इलाहाबाद।
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग, उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग, माध्यमिक
शिक्षा सेवा चयन आयोग, पुलिस भर्ती आयोगों सहित तमाम भर्तियों में
गड़बड़ियों, विवादों के चलते शहर के युवाओं में कुंठा, हताशा, अवसाद जैसी
मानसिक समस्याएं बढ़ती जा रही हैं।
स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय के साथ निजी चिकित्सालयों की ओपीडी में रोजाना पहुंचने वाले कुल मरीजों में 10 फीसदी मरीज युवा ही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पहले युवाओं की संख्या कुछ गिनी-चुनी होती थी, लेकिन अब इसमें इजाफा होता जा रहा है।
मानसिक रोग विशेषज्ञों के एक आकलन के मुताबिक शहर में दर्जन भर मानसिक रोग विशेषज्ञों की ओपीडी में करीब रोजाना करीब 600 मानसिक रोगी पहुंच रहे हैं। इनमें से 10 फीसदी युवा हैं। स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय के मानसिक रोग विभागाध्यक्ष प्रो. वीके सिंह कहते हैं कि जब से भर्ती आयोगों में गड़बड़ियां, विवाद बढ़े हैं युवाओं में अवसाद, कुंठा जैसी समस्याएं बढ़ी हैं। उनका कॅरियर दांव पर लगा है। रोजाना की ओपीडी में आने वाले कुल 60 से 70 मरीजों में छह-सात युवा मरीजों में कुंठा, हताशा जैसी परेशानियां देखने को मिल रही हैं। इनमें से कुछ युवाओं की तो काउंसलिंग की जरूरत पड़ती है जबकि कई युवाओं को कुछ दवाएं देनी पड़ रही हैं।
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर विशेष
प्रतियोगियों में कुंठा, हताशा, चिंता, अवसाद जैसी मानसिक परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। इससे युवाओं में सिरदर्द, अनिद्रा, उपापचय जैसी क्रियाएं अनियमित हो गई हैं। वे दूसरी क्रानिक बीमारियों की चपेट में भी आ रहे हैं। कई युवाओं का ब्लड प्रेशर ऊपर-नीचे हो रहा है। युवाओं को अपने बारे में सचेत रहने की जरूरत है।
प्रो. वीके सिंह, विभागाध्यक्ष, स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय
युवाओं पर वर्तमान राजनीतिक उठापटक और व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार का बुरा असर पड़ रहा है। इसका परिणाम है कि युवा कुंठा, हताशा की चपेट में आते जा रहे हैं। सरकार को इस संबंध में विशेष ध्यान देने की जरूरत है। नहीं तो इसके बुरे परिणाम सामने आ सकते हैं।
प्रो. दीपा पुनेठा, मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष, इलाहाबाद विश्वविद्यालय
स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय के साथ निजी चिकित्सालयों की ओपीडी में रोजाना पहुंचने वाले कुल मरीजों में 10 फीसदी मरीज युवा ही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पहले युवाओं की संख्या कुछ गिनी-चुनी होती थी, लेकिन अब इसमें इजाफा होता जा रहा है।
मानसिक रोग विशेषज्ञों के एक आकलन के मुताबिक शहर में दर्जन भर मानसिक रोग विशेषज्ञों की ओपीडी में करीब रोजाना करीब 600 मानसिक रोगी पहुंच रहे हैं। इनमें से 10 फीसदी युवा हैं। स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय के मानसिक रोग विभागाध्यक्ष प्रो. वीके सिंह कहते हैं कि जब से भर्ती आयोगों में गड़बड़ियां, विवाद बढ़े हैं युवाओं में अवसाद, कुंठा जैसी समस्याएं बढ़ी हैं। उनका कॅरियर दांव पर लगा है। रोजाना की ओपीडी में आने वाले कुल 60 से 70 मरीजों में छह-सात युवा मरीजों में कुंठा, हताशा जैसी परेशानियां देखने को मिल रही हैं। इनमें से कुछ युवाओं की तो काउंसलिंग की जरूरत पड़ती है जबकि कई युवाओं को कुछ दवाएं देनी पड़ रही हैं।
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर विशेष
प्रतियोगियों में कुंठा, हताशा, चिंता, अवसाद जैसी मानसिक परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। इससे युवाओं में सिरदर्द, अनिद्रा, उपापचय जैसी क्रियाएं अनियमित हो गई हैं। वे दूसरी क्रानिक बीमारियों की चपेट में भी आ रहे हैं। कई युवाओं का ब्लड प्रेशर ऊपर-नीचे हो रहा है। युवाओं को अपने बारे में सचेत रहने की जरूरत है।
प्रो. वीके सिंह, विभागाध्यक्ष, स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय
युवाओं पर वर्तमान राजनीतिक उठापटक और व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार का बुरा असर पड़ रहा है। इसका परिणाम है कि युवा कुंठा, हताशा की चपेट में आते जा रहे हैं। सरकार को इस संबंध में विशेष ध्यान देने की जरूरत है। नहीं तो इसके बुरे परिणाम सामने आ सकते हैं।
प्रो. दीपा पुनेठा, मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष, इलाहाबाद विश्वविद्यालय
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