स्कूलों में बच्चों को मिलेगा नाश्ता
20 लाख रुपये से अधिक एक महीने में खर्च होंगे
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20 लाख रुपये से अधिक एक महीने में खर्च होंगे
चंदौसी। सरकारी स्कूलों में बच्चों को अभी दोपहर में भोजन दिया जाता है,
लेकिन अब एक प्रस्ताव तैयार किया गया है जिसमें सुबह का नाश्ता देने की
तैयारी है। जिले में बच्चों की संख्या का सर्वेक्षण कर लिया गया है। जिले
में 2,36,000 स्कूली बच्चे प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूलों में हैं। इसमें
करीब एक लाख बीस हजार बच्चे एक दिन में उपस्थित होते हैं।
शासन ने प्रत्येक जिले से बच्चों की संख्या का आकलन मांगा था जो संभल जिले से भी भेजा जा चुका है। राज्य सरकार इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेज रही है।
प्रस्ताव के मुताबिक सत्पाह में दो दिन नाश्ता दिया जाना है। संभल जिले में बच्चों को नाश्ते के तौर पर रामदाना और चना परमल दिए जाने का प्रस्ताव भेजा गया है।
यदि एक बच्चे को नाश्ता देने में 2 रुपये भी खर्च होते हैं तो जान लीजिए कि एक लाख बीस हजार बच्चों को नाश्ता देने पर एक दिन में 2.40 लाख रुपये एक दिन खर्च में होंगे। यानि एक सप्ताह में करीब पांच लाख और महीने में बीस लाख रुपये नाश्ता देने पर व्यय हो सकता है। यदि केंद्र सरकार इसके सापेक्ष बजट आवंटित करती है तो नाश्ता देने की योजना का संचालन हो सकेगा।
मध्याह्न भोजन प्राधिकरण को प्रस्ताव भेजा जा चुका है। मध्याह्न भोजन प्राधिकरण के जिला समन्वयक डीडी शर्मा ने बताया कि स्कूल खुलने पर नाश्ता देने पर विचार चल रहा है लेकिन यह योजना तभी क्रियान्वित हो सकेगी जब केंद्र सरकार की मंजूरी मिल सकेगी। कुछ जनपदों में नाश्ते के तौर पर पारले जी बिस्कुट, उबले चने, दूध आदि दिए जाने का प्रस्ताव है।
स्कूल खुलते ही नाश्ता और दोपहर में भोजन देने का प्रस्ताव
माध्याह्न भोजन प्राधिकरण ने मांगा था प्रस्ताव
सप्ताह में दो दिन नाश्ता देने का प्रयोग करेगा शिक्षा विभाग
शासन ने प्रत्येक जिले से बच्चों की संख्या का आकलन मांगा था जो संभल जिले से भी भेजा जा चुका है। राज्य सरकार इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेज रही है।
प्रस्ताव के मुताबिक सत्पाह में दो दिन नाश्ता दिया जाना है। संभल जिले में बच्चों को नाश्ते के तौर पर रामदाना और चना परमल दिए जाने का प्रस्ताव भेजा गया है।
यदि एक बच्चे को नाश्ता देने में 2 रुपये भी खर्च होते हैं तो जान लीजिए कि एक लाख बीस हजार बच्चों को नाश्ता देने पर एक दिन में 2.40 लाख रुपये एक दिन खर्च में होंगे। यानि एक सप्ताह में करीब पांच लाख और महीने में बीस लाख रुपये नाश्ता देने पर व्यय हो सकता है। यदि केंद्र सरकार इसके सापेक्ष बजट आवंटित करती है तो नाश्ता देने की योजना का संचालन हो सकेगा।
मध्याह्न भोजन प्राधिकरण को प्रस्ताव भेजा जा चुका है। मध्याह्न भोजन प्राधिकरण के जिला समन्वयक डीडी शर्मा ने बताया कि स्कूल खुलने पर नाश्ता देने पर विचार चल रहा है लेकिन यह योजना तभी क्रियान्वित हो सकेगी जब केंद्र सरकार की मंजूरी मिल सकेगी। कुछ जनपदों में नाश्ते के तौर पर पारले जी बिस्कुट, उबले चने, दूध आदि दिए जाने का प्रस्ताव है।
स्कूल खुलते ही नाश्ता और दोपहर में भोजन देने का प्रस्ताव
माध्याह्न भोजन प्राधिकरण ने मांगा था प्रस्ताव
सप्ताह में दो दिन नाश्ता देने का प्रयोग करेगा शिक्षा विभाग
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