इलाहाबाद हाइकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के काले
कारनामो का आख़िरकार समापन हो ही गया । अंततः माननीय सुप्रीम कोर्ट ने आज
इनका ट्रान्सफर लैटर जारी कर ही दिया और इन्हें देल्ही हाई कोर्ट का मुख्य
न्यायाधीश बनाया गया है।
ज्ञातब्य हो कि चंद्रचूड़ का ट्रान्सफर पिछले 4 दिन पहले ही हो गया था लेकिन इनका इरादा हाइकोर्ट की 150 वीं वर्षगांठ मना कर जाना था।लेकिन इनके अरमानो पर पानी फिर गया और माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्ट्रिक्टली इन्हे ज्वाइनिंग करने के लिए कहा गया।
डी वाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल हमेशा उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ रहा और लोगों द्वारा ये कहा जाने लगा कि चंद्रचूड़ बिपक्ष के नेता की भूमिका निभा रहे हैं,सामानांतर सरकार चला रहा है ।
आपको जानकारी दे दे कि -चंद्रचूड़ के कार्यकाल में Higher Judicial Services की परीक्षा करायी गयी। इस बार की HJS की परीक्षा की खास बात ये थी कि इसमें सारे सवाल महाराष्ट्र पैटर्न से आय और महाराष्ट्र के कुछ छात्रो का अंतिम रूप से चयन भी हुआ । जिससे छात्रों में असंतोष रहा और चंद्रचूड़ के ऊपर प्रश्नचिन्ह भी लगा। इलाहाबाद हाइकोर्ट में फर्नीचर की आपूर्ति का टेंडर जो करोड़ों रूपये का था ,चंद्रचूड़ द्वारा महाराष्ट्र की एक फर्म को दिया गया जो महाराष्ट्र में उनकी पत्नी के नाम रजिस्टर्ड है । इसके अलावा लोअर कोर्ट में चतुर्थ श्रेणी के 740 कर्मचारियों की भर्ती इस बार हाई कोर्ट द्वारा की गयी ।जिसमें ब्यापक पैमाने पर धांधली और पैसे लेकर भर्ती करने का आरोप भी चंद्रचूड़ पर लगा ।इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ने भी संज्ञान में लिया और इन्ही कारणों की वजह से डी वाई चंद्रचूड़ को सिनियर होते हुए भी इनके 2 जूनियर न्यायाधीश को चंद्रचूड़ से पहले सुप्रीम कोर्ट में न्यायधीश बना दिया गया ।चंद्रचूड़ जहाँ पहले 100 न्यायाधीश वाले हाई कोर्ट इलाहाबाद के मुख्य न्यायाधीश थे अब उन्हें 10-12 न्यायाधीश वाले दिल्ली हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया है।
चंद्रचूड़ के कारनामे यहीं खत्म नहीं होते । उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लोकायुक्त के मुद्दे पर जिस तरह से इनका चेहरा खुलकर सामने आया वह इनके पूर्वाग्रह को ही दर्शाता है ।इसके अलावा शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति ,दरोगा भर्ती ,सिपाही भर्ती ,माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ,उच्च शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के सदस्यों और अध्यक्षों की नियुक्ति के अलावा उत्तर प्रदेश के लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष डॉ अनिल कुमार की नियुक्ति के बारे में चंद्रचूड़ द्वारा हाइकोर्ट के जुरडिक्शन में न होते हुए भी विशेषाधिकारों का प्रयोग कर जो फैसले दिए गए उसका सामान्य लोगों द्वारा जमकर बिरोध किया गया और इनके खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाये गए । परिणामस्वरूप उच्च न्यायपालिका में sc,obc के आरक्षण की मांग होने लगी और ये आंदोलन इलाहाबाद में अब भी जारी है।
ज्ञातब्य है कि चंद्रचूड़ के लगभग सभी फैसलों को माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा उलट दिया गया है ॥दरोगा भर्ती को भी सुप्रीम कोर्ट दे क्लीन चिट मिल गयी है ,डॉ अनिल कुमार की नियुक्ति के फैसले में भी सुप्रीम कोर्ट ने डॉ अनिल कुमार को एक योग्य ब्यक्ति माना है और इन्हे पुनः अध्यक्ष बनाने के लिए प्रदेश सरकार को दिशानिर्देश दिए है ।
डी वाई चंद्रचूड़ ने स्वयं को एक बिशेष पूर्वाग्रह से ग्रसित होने का तमगा अपने फैसले से ही हासिल कर लिया है और अब परिणाम सामने है ।
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ज्ञातब्य हो कि चंद्रचूड़ का ट्रान्सफर पिछले 4 दिन पहले ही हो गया था लेकिन इनका इरादा हाइकोर्ट की 150 वीं वर्षगांठ मना कर जाना था।लेकिन इनके अरमानो पर पानी फिर गया और माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्ट्रिक्टली इन्हे ज्वाइनिंग करने के लिए कहा गया।
डी वाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल हमेशा उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ रहा और लोगों द्वारा ये कहा जाने लगा कि चंद्रचूड़ बिपक्ष के नेता की भूमिका निभा रहे हैं,सामानांतर सरकार चला रहा है ।
आपको जानकारी दे दे कि -चंद्रचूड़ के कार्यकाल में Higher Judicial Services की परीक्षा करायी गयी। इस बार की HJS की परीक्षा की खास बात ये थी कि इसमें सारे सवाल महाराष्ट्र पैटर्न से आय और महाराष्ट्र के कुछ छात्रो का अंतिम रूप से चयन भी हुआ । जिससे छात्रों में असंतोष रहा और चंद्रचूड़ के ऊपर प्रश्नचिन्ह भी लगा। इलाहाबाद हाइकोर्ट में फर्नीचर की आपूर्ति का टेंडर जो करोड़ों रूपये का था ,चंद्रचूड़ द्वारा महाराष्ट्र की एक फर्म को दिया गया जो महाराष्ट्र में उनकी पत्नी के नाम रजिस्टर्ड है । इसके अलावा लोअर कोर्ट में चतुर्थ श्रेणी के 740 कर्मचारियों की भर्ती इस बार हाई कोर्ट द्वारा की गयी ।जिसमें ब्यापक पैमाने पर धांधली और पैसे लेकर भर्ती करने का आरोप भी चंद्रचूड़ पर लगा ।इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ने भी संज्ञान में लिया और इन्ही कारणों की वजह से डी वाई चंद्रचूड़ को सिनियर होते हुए भी इनके 2 जूनियर न्यायाधीश को चंद्रचूड़ से पहले सुप्रीम कोर्ट में न्यायधीश बना दिया गया ।चंद्रचूड़ जहाँ पहले 100 न्यायाधीश वाले हाई कोर्ट इलाहाबाद के मुख्य न्यायाधीश थे अब उन्हें 10-12 न्यायाधीश वाले दिल्ली हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया है।
चंद्रचूड़ के कारनामे यहीं खत्म नहीं होते । उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लोकायुक्त के मुद्दे पर जिस तरह से इनका चेहरा खुलकर सामने आया वह इनके पूर्वाग्रह को ही दर्शाता है ।इसके अलावा शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति ,दरोगा भर्ती ,सिपाही भर्ती ,माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ,उच्च शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के सदस्यों और अध्यक्षों की नियुक्ति के अलावा उत्तर प्रदेश के लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष डॉ अनिल कुमार की नियुक्ति के बारे में चंद्रचूड़ द्वारा हाइकोर्ट के जुरडिक्शन में न होते हुए भी विशेषाधिकारों का प्रयोग कर जो फैसले दिए गए उसका सामान्य लोगों द्वारा जमकर बिरोध किया गया और इनके खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाये गए । परिणामस्वरूप उच्च न्यायपालिका में sc,obc के आरक्षण की मांग होने लगी और ये आंदोलन इलाहाबाद में अब भी जारी है।
ज्ञातब्य है कि चंद्रचूड़ के लगभग सभी फैसलों को माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा उलट दिया गया है ॥दरोगा भर्ती को भी सुप्रीम कोर्ट दे क्लीन चिट मिल गयी है ,डॉ अनिल कुमार की नियुक्ति के फैसले में भी सुप्रीम कोर्ट ने डॉ अनिल कुमार को एक योग्य ब्यक्ति माना है और इन्हे पुनः अध्यक्ष बनाने के लिए प्रदेश सरकार को दिशानिर्देश दिए है ।
डी वाई चंद्रचूड़ ने स्वयं को एक बिशेष पूर्वाग्रह से ग्रसित होने का तमगा अपने फैसले से ही हासिल कर लिया है और अब परिणाम सामने है ।
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