UPPSC: विशेषज्ञ चयन में खरा नहीं उतर पा रहा लोक सेवा आयोग, प्रश्नों पर आपत्तियों के लगे ढेर

इलाहाबाद : परीक्षाओं के लगातार विवादित होने के बाद भी उप्र लोक सेवा आयोग विशेषज्ञ चयन में खरा नहीं उतर पा रहा है। पीसीएस 2017 (प्रारंभिक) में प्रश्नों व उत्तर को लेकर उठे विवाद और सहायक सांख्यिकीय अधिकारी (स्क्रीनिंग) परीक्षा 2014 में पांच प्रश्न रद कर देने के ताजा उदाहरण हैं।
आरओ-एआरओ (प्रारंभिक) परीक्षा 2017 को लेकर आपत्तियों के ढेर लगे हैं। हालांकि इसकी उत्तर कुंजी आयोग से अभी जारी नहीं हुई है। छवि धूमिल होने के बाद भी आयोग अयोग्य विशेषज्ञों के चयन की परिपाटी को नहीं बदल पा रहा है। विशेषज्ञ चयन के लिए आयोग में कई चरण अपनाए जाते हैं। परीक्षा नियंत्रक स्वयं परीक्षा समिति की अनुमति से विशेषज्ञों का चयन करता है। इसके सचिव आयोग को सूचना देता है और विशेषज्ञ के मानदेय की मांग करता है। सचिव की अनुमति को शासन मान ले इसकी बाध्यता नहीं है लेकिन, अमूमन शासन इसे मान ही लेता है। परीक्षा समिति में अध्यक्ष और सदस्य होते हैं। विशेषज्ञ चयन पर निर्णय बहुमत से नहीं बल्कि सर्वसम्मति से होते हैं। पिछले सालों में भी ऐसे विशेषज्ञों का चयन होता रहा है जिनसे परीक्षाएं प्रभावित हुईं। पूर्व अध्यक्ष अनिल यादव, पूर्व परीक्षा नियंत्रक प्रभुनाथ, पूर्व सचिव रिजवानुर्रहमान पर मनमाने ढंग से विशेषज्ञ चयन के आरोप लगे हैं। अब वह अधिकारी तो आयोग में नहीं रहे लेकिन, उनकी बनाई गई परिपाटी जरूर कायम है।सूत्र बताते हैं कि पिछले चार से पांच साल में उन्हीं लोगों का बतौर विशेषज्ञ चयन किया गया तो अनिल यादव, प्रभुनाथ के इशारे पर चलें। योग्य विशेषज्ञों को हतोत्साहित किया गया ताकि वे आयोग स्वयं ही छोड़ दें। जानकारों का कहना है कि कई विशेषज्ञ आयोग में अपमानित हुए और उन्होंने आयोग जाना ही छोड़ दिया।