रमुख सचिव नियुक्ति हाईकोर्ट में तलब
इलाहाबाद हाईकोर्ट में 2013 की 35,500 पुलिस भर्ती में बची सीटों पर
नियुक्ति की मांग को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 27 मार्च की
तिथि तय की है। कोर्ट ने राज्य सरकार से इस बात की जानकारी मांगी है कि वह
मौजूदा भर्ती में पिछली भर्ती की बची सीटों पर नियुक्ति कर सकती है या
नहीं। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति डीबी भोसले व न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की
खंडपीठ ने दिया। कोर्ट ने आरक्षित कोटे की 2312 बची सीटों को कैरी फारवर्ड
करने का निर्णय लिया था। लेकिन बाद में फैसला वापस ले लिया। जिसे याचिकाओं
में चुनौती दी गयी।
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