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देखेंः हार्दिक पटेल का सेक्स विडिओ का खुलासा : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Latest updates

नई दिल्लीः केवल 22 साल की उम्र में गुजरात सरकार की नींद उड़ा देने वाले हार्दिक पटेल को दो महीने पहले तक कोई नहीं जानता था, लेकिन आज देश की गली गली और सोशल मीडिया पर उनकी ख़ासी चर्चा है। ये एक नयी बात हो सकती है लेकिन हार्दिक पटेल को लेकर भड़ास फॉर इंडिया एक ऐसा खुलासा कर रहा है जो अभी तक किसी भी मीडिया हाउस नहीं कर सका है। देश के अंदर हार्दिक को लेकर सोशल मीडिया में जिस तरह न्यूज़ वायरल हो रही है।
वही एक ऐसा वीडियो भड़ास फॉर इंडिया के हाथ लगा है जो देश में आंदोलन की आग लगा रहे हार्दिक पटेल के इस आंदोलन पर पानी फेर देने के लिए काफी है। इस वीडियो में हार्दिक पटेल एक लड़की के साथ सेक्स करने के तरीके को करते नज़र आ रहे है ये वीडियो कितने दिनों पुराना है इस बात का तो पता नहीं लेकिन हार्दिक के कई दोस्त भी इस वीडियो में उस के साथ नज़र आ रहे है। यही नहीं हार्दिक पटेल को गुजरात में काफी बदनाम माना जाता है यहाँ तक की गुजरात में अराजकता का नया चेहरा उभर कर सामने आया है जिसकी भाषा तोगड़िया सी है और कार्यशैली केजरीवाल जैसी है.. जो बंदूक और रिवोल्वर से प्यार करता है। और जिसके समर्थक ओडी तथा मर्सिडीज गाड़ियों में बैठकर आरक्षण मांगने आते है.. कानून उनके लिए कुछ भी नहीं है.. अगर उन्हें मनमानी करने से रोका जाता है। तो वे दंगा फसाद करने से भी परहेज नहीं करते है हार्दिक पटेल पर अब तक का सबसे बड़ा खुलासा भड़ास फॉर इंडिया द्वारा किया गया है। वही ये सवाल भी उठाया गया है की क्या इस तरह के वीडियो के सामने आ जाने के बाद हार्दिक पटेल का चरित्र किस तरह का है इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है। जो किसी भी उस आदमी के लिए देश की जनता को बताने के लिए काफी है की क्या इस तरह के लोगो का समर्थन किया जाना जरुरी है वैसे भी देश के लोग जातिगत आरक्षण से ऊब चुके है है और आरक्षण सिर्फ अपहिज लोगो को दिए जाने की पैरवी कर रहे है क्यों की इस आरक्षण के कारण सबसे जाएदा वो इंसान प्रभावित होता है जो काबिल होता है लेकिन आरक्षण के कारण उस को अपना हक़ नौकरी से लेकर शिक्षा तक में नहीं मिल पता आखिर इस आरक्षण को बंद क्यों नहीं किया जाता क्यों देश में आरक्षण के नाम पर राजनीती का जहर घोला जा रहा है आप को बता दे की भड़ास फॉर इंडिया लगातार उस बात का विरोध अपनी खबरों से करता रहा है जो जनहित में ठीक नहीं है रविवार को हार्दिक पटेल दिल्ही पहुंचे और कहा की पटेल समुदाय के लिए आरक्षण की मांग करने वाले हार्दिक पटेल ने अब अपने आंदोलन को गुजरात से बाहर भी फैलाने की योजना तेज कर दी है। इसी के तहत रविवार को हार्दिक ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। जहां उन्होंने साफ किया कि उनकी योजना दिल्ली के जंतर-मंतर के साथ-साथ लखनऊ में भी आंदोलन करने की है।
पटेल आरक्षण के लिए उन्होंने दूसरी जातियों से भी समर्थन मांगा। हार्दिक ने कहा कि सिस्टम अब खोखला हो गया है। साथ ही उन्होंने साफ किया कि उन्हें किसी पार्टी का समर्थन नहीं है। मैं यहां किसी मंत्री या नेता से मिलने नहीं आया हूं।गुजरात के अहमदाबाद में मंगलवार को पाटीदार समाज की महारैली में लाखों की संख्या में लोग पहुंचे। पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के नेतृत्व में आयोजित इस महारैली में लाखों पाटीदार समाज के लोग इकट्ठे हुए हैं। यह समाज राज्य सरकार से 27 प्रतिशत आरक्षण की मांग कर रहा है।हार्दिक पटेल गुजरात के कड़ी तालुका के भाजपा कार्यकर्ता भरतभाई पटेल के बेटे हैं। उन्होंने तीन साल पहले अहमदाबाद के सहजानंद कॉलेज से स्नातक किया है।
गुजरात में आबादी का पांचवां हिस्सा पटेल समुदाय का है। पटेल समुदाय आरक्षण और ओबीसी दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर पिछले कई सालों से आंदोलन कर रहा है। इस आंदोलन की कमान अब नई पीढ़ी के हार्दिक पटेल की हाथों में है। कॉमर्स छात्र हार्दिक पटेल ठान चुके हैं कि वे गुजरात में ओबीसी का दर्जा दिए जाने के मुद्दे पर चुप नहीं बैठेंगे।इसके बाद उन्होंने गुजरात में आंदोलन छेड़ दिया। उनकी अगुआई में पिछले 40 दिनों से गुजरात में आंदोलन और विरोध प्रदर्शन चल रहा है। हार्दिक पटेल के कंधे से कंधा मिलाते हुए इस संघर्ष में 10 लाख से भी अधिक लोग सड़कों पर उतर चुके हैं।उनके तेवर और मक़सद के आगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दबाव में दिखाई दे रहे हैं। इस आंदोलन ने मोदी के विकास मॉडल की हवा निकाल दी है। हार्दिक पटेल की अगुआई में चल रहा ये आंदोलन वही आंदोलन है जिसके आगे आज से 30 साल पहले गुजरात की तत्कालीन सरकार को घुटने टेकने पड़े थे।फरवरी 1985 के विधानसभा चुनाव में 148 सीटों के बहुमत के बावजूद पटेल समुदाय के सड़क पर उतर आने के कारण मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी को इस्तीफ़ा देना पड़ा था।गुजरात में पटेल समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर चले आंदोलन ने भले की केंद्र की चिंता बढ़ा दी है, मगर जातिगत जनगणना जारी करने को लेकर बन रहे दबाव को इसने जरूर हल्का कर दिया है।
सूत्रों के अनुसार सरकार अब किसी दबाव में आए बिना जाति आधारित जनगणना की रिपोर्ट अपनी सहूलियत के अनुसार जारी करेगी। सियासी हलकों में आशंका जताई जा रही है कि जातिगत आंकड़े जारी होने पर आरक्षण समर्थकों और विरोधियों के बीच राजनीतिक जंग तेज हो सकती है।
गुजरात में हार्दिक पटेल ने अपने आंदोलन के जरिए जातिगत आंकड़ों के आने के बाद के हालातों का ट्रेलर दिखा दिया है। हालांकि कुछ सियासी दल जातिगत रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग अब भी कर रहे हैं। नेहरू मेमोरियल सेंटर, नई दिल्ली के नेशनल फैलो हिमांशु राय का कहना है कि संघ एवं भाजपा की सोच कभी भी आरक्षण के पक्ष में नहीं रही। मजबूरी में इन्हें समय-समय पर आरक्षण का समर्थन करना पड़ा है।
उनका कहना है कि आरक्षण राजनेताओं की सियासत चमकाने का औजार बन गया है। राय का कहना है कि गुजरात में पटेल समुदाय संपन्न जातियों में शामिल है। उनकी संख्या सियासत पर प्रभाव डालने लायक है।ऐसे में उन्हें आरक्षण मिल जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। फिलहाल संघ-भाजपा की सोच से लगता नहीं है कि उन्हें आरक्षण मिलेगा। वहीं जातिगत जनगणना के बाद के हालातों पर राय का मानना है कि आंकडे़ आए बिना संभावना जताना ठीक नहीं है।हालांकि उन्होंने यह स्वीकार किया है कि देश के एक बड़े वर्ग में आरक्षण के खिलाफ भी आग जल रही है। वैसे गुजरात में हार्दिक के आंदोलन को इसी दबी हुई आग का हिस्सा माना जा रहा है केंद्र सरकार के रणनीतिकार भी आरक्षण की इस आग को लेकर चिंतित नजर आ रहे हैं। जबकि बिहार में चुनाव को देखते हुए जनता परिवार जातिगत आंकड़े जारी करने के लिए न केवल दबाव बना रहा है बल्कि मोदी सरकार पर सवाल भी खड़े कर रहा है।
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