आगरा (ब्यूरो)। बीएड की फर्जी मार्कशीट मामले में एसआईटी को चौंकाने वाली जानकारी मिली।
डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय ने 19 कालेजों की परीक्षा कराए बिना
मार्कशीट जारी कर दी। इसके एवज में प्रति कालेज लाखों रुपये लिए गए।
सौदेबाजी की मध्यस्थता एक डिग्री कालेज के चर्चित संचालक ने निभाई। सूत्र
बताते हैं कि यही कालेज संचालक अधिकारियों के अलावा ‘ऊपर’ अटैची पहुंचाता था।
एसआईटी को 2005-06 सत्र में 19 प्राइवेट कालेज पकड़ में आए। इन कालेजों की परीक्षा संबंधी कोई रिकार्ड विश्वविद्यालय में नहीं मिला। उत्तरपुस्तिका, छात्राें का विवरण, उनके प्रवेश पत्र तक नहीं दिखा पाए। खेल में कालेज संचालक, गोपनीय विभाग के कर्मचारी और विश्वविद्यालय के बड़े अधिकारियाें की सांठगांठ मिली। दरअसल इस सत्र की बीएड परीक्षा में 19 कालेज मानक पूरे नहीं कर पाए थे। कइयाें पर बीएड की मान्यता नहीं थी, तो कइयाें ने तय सीट से अधिक पर प्रवेश ले लिया था। गड़बड़ी पकड़ में आने पर इन्हें परीक्षा में शामिल नहीं किया। बाद में सौदा तय हुआ और बिना परीक्षा के ही सभी कालेजाें में मार्कशीट भेज दीं। एक चर्चित कालेज संचालक ने इन सभी से रुपये जुटाने का जिम्मा सौंपा गया। इस कार्य को बखूबी निभाते हुए संचालक ने अधिकारियाें के घर अटैची पहुंचाई।
चार्ट लेमिनेशन की योजना ठप
गोपनीय चार्ट में ओवरराइटिंग और हेरफेर को संज्ञान में लेते हुए तत्कालीन कुलपति प्रो. केएन जौहर ने चार्ट को लेमीनेशन करने की योजना बनाई। इसमें चरणबद्घ बीते सत्र के चार्ट के पेज को लेमिनेट किया जाना था। आने वाले सत्राें में भी यही योजना थी। इसके लिए बजट भी मंजूर हो गया था, मथुरा की कंपनी से इस कार्य की बात भी लगभग फाइनल हो चुकी थी। उनके जाने के बाद योजना ठप पड़ गई। कुलसचिव केएन सिंह ने बताया कि ऐसी योजना की उन्हें जानकारी नहीं है।
•एसआईटी की जांच में खुलासा, प्रति कालेज से लिए 50 लाख रुपये
•अधिकारियों के लिए एक कालेज संचालक ने निभाई डीलर की भूमिका
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एसआईटी को 2005-06 सत्र में 19 प्राइवेट कालेज पकड़ में आए। इन कालेजों की परीक्षा संबंधी कोई रिकार्ड विश्वविद्यालय में नहीं मिला। उत्तरपुस्तिका, छात्राें का विवरण, उनके प्रवेश पत्र तक नहीं दिखा पाए। खेल में कालेज संचालक, गोपनीय विभाग के कर्मचारी और विश्वविद्यालय के बड़े अधिकारियाें की सांठगांठ मिली। दरअसल इस सत्र की बीएड परीक्षा में 19 कालेज मानक पूरे नहीं कर पाए थे। कइयाें पर बीएड की मान्यता नहीं थी, तो कइयाें ने तय सीट से अधिक पर प्रवेश ले लिया था। गड़बड़ी पकड़ में आने पर इन्हें परीक्षा में शामिल नहीं किया। बाद में सौदा तय हुआ और बिना परीक्षा के ही सभी कालेजाें में मार्कशीट भेज दीं। एक चर्चित कालेज संचालक ने इन सभी से रुपये जुटाने का जिम्मा सौंपा गया। इस कार्य को बखूबी निभाते हुए संचालक ने अधिकारियाें के घर अटैची पहुंचाई।
चार्ट लेमिनेशन की योजना ठप
गोपनीय चार्ट में ओवरराइटिंग और हेरफेर को संज्ञान में लेते हुए तत्कालीन कुलपति प्रो. केएन जौहर ने चार्ट को लेमीनेशन करने की योजना बनाई। इसमें चरणबद्घ बीते सत्र के चार्ट के पेज को लेमिनेट किया जाना था। आने वाले सत्राें में भी यही योजना थी। इसके लिए बजट भी मंजूर हो गया था, मथुरा की कंपनी से इस कार्य की बात भी लगभग फाइनल हो चुकी थी। उनके जाने के बाद योजना ठप पड़ गई। कुलसचिव केएन सिंह ने बताया कि ऐसी योजना की उन्हें जानकारी नहीं है।
•एसआईटी की जांच में खुलासा, प्रति कालेज से लिए 50 लाख रुपये
•अधिकारियों के लिए एक कालेज संचालक ने निभाई डीलर की भूमिका
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