आरटीई के नियम लागू करने में क्या हुई कार्रवाई
हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा से किया जवाब-तलब
लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने राज्य सरकार से पूछा है कि बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा (आरटीई) दिए जाने संबंधी कानून व इसके तहत बने नियमों को अमल में लाए जाने के मामले में क्या कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा को यह बताने के निर्देश दिए हैं कि इन नियमों व कानून को लागू करने को लेकर सरकार की क्या नीति है। कोर्ट ने इस ब्यौरे के साथ प्रमुख सचिव को छह हफ्ते में जवाबी हलफनामा दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति डॉ. धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति श्री नारायण शुक्ल की खंडपीठ ने यह आदेश लोक न्यायार्थ संस्था के महासचिव राजेश कुमार सिंह की जनहित याचिका पर दिया। इसमें आरटीई के कानून व नियमों को पूरी तरह से अमल में लाए जाने के निर्देश राज्य सरकार को दिए जाने की गुजारिश की गई है।छह से 14 साल की उम्र के बच्चों की मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा (आरटीई) के अधिकार संबंधी यह अधिनियम 2009 का है, जबकि इससे संबंधित नियम वर्ष 2011 में बने। इनके तहत इस कानून का सूबे में अमल होना है।
अदालत ने इसे लागू करने संबंधी सरकार की नीति की जानकारी प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा से तलब की है। साथ ही इस अधिनियम संबंधी नियम-4 के प्रावधानों को अमल में लाने समेत अधिनियम की अनुसूची के तहत दिए गए मानकों व तरीकों को पूरा करने में अब तक क्या कार्रवाई हुई, इसका ब्यौरा भी जवाबी हलफनामे पर तलब किया है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई छह हफ्ते बाद नियत की है।
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हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा से किया जवाब-तलब
लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने राज्य सरकार से पूछा है कि बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा (आरटीई) दिए जाने संबंधी कानून व इसके तहत बने नियमों को अमल में लाए जाने के मामले में क्या कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा को यह बताने के निर्देश दिए हैं कि इन नियमों व कानून को लागू करने को लेकर सरकार की क्या नीति है। कोर्ट ने इस ब्यौरे के साथ प्रमुख सचिव को छह हफ्ते में जवाबी हलफनामा दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति डॉ. धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति श्री नारायण शुक्ल की खंडपीठ ने यह आदेश लोक न्यायार्थ संस्था के महासचिव राजेश कुमार सिंह की जनहित याचिका पर दिया। इसमें आरटीई के कानून व नियमों को पूरी तरह से अमल में लाए जाने के निर्देश राज्य सरकार को दिए जाने की गुजारिश की गई है।छह से 14 साल की उम्र के बच्चों की मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा (आरटीई) के अधिकार संबंधी यह अधिनियम 2009 का है, जबकि इससे संबंधित नियम वर्ष 2011 में बने। इनके तहत इस कानून का सूबे में अमल होना है।
अदालत ने इसे लागू करने संबंधी सरकार की नीति की जानकारी प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा से तलब की है। साथ ही इस अधिनियम संबंधी नियम-4 के प्रावधानों को अमल में लाने समेत अधिनियम की अनुसूची के तहत दिए गए मानकों व तरीकों को पूरा करने में अब तक क्या कार्रवाई हुई, इसका ब्यौरा भी जवाबी हलफनामे पर तलब किया है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई छह हफ्ते बाद नियत की है।
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