राज्य
ब्यूरो, इलाहाबाद : उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की लोअर सबआर्डिनेट
परीक्षा 2008 एवं 2009 पर भी विवादों का साया मंडराने लगा है। यह परीक्षा
अनिल यादव के कार्यकाल में हुई थी और प्रतियोगी तमाम आरोप लगाते रहे हैं।
फाइनल रिजल्ट आने के बाद प्रतियोगियों का आरोप है
कि कई ऐसे छात्र चयन से वंचित हो गए जिनके नंबर कटऑफ से अधिक थे।
उनका यह भी आरोप है कि परीक्षा में चयन के लिए कुछ खास लोगों को वरीयता दी गई और स्केलिंग की आड़ में नम्बरों को घटाया-बढ़ाया गया। समिति दोनों ही परीक्षाओं को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करेगी। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति ने दावा किया है कि उनके हाथ कुछ परीक्षार्थियों के ऐसे दस्तावेज लगे हैं, जिससे यह जाहिर होता है कि चयन में सारे नियम कानून ताक पर रख दिए गए।
लोअर 2009 में अंतिम चयन से वंचित छात्र विजय आनंद का के बारे में आयोग के सचिव और परीक्षा नियंत्रक को भी जानकारी दी गई है। विजय को साक्षात्कार समेत कुल अंक 267.37 मिले हैं। इस लिहाज से उनका चयन स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग में लेखा परीक्षक के पद होना चाहिए था लेकिन वह बाहर कर दिए गए।
इसी प्रकार अभ्यर्थी अजीत कुमार सिंह का भी मामला है। उन्हें लोअर 2009 में कुल 268.9 अंक मिले लेकिन उनका भी चयन लेखा परीक्षक में नहीं किया गया। इसी तरह 2009 की परीक्षा में डीएफएफ कोटे के अभ्यर्थी उमेश चन्द्र पांडेय का कहना है कि उन्हें 247.45 अंक मिले। उनका चयन हाट निरीक्षक में होना चाहिए था। समिति ने इस मसले पर बैठक करके विचार किया। समिति के प्रवक्ता व सचिव अवनीश पांडेय ने बताया कि तीनों ही परीक्षार्थियों को साक्षात्कार में कम अंक दिए गए हैं।
कि कई ऐसे छात्र चयन से वंचित हो गए जिनके नंबर कटऑफ से अधिक थे।
उनका यह भी आरोप है कि परीक्षा में चयन के लिए कुछ खास लोगों को वरीयता दी गई और स्केलिंग की आड़ में नम्बरों को घटाया-बढ़ाया गया। समिति दोनों ही परीक्षाओं को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करेगी। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति ने दावा किया है कि उनके हाथ कुछ परीक्षार्थियों के ऐसे दस्तावेज लगे हैं, जिससे यह जाहिर होता है कि चयन में सारे नियम कानून ताक पर रख दिए गए।
लोअर 2009 में अंतिम चयन से वंचित छात्र विजय आनंद का के बारे में आयोग के सचिव और परीक्षा नियंत्रक को भी जानकारी दी गई है। विजय को साक्षात्कार समेत कुल अंक 267.37 मिले हैं। इस लिहाज से उनका चयन स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग में लेखा परीक्षक के पद होना चाहिए था लेकिन वह बाहर कर दिए गए।
इसी प्रकार अभ्यर्थी अजीत कुमार सिंह का भी मामला है। उन्हें लोअर 2009 में कुल 268.9 अंक मिले लेकिन उनका भी चयन लेखा परीक्षक में नहीं किया गया। इसी तरह 2009 की परीक्षा में डीएफएफ कोटे के अभ्यर्थी उमेश चन्द्र पांडेय का कहना है कि उन्हें 247.45 अंक मिले। उनका चयन हाट निरीक्षक में होना चाहिए था। समिति ने इस मसले पर बैठक करके विचार किया। समिति के प्रवक्ता व सचिव अवनीश पांडेय ने बताया कि तीनों ही परीक्षार्थियों को साक्षात्कार में कम अंक दिए गए हैं।
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