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जानिए यूपी में PCS परीक्षा से लेकर UPTET तक कैसे 'सवालों' के फेर में फंसी है योगी सरकार

यूपी शिक्षक पात्रता परीक्षा 2018 (यूपी टीईटी 2018) में आंसर-की जारी होने के बाद सवालों पर जो आपत्तियां सामने आई हैं, उन्हें देखकर अफसरों के हाथ-पैर फूलने लगे हैं.
इसी के साथ ही इस परीक्षा के विवादों में घिरने का संकट खड़ा हो गया है. वैसे यूपी में प्रतियोगी परीक्षाओं के साथ गलतियों, विवादों का कुचक्र थमने का नाम नहीं ले रहा है. स्थिति ये है कि हर दूसरी परीक्षा कोर्ट तक पहुंच रही है.

जिस परीक्षा से अभ्यर्थियों को राहत मिलनी चाहिए, वह उलटे उन्हें परेशानी में डालती दिख रही हैं. परीक्षा में नकल, फर्जीवाड़ा तो दूर की बात अब तक स्थिति ये है कि यूपी की प्रतिष्ठित परीक्षाओं में एक दो नहीं कई सवाल गलत पूछ लिए जा रहे हैं. चाहे आप पीसीएस परीक्षा की बात कर लें या टीईटी सब विवादों में घिरी हैं.

यूपी शिक्षक पात्रता परीक्षा 2018 (यूपी टीईटी 2018) में तमाम सावधानी बरतने के बावजूद साढ़े 5 से 6 हजार आपत्तियां आई हैं. अब अभ्यर्थियों की नजर संशोधित आंसर की पर है. अगर आपत्तियों के निस्तारण के बाद भी अभ्यर्थी संतुष्ट न हुए तो वे हाईकोर्ट में याचिका दायर करेंगे. ऐसे में यूपी में अगली 68,500 शिक्षक भर्ती में देरी होना तय माना जा रहा है.

सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की ओर से 29 नवंबर तक आपत्तियों का निस्तारण किया जाना है और 30 नवंबर को संशोधित उत्तरकुंजी जारी होनी है.

उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव कहते हैं कि इस बार की टीईटी परीक्षा में 22 सवाल गलत हैं. इससे पहले टीईटी 2017 में 14 सवाल गलत हुए थे. उनमें अभ्यर्थियों को सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़नी पड़ी. मामला अभी भी हाईकोर्ट में लंबित है. अनिल यादव कहते हैं कि एक के बाद एक परीक्षा में गलत सवालों के सामने आने से सरकार की किरकिरी हो रही है. उन्होंने आरोप लगागया कि ये सीधे-सीधे उच्चाधिकारियों और अफसर की मिली भगत है, जो मामला लंबित कर रहे हैं ताकि भ्रष्टाचार कर सें. यही कारण है कि यूपी में 68500 सहायक शिक्षकों की भर्ती की जांच सीबीआई को भेज दी गई है.

अनिल यादव ने कहा कि भर्ती के इंतजार में जान चली जा रही है. सरकार को चाहिए कि जो एक्सपर्ट सवाल तैयार कर रहे हें, उनकी जांच कराए. दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए.

यूपी पीसीएस प्री 2018: बार-बार UPPSC पूछ रहा गलत सवाल, हो रही किरकिरी
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बता दें इससे पहले पीसीएस-2016, 2017 और 2018 में भी सवालों में गड़बड़ियां देखने को मिलीं. 2016 की तो मुख्य परीक्षा का परिणाम दो साल बाद इसलिए जारी किया गया, क्योंकि प्रारंभिक परीक्षा में पूछे गए गलत सवालों का मामला सुप्रीम कोर्ट तक चला गया था.

इसके बाद पीसीएस-2017 की प्रारंभिक परीक्षा में पूछे गए गलत सवालों के कारण मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया और मुख्य परीक्षा आयोजित होने में देरी हुई.

अब पीसीएस-प्री 2018 की परीक्षा में पूछे गए तीन सवालों पर अभ्यर्थियों ने सवाल खड़े कर दिए. अभ्यर्थियों ने इन सवालों के गलत विकल्प दिए जाने का आरोप लगाया. सामान्य अध्ययन प्रथम प्रश्न पत्र में पूछे गए प्रश्नों में तीन गलत सवाल पूछे जाने को लेकर अभ्यर्थी अब आयोग पर सवाल खड़े कर रहे हैं.



प्रतिष्ठित परीक्षाओं में पूछे गए सवालों का ये है हाल


पीसीएस प्री परीक्षा-2018

ए सीरीज में 21 नम्बर पर सवाल - प्रश्न के तीसरे विकल्प में अंग्रेजी में लिखा है इंडिया इज ए डिजास्टर फ्री कन्ट्री, जबकि हिन्दी में दिए गए विकल्प में लिखा है कि भारत आपदा युक्त देश है, जो कि गलत विकल्प है.

37वें नम्बर पर सवाल- भारत सरकार द्वारा महिला एवं बाल विकास के लिए स्वतन्त्र मंत्रालय कब स्थापित किया गया. अभ्यर्थियों के मुताबिक इसका सही उत्तर 2006 है, लेकिन विकल्प में 2006 का कोई विकल्प नहीं दिया गया.

138वां सवाल- विश्व प्रसिद्ध भगवान वेंकटेश्वर तिरुपति मंदिर किस पहाड़ी पर स्थित है. इस प्रश्न का सही विकल्प मौजूद ही नहीं है. अभ्यर्थियों के मुताबिक इसका सही विकल्प तिरुमला पहाड़ी है.

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