*_🚩माननीय उच्च न्यायालय में पैरा टीचर अपग्रेडेड एज टीचर के रूप में 38878/- रूपये की मांग पर दाखिल कोर्ट ऑफ़ कंटेम्प्ट की मेरी रिट संख्या - 3121 /2018 पर अगली सुनवाई 06 सितम्बर 2018 को है। आप सब धैर्य रखें।कुटिल साजिश और भ्रामक प्रचार से इस रिट का कोई अहित नहीं हुआ है।भोलेनाथ काशी विश्वनाथ की कृपा से हम जीत रहे और जीतेगे।_*
*_🚩प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा को माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने शिक्षामित्र/ अपग्रेडेड पैराटीचर प्रकरण पर ससमय संज्ञान न लेने पर व्यक्तिगत तलब किया।_*
*_शिक्षामित्रों को पैराटीचर अपग्रेडेड एज टीचर के रूप में 38,878/- रूपये प्रतिमाह देने के प्रत्यावेदन पर दाखिल याचिका संख्या 6464/2018 में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश/ निर्देश की ससमय अनुपालन न करने पर मुख्य याची शिवपूजन सिंह द्वारा कोर्ट ऑफ कन्टेम्प्ट की रिट संख्या 3112/2018 30 मई 2018 को माननीय न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता श्री वी0पी0 सिंह एवं श्री विवेक कुमार सिंह के द्वारा दाखिल की गयी। जिसके सुनवाई के क्रम में आज माननीय न्यायाधीश श्री इरशाद अली महोदय द्वारा बेसिक शिक्षा सचिव से स्पष्ट रूप से यह पूछते हुए कि क्यों न आपके खिलाफ माननीय न्यायालय की अवमानना का मामला दर्ज किया जाय? यदि सम्बन्धित उच्चाधिकारी के द्वारा तीन सप्ताह में याची का प्रत्यावेदन निस्तारित नहीं किया जाता तो प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा को व्यक्तिगत रूप से अदालत में हाजिर होना पड़ेगा।_*
*_गौरतलब है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 26 जुलाई, 2017 को उ0प्र0 सरकार द्वारा प्राथमिक विद्यालय में शिक्षामित्र से सहायक अध्यापक के पद पर एक लाख सैंतीस हजार शिक्षा मित्रों का समायोजन रद्द कर दिया। माननीय न्यायालय के आदेश के अनुपालन की आड़ में 1 अगस्त, 2017 से प्रदेश सरकार द्वारा सूबे के समस्त शिक्षामित्रों को मात्र दस हजार रूपये 11 माह संविदा कर्मी के रूप में दिया जा रहा है, जो कि न्यायोचित नहीं है। याची शिवपूजन सिंह एवं अन्य ने फरवरी 2017 में एक याचिका वरिष्ठ अधिवक्ता वी0पी0 सिंह एवं विवेक कुमार सिंह के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में दाखिल किया। याचीगणों द्वारा पैराटीचर के रूप में 38,878 रूपये प्रतिमाह 12 महीने मानदेय के रूप में देने की मांग की गयी।_*
*_राइट टू एजूकेशन एक्ट लागू होने के बाद एम0एच0आर0डी0 एवं एन0सी0ई0टी0 से यानि केन्द्र सरकार ने स्नातक योग्यताधारी शिक्षामित्रों को जिनकी प्रदेश में संख्या एक लाख चौबीस हजार थी को ही (डी बी0टी0सी0) प्रशिक्षण की अनुमति प्रदान किया। परन्तु प्रदेश सरकार द्वारा प्रशिक्षण की संख्या एवं अनुमति में त्रुटि की प्रशिक्षित स्नातक शिक्षामित्रों को केन्द्र सरकार की अनुमति के अनुसार नियमित (स्थाई) करना था। परन्तु राज्य सरकार ने एक लाख सैंतीस हजार शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक के रूप मं नियुक्ति करते हुए समायोजन का नाम दिया। जो कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निरस्त कर दिया गया। राज्य सरकार ने शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के रूप में नियुक्त करके केन्द्र सरकार के अनुमति के अनुसार ही गलत सूचना प्रेषित की। केन्द्र सरकार को समायोजित शिक्षामित्रों की संख्या 121063 की संख्या को पैराटीचर अपग्रेडेड एज टीचर बताया और प्रदेश में 137000 सहायक अध्यापक की नियुक्ति कर दिया।_*
*_केन्द्र सरकार ने 15 मई 2017 के स्नातक पूर्ण प्रशिक्षित इन्हीं शिखामित्रों यानी पैराटीचर अपग्रेडेड एज टीचर 121063 संख्या को ही 38878/- रूपये प्रतिमाह मानदेय पूर्ण वर्ष देने का बजट राज्य को प्रदान किया। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद NCET नई दिल्ली ने वर्ष 2011 से उ0प्र0 में कार्यरत प्रशिक्षित पैरा टीचरों का वेतन नियमित शिक्षकों की तरह दिये जाने की संस्तुति की है और NCET द्वारा 14 जनवरी 2011 को पत्र संख्या 3953/79- 5/2011 के द्वारा 1.24 लाख स्नातक उत्तीर्ण शिक्षा मित्रों को डीबीटीसी का प्रशिक्षण प्रदान करने की अनुमति राज्य सरकार को प्रदान किया। जिसकी वैधता मा0 उच्च न्यायालय एवं मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रमाणित हो चुकी है। उ0प्र0 के 121063 शिक्षामित्र/ पैराटीचर इस श्रेणी में आते हैं, जिनका भारत सरकार द्वारा 38,878/- रूपये प्रतिमाह 12 माह का शिक्षण सत्र 2017-18 के लिए निर्गत हुआ है, जिसकी पुष्टि PAB की रिपोर्ट से हो चुका है। परन्तु राज्य सरकार द्वारा समस्त शिक्षामित्रों को एक ही श्रेणी में सम्मिलित करते हुए 10 हजार रूपये प्रतिमाह दिया जा रहा है। जबकि अप्रशिक्षित शिक्षामित्र जिनकी संख्या 26563 थी को ही 10 हजार 11 महीने मानदेय देने की संस्तुति दी थी_*
*_उपरोक्त मांग के रूप में प्रत्यावेदन राज्य सरकार को याची गणों द्वारा दिया गया। परन्तु कोई भी राहत न मिलने पर माननीय उच्च न्यायालय ने याची शिवपूजन सिंह एवं अन्य के द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता वी0पी0 सिंह एवं विवेक कुमार सिंह को इंगेज करते हुए एक याचिका संख्या 6464/2018 दाखिल की गयी। माननीय न्यायाधीश महेशचन्द्र त्रिपाठी जी द्वारा 22 फरवरी 2018 को शिक्षामित्रों को पैराटीचर के रूप में केन्द्र सरकार द्वारा प्रदत्त 38,878/- रूपये प्रति माह पूर्ण वर्ष दो माह के भीतर देने का निर्देश दिया। परन्तु राज्य सरकार द्वारा माननीय उच्च न्यायालय द्वारा इलाहाबाद के आदेश/ निर्देश ससमय अनुपालन नहीं किया गया। याचीगणों द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन न करने पर एक अवमानना याचिका संख्या 3112/2018, 29 मई को दाखिल किया। जिसमें आज सुनवाई के दौरान माननीय न्यायाधीश महोदय ने उपरोक्त आदेश पारित किया।
✍🏼शिवपूजन सिंह 9415162829
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