स्कूल बंद, शिक्षक गायब, बीईओ नहीं दे पाए जवाब: ध्वस्त हो रही शिक्षा व्यवस्था, जिला प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान, नए सत्र के बीते 16 दिन, नया एडमीशन नाम मात्र

बाराबंकी : दिन पर दिन जिले के परिषदीय विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था गिरती जा रही है। जागरण टीम के रियलिटी चेक में शिक्षकों की मनमानी और अफसरों की मॉनीटरिंग खुलकर सामने आई। देखा गया कि कुछ स्कूल बंद थे तो कुछ में शिक्षक गायब मिले।
बच्चों की पढ़ाई चल नहीं रही थी, शिक्षक आपस में बातें करते मिले। नए बच्चों का प्रवेश हुए नहीं थे। बच्चों के भविष्य के साथ जितना हो सकता था, शिक्षकों ने खिलवाड़ किया। यही कारण है कि बच्चे परिषदीय विद्यालयों को छोड़कर निजी विद्यालयों का सहारा ले रहे हैं, जबकि सरकारी स्कूलों में सिर्फ कागजी कार्रवाई हो रही है। इस मामले में बीईओ कोई जवाब नहीं दे पाए बस यह कहकर फोन काट दिया कि कार्रवाई होगी।
समय 10:30 बजे 1नईसड़क : विकास खंड सिद्धौर के प्राथमिक विद्यालय पूरेपाठक में देखा गया तो स्कूल में ताला लगा हुआ था। ग्रामीणों से मालूम किया गया तो बताया कि शिक्षक आज आए ही नहीं, बच्चे सहारा देखकर लौट गए हैं। 110:35 बजे 1नईसड़क: सिद्धौर के पूर्व माध्यमिक विद्यालय पूरेपाठक का हाल देखा गया तो यह विद्यालय अनुदेशकों के सहारे चल रहा है। यहां अनुदेश भावना शुक्ला, आरती कमरे में बैठी मिली। दस बच्चे मौजूद मिले, लेकिन ऐसे ही बैठे थे। नया एडमीशन हुआ नहीं, जबकि पुराने बच्चे 50 पंजीकृत है। 111:40 बजे नईसड़क : प्राथमिक विद्यालय मवैया में प्रधानाध्यापक सत्यप्रकाश मिले, शिक्षा मित्र राकेश नहीं थे। यहां 53 बच्चों में सात बच्चे जमीन पर बैठे थे। दो कमरों में काफी गंदगी थी। हैंडपंप है नहीं, बच्चे काफी दूर जाकर पानी पीते हैं। 1 समय 11:55 बजे। प्राथमिक विद्यालय टांडा में सहायक अध्यापक संजीव कुमार मिले, विद्यालय में एक भी बच्चा नहीं था, सहायक अध्यापक ने बताया कि बच्चे घर जा चुके हैं, छुट्टी कर दी गई है। यहां 67 बच्चे पुराने पंजीकृत हैं और दो नये एडमीशन हुए हैं। रसोईघर में कुत्ता बैठा हुआ था, सहायक अध्यापक से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि मैं कुत्ता भागने के लिए स्कूल में नहीं हूं। 1समय 12:19 1बजे। प्राथमिक विद्यालय धारूपुर में 11 बच्चों का नया एडमीशन हुआ है। यहां देखा गया कि प्रधानाध्यापक दिग्विजय सिंह, शिक्षा मित्र दिव्या और संतोष स्कूल के ऑफिस में बैठे थे, 83 बच्चों में 35 बच्चे कक्षा में बैठा हुए थे, उन्हें कोई पढ़ाने वाला नहीं था। शिक्षकों ने बताया कि लंच का समय, इसलिए ऑफिस में बैठा हूं।