उत्तर प्रदेश में 22 लाख राज्य कर्मचारियों ने 8 जून को हड़ताल पर जाने का
ऐलान किया है. दरअसल कर्मचारी वेतन विसंगति, सेवानिवृत्त की सीमा बढ़ाने,
मेडिकल कैशलेस सेवा का लाभ सभी कर्मचारियों को मिलने को मांग को लेकर नाराज
हैं. ऐलान किया गया है कि 16 मई को सभी जनपद मुख्यालय पर मोटरसाइकिल रैली
निकाली जाएगी. इस दौरान मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा जाएगा.
वहीं 7 और 8 जून को दो दिवसीय कामबंदी रहेगी.
कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष वीपी मिश्र ने इस दौरान
मुख्यमंत्री को अंतिम विनम्र चेतावनी दी कि 8 जून के पहले 19 सितम्बर 2016
के सहमतियों के अनुपालन शासनादेश निर्गत नहीं किया गया तो दो दिवसीय कार्य
बहिष्कार को आगे बढ़ाने के लिए बाध्य होना पड़ेगा.
दरअसल कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा उत्तर प्रदेश की प्रदेशीय
कार्यकारिणी की बैठक गुरुवार को वीपी मिश्र की अध्यक्षता में जवाहर भवन,
इंदिरा भवन प्रांगण में हुई. इस दौरान राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उप्र,
राज्य कर्मचारी महासंघ, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी महासंघ, निगम कर्मचारी
महासंघ, स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ, जवाहर भवन इन्द्रा भवन कर्मचारी
महासंघ, माध्यमिक शिक्षक संघ, शिक्षणेत्तर कर्मचारी महासंघ, फेडरेशन ऑफ
फॉरेस्ट, विकास प्राधिकरण कर्मचारी महासंघ, मिनिस्टीरियल फेडरेशन आदि
सम्बद्ध संगठनों के पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया.
संयुक्त मोर्चा के संयोजक सतीश पांडेय ने बताया कि बैठक में नाराज़गी व्यक्त
की गई कि 5 बार मुख्यमंत्री और मुख्यसचिव को आंदोलन की नोटिस भेजी गई.
इसमें मांग की गई कि 19 सितम्बर 2016 को तत्कालीन मुख्यसचिव राहुल भटनागर
द्वारा बैठक करके मांगो पर जो निर्णय लिया गया था, उस पर सार्थक निर्णय
लेकर शासनादेश जारी किया जाए. बैठक में आक्रोश व्यक्त किया गया कि प्रदेश
के मुखिया द्वारा पिछले एक साल से प्रदेश के लाखों कर्मचारियों एवं
शिक्षकों की उपेक्षा की जा रही है, उससे कर्मचारी आहत हैं. उनकी वर्तमान
सरकार से विश्वास ही उठ गया है.
उन्होंने
कहा कि कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों की भांति वेतन व
भत्ते नही मिल पायें हैं. जिसके कारण लगभग 2000 रुपये का प्रतिमाह का
नुकसान हो रहा है. पुरानी पेंशन की बहाली भी नहीं की जा रही है. रिक्त पदों
पर भर्तियां बन्द हैं. आउटसोर्सिंग के कर्मचारियों के सम्बंध में स्थाई
नीति व समायोजन के सम्बंध में कार्यवाही लम्बित है. सेवानिवृत्त आयु 62
वर्ष करने और कैशलेस इलाज लागू नहीं हो पा रहा है. यही नहीं संगठनों की
समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है इसीलिए कर्मचारी दुखी हैं.
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