यूपीः शनिवार को होगा शिक्षामित्रों के भविष्य का फैसला
इलाहाबाद। बगैर टीईटी पास शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पदों पर समायोजित करने के सरकार के निर्णय के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर शुक्र्रवार को हाइकोर्ट में सुनवायी पूरी हो गई। तीन जजों की खंडपीठ ने फैसला लिखाना भी शुरू कर दिया, जो समयाभाव के कारण पूरा नहीं हो सका।
पूर्ण पीठ ने शनिवार होने के बावजूद कल (12 सितम्बर) सुबह से फैसला पूरा कराने का निर्णय किया है। यह हाईकोर्ट के इतिहास में पहली बार होगा जब शनिवार को केवल फैसले के लिए चीफ जस्टिस की कोर्ट खुलेगी। इस मामले की सुनवायी के लिए गठित पूर्णपीठ में चीफ जस्टिस डा. डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस दिलीप गुप्ता व जस्टिस यशवंत वर्मा शामिल हैं। यह पीठ चार सितम्बर से इस मामले की सुनवायी कर रही है। शनिवार को इस मामले में फैसला आने की संभावना है।
यह है मामला
प्रदेश में 1.71 लाख शिक्षामित्र हैं। इनकी नियुक्ति बिना किसी परीक्षा के ग्राम पंचायत स्तर पर मेरिट के आधार पर की गई थी। 2009 में तत्कालीन बसपा सरकार ने इनके दो वर्षीय प्रशिक्षण की अनुमति नेशनल काउंसिल फार टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) से ली। इसी अनुमति के आधार पर इन्हें दूरस्थ शिक्षा के अंतर्गत दो वर्ष का बीटीसी प्रशिक्षण दिया गया। 2012 में सत्ता में आई सपा सरकार ने इन्हें सहायक अध्यापक पद पर समायोजित करने का निर्णय लिया। पहले चरण में जून 2014 में 58,800 शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन हो गया। दूसरे चरण में जून में 2015 में 73,000 शिक्षामित्र सहायक अध्यापक बना दिए गए। तीसरे चरण का समायोजन होने से पहले ही मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया।
बीटीसी प्रशिक्षु शिवम राजन सहित कई युवाओं ने समायोजन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों के समायोजन पर रोक लगाते हुए हाईकोर्ट से विचाराधीन याचिकाओं पर अन्तिम निर्णय लेने को कहा। जिस पर यह पूर्णपीठ सुनवाई कर रही है।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
इलाहाबाद। बगैर टीईटी पास शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पदों पर समायोजित करने के सरकार के निर्णय के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर शुक्र्रवार को हाइकोर्ट में सुनवायी पूरी हो गई। तीन जजों की खंडपीठ ने फैसला लिखाना भी शुरू कर दिया, जो समयाभाव के कारण पूरा नहीं हो सका।
पूर्ण पीठ ने शनिवार होने के बावजूद कल (12 सितम्बर) सुबह से फैसला पूरा कराने का निर्णय किया है। यह हाईकोर्ट के इतिहास में पहली बार होगा जब शनिवार को केवल फैसले के लिए चीफ जस्टिस की कोर्ट खुलेगी। इस मामले की सुनवायी के लिए गठित पूर्णपीठ में चीफ जस्टिस डा. डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस दिलीप गुप्ता व जस्टिस यशवंत वर्मा शामिल हैं। यह पीठ चार सितम्बर से इस मामले की सुनवायी कर रही है। शनिवार को इस मामले में फैसला आने की संभावना है।
यह है मामला
प्रदेश में 1.71 लाख शिक्षामित्र हैं। इनकी नियुक्ति बिना किसी परीक्षा के ग्राम पंचायत स्तर पर मेरिट के आधार पर की गई थी। 2009 में तत्कालीन बसपा सरकार ने इनके दो वर्षीय प्रशिक्षण की अनुमति नेशनल काउंसिल फार टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) से ली। इसी अनुमति के आधार पर इन्हें दूरस्थ शिक्षा के अंतर्गत दो वर्ष का बीटीसी प्रशिक्षण दिया गया। 2012 में सत्ता में आई सपा सरकार ने इन्हें सहायक अध्यापक पद पर समायोजित करने का निर्णय लिया। पहले चरण में जून 2014 में 58,800 शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन हो गया। दूसरे चरण में जून में 2015 में 73,000 शिक्षामित्र सहायक अध्यापक बना दिए गए। तीसरे चरण का समायोजन होने से पहले ही मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया।
बीटीसी प्रशिक्षु शिवम राजन सहित कई युवाओं ने समायोजन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों के समायोजन पर रोक लगाते हुए हाईकोर्ट से विचाराधीन याचिकाओं पर अन्तिम निर्णय लेने को कहा। जिस पर यह पूर्णपीठ सुनवाई कर रही है।
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