इलाहाबाद : पीसीएस 2018 को यूपीएससी के पैटर्न पर कराने के लिए उप्र लोकसेवा आयोग शासन से मंजूरी का इंतजार कर रहा है। एसडीएम के पदों के अधियाचन की भी शासन से अपेक्षा है, जबकि आयोग पीसीएस की लगातार तीन सत्रों की परीक्षाओं का विवाद ङोल रहा है।
इनमें पीसीएस 2015 की तो सीबीआइ जांच चल रही है वहीं पीसीएस 2016 और पीसीएस 2017 की प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम हाईकोर्ट से हुए निर्देश के बाद फंस गया है। विशेषज्ञों के चयन में हो रही चूक के चलते आयोग पर लगातार उठती अंगुली से पीसीएस 2018, यूपीएससी के पैटर्न पर कराए जाने की बात बेमानी है। 1बुधवार को ही आयोग के सचिव जगदीश ने पीसीएस 2017 परीक्षा के अभ्यर्थियों को बातचीत के दौरान बताया था कि पीसीएस 2018 की अधिसूचना एसडीएम के पद का अधियाचन शासन से प्राप्त होने पर जारी की जाएगी। वहीं यूपीएससी के पैटर्न पर आधारित पाठ्यक्रम कार्मिक मंत्रलय से मंजूरी के लिए लंबित होने की जानकारी दी थी। आयोग ने अभ्यर्थियों की जिज्ञासा तो शांत कर दी लेकिन, बड़ा सवाल है कि यूपीएससी के जैसे विशेषज्ञों का चयन करने के लिए आयोग कौन सी रणनीति अपनाने जा रहा है, जबकि विशेषज्ञों के चलते ही पीसीएस की पिछली तीन परीक्षाएं विवादों से घिर गईं। आयोग ने पीसीएस 2018 की परीक्षा 26 जून को निर्धारित की है। जिसे यूपीएससी यानी संघ लोक सेवा आयोग के पैटर्न पर कराया जाना है। गौरतलब है कि संघ लोक सेवा आयोग से होने वाली परीक्षाएं गैर विवादित रही हैं और उप्र लोकसेवा आयोग की अधिकतर परीक्षाएं विवादों से घिर ही हैं। प्रतियोगियों की मानें तो उप्र लोक सेवा आयोग योग्य विशेषज्ञों का चयन नहीं कर पा रहा है। ऐसे में परीक्षाओं में विवाद उत्पन्न कर उप्र लोक सेवा आयोग अभ्यर्थियों का जीवन अंधकारमय कर रहा है.
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