राज्य ब्यूरो, लखनऊ : शासन ने यह तय कर दिया है कि राज्य विश्वविद्यालयों
में असिस्टेंट और एसोसिएट प्रोफेसर की भर्ती में आरक्षण का रोस्टर लागू
करने के लिए पूरे विश्वविद्यालय की बजाय अब विभाग को इकाई माना जाएगा। इस
सिलसिले में उच्च शिक्षा विभाग ने पहली अगस्त 2003 को जारी राजाज्ञा को रद
करते हुए सोमवार को नया शासनादेश जारी कर दिया है।
आरक्षण को लेकर फंसा पेंच दूर होने के बाद राज्य विश्वविद्यालयों में नौ साल बाद असिस्टेंट और एसोसिएट प्रोफेसर पदों पर भर्तियों का रास्ता खुल सकेगा। लंबे समय से भर्तियां न हो पाने के कारण राज्य विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के लगभग 40 फीसद पद खाली हैं।
राज्य सरकार की ओर से एक अगस्त 2003 को जारी शासनादेश में विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण लागू करने के लिए विश्वविद्यालय को इकाई मानने की व्यवस्था लागू थी। वर्ष 2006 में हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर कहा गया कि शासनादेश में निहित व्यवस्था के कारण गोरखपुर विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण का अनुपालन संविधान की मंशा के अनुसार नहीं हो पा रहा है।
हाईकोर्ट ने 24 जुलाई 2008 को याचिका पर फैसला सुनाते हुए शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण के लिए विश्वविद्यालय को इकाई मानने की व्यवस्था को गलत ठहराते हुए शासनादेश को निरस्त कर दिया। हाईकोर्ट के आदेश को राज्य सरकार ने विशेष अनुज्ञा याचिका के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी जिसे शीर्ष अदालत ने छह जुलाई 2015 को खारिज कर दिया। लिहाजा सरकार को पुराना शासनादेश रद करते हुए नई राजाज्ञा जारी करनी पड़ी।
अदालती लड़ाई के कारण वर्ष 2006 से विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट और एसोसिएट प्रोफेसर पदों पर भर्ती पर ग्रहण लगा हुआ था जो अब दूर हो सकेगा।
राज्य विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 1637 स्वीकृत पदों में से 600 से ज्यादा रिक्त हैं। असिस्टेंट प्रोफेसर के 1049 में से लगभग 350, एसोसिएट प्रोफेसर के 386 में से लगभग 160 और प्रोफेसर के 202 में से 105 पद रिक्त हैं। सिर्फ लखनऊ विश्वविद्यालय में ही असिस्टेंट प्रोफेसर के 319 में से 74, एसोसिएट प्रोफेसर के 135 में से 51 और प्रोफेसर के 59 में से 36 पद खाली हैं। राज्य विश्वविद्यालयों में बड़े पैमाने पर शिक्षकों के पद खाली होने की वजह से शिक्षण कार्य प्रभावित हो ही रहा है। शिक्षकों की कमी की वजह से विश्वविद्यालयों का राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) से मूल्यांकन कराने में दुश्वारियां आ रही हैं।
असिस्टेंट और एसोसिएट प्रोफेसर की भर्ती में आरक्षण की व्यवस्था बदली
ताज़ा खबरें - प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
आरक्षण को लेकर फंसा पेंच दूर होने के बाद राज्य विश्वविद्यालयों में नौ साल बाद असिस्टेंट और एसोसिएट प्रोफेसर पदों पर भर्तियों का रास्ता खुल सकेगा। लंबे समय से भर्तियां न हो पाने के कारण राज्य विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के लगभग 40 फीसद पद खाली हैं।
राज्य सरकार की ओर से एक अगस्त 2003 को जारी शासनादेश में विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण लागू करने के लिए विश्वविद्यालय को इकाई मानने की व्यवस्था लागू थी। वर्ष 2006 में हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर कहा गया कि शासनादेश में निहित व्यवस्था के कारण गोरखपुर विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण का अनुपालन संविधान की मंशा के अनुसार नहीं हो पा रहा है।
हाईकोर्ट ने 24 जुलाई 2008 को याचिका पर फैसला सुनाते हुए शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण के लिए विश्वविद्यालय को इकाई मानने की व्यवस्था को गलत ठहराते हुए शासनादेश को निरस्त कर दिया। हाईकोर्ट के आदेश को राज्य सरकार ने विशेष अनुज्ञा याचिका के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी जिसे शीर्ष अदालत ने छह जुलाई 2015 को खारिज कर दिया। लिहाजा सरकार को पुराना शासनादेश रद करते हुए नई राजाज्ञा जारी करनी पड़ी।
अदालती लड़ाई के कारण वर्ष 2006 से विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट और एसोसिएट प्रोफेसर पदों पर भर्ती पर ग्रहण लगा हुआ था जो अब दूर हो सकेगा।
राज्य विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 1637 स्वीकृत पदों में से 600 से ज्यादा रिक्त हैं। असिस्टेंट प्रोफेसर के 1049 में से लगभग 350, एसोसिएट प्रोफेसर के 386 में से लगभग 160 और प्रोफेसर के 202 में से 105 पद रिक्त हैं। सिर्फ लखनऊ विश्वविद्यालय में ही असिस्टेंट प्रोफेसर के 319 में से 74, एसोसिएट प्रोफेसर के 135 में से 51 और प्रोफेसर के 59 में से 36 पद खाली हैं। राज्य विश्वविद्यालयों में बड़े पैमाने पर शिक्षकों के पद खाली होने की वजह से शिक्षण कार्य प्रभावित हो ही रहा है। शिक्षकों की कमी की वजह से विश्वविद्यालयों का राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) से मूल्यांकन कराने में दुश्वारियां आ रही हैं।
असिस्टेंट और एसोसिएट प्रोफेसर की भर्ती में आरक्षण की व्यवस्था बदली
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