प्रमुख संवाददाता, लखनऊ : प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक बने शिक्षा मित्रों
को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने बड़ी राहत दी है। परिषद
ने शिक्षा मित्रों के दो साल के दूरस्थ बीटीसी प्रशिक्षण को वैध ठहराया है।
सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत एनसीटीई ने शिक्षा मित्रों को यह
जानकारी दी है।
इससे शिक्षा मित्रों के बीटीसी प्रशिक्षण को इलाहाबाद हाई कोर्ट में दी गई चुनौती के मामले में उन्हें राहत मिलेगी। इसकी सुनवाई 28 अप्रैल को है।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 में लागू किया गया था। इसके तहत पैरा टीचर्स का प्रावधान खत्म कर दिया गया था। ऐसे में सरकार के पास दो विकल्प थे। पहला यह कि सभी शिक्षा मित्रों को निकाल दिया जाए और दूसरा यह कि उन्हें शिक्षक बनाया जाए। उस समय केंद्र और राज्य सरकार की सहमति से ही शिक्षकों के समायोजन की पहल हुई थी।
आरटीई के तहत बीटीसी के समकक्ष प्रशिक्षण अनिवार्य था। केंद्र की अनुमति
आरटीआई से मिली जानकारी, इलाहाबाद हाई कोर्ट में 28 अप्रैल को होनी है सुनवाई
शिक्षा मित्रों के पक्ष में यह बहुत ही राहत भरी खबर है। निश्चित ही सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट इस आधार पर हमें राहत देंगे। समायोजन भी सही साबित होगा।
-दीपाली निगम, महामंत्री दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ
एनसीटीई ने ही बीटीसी को वैध ठहराते हुए जानकारी दी है। यह एक बड़ी राहत है। इलाहाबाद हाई कोर्ट में इससे हमारे पक्ष में फैसला होने की पूरी उम्मीद है।
-गाजी इमाम आला, प्रदेश अध्यक्ष शिक्षा मित्र संघ
इसी बीच नियमित बीटीसी प्रशिक्षकों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक और याचिका दायर कर दी। इसमें बीटीसी प्रशिक्षण को ही चुनौती दी गई थी। इस पर 28 अप्रैल को सुनवाई होनी है। इसी बीच शिक्षा मित्र नेता कौशल कुमार सिंह ने एनसीटीई से इस बारे में जानकारी मांगी थी। एनसीटीई ने उस पत्र की प्रति भी दी है जिसके तहत प्रदेश सरकार ने प्रशिक्षण की अनुमति मांगी थी।
Sponsored links : किन शर्तों के साथ अनुमति दी गई थी और ट्रेनिंग मॉड्यूल भी एनसीटीई की अनुमति से ही तैयार हुआ था। एससीईआरटी ने यह मॉड्यूल तैयार किया था और डायट में प्रशिक्षण दिया गया था। प्रशिक्षण को एनसीटीई ने सही ठहराया है।
टीईटी की बाधा पार करना बाकी
शिक्षा मित्रों को बीटीसी प्रशिक्षण सही ठहराए जाने से उन्हें राहत मिली है लेकिन टीईटी की बाधा पार करने के लिए अभी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना होगा। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने टीईटी न होने को बड़ा मु्द्दा मानते हुए समायोजन रद किया था। सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले पर रोक लगाई है। अभी इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को खारिज नहीं किया गया है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय का इंतजार अभी करना होगा।
पर प्रदेश सरकार ने शिक्षा मित्रों को तीन चरण में दूरस्थ विधि से बीटीसी प्रशिक्षण करवाया। उसके बाद उन्हें बतौर शिक्षक समायोजित कर दिया गया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस समयोजन को अवैध ठहरा दिया। इसमें बीटीसी प्रशिक्षण पर सवाल उठाने के साथ ही टीईटी न होने को बड़ी रुकावट बताया था। इस मामले में शिक्षा मित्र सुप्रीम कोर्ट गए। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी और मुकदमा चल रहा है। तब से समायोजित हो चुके करीब 1.40 लाख शिक्षा मित्रों को वेतन जारी करने के आदेश प्रदेश सरकार ने कर दिया और वे पढ़ा
रहे हैं।
ताज़ा खबरें - प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Breaking News: सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
इससे शिक्षा मित्रों के बीटीसी प्रशिक्षण को इलाहाबाद हाई कोर्ट में दी गई चुनौती के मामले में उन्हें राहत मिलेगी। इसकी सुनवाई 28 अप्रैल को है।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 में लागू किया गया था। इसके तहत पैरा टीचर्स का प्रावधान खत्म कर दिया गया था। ऐसे में सरकार के पास दो विकल्प थे। पहला यह कि सभी शिक्षा मित्रों को निकाल दिया जाए और दूसरा यह कि उन्हें शिक्षक बनाया जाए। उस समय केंद्र और राज्य सरकार की सहमति से ही शिक्षकों के समायोजन की पहल हुई थी।
आरटीई के तहत बीटीसी के समकक्ष प्रशिक्षण अनिवार्य था। केंद्र की अनुमति
आरटीआई से मिली जानकारी, इलाहाबाद हाई कोर्ट में 28 अप्रैल को होनी है सुनवाई
शिक्षा मित्रों के पक्ष में यह बहुत ही राहत भरी खबर है। निश्चित ही सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट इस आधार पर हमें राहत देंगे। समायोजन भी सही साबित होगा।
-दीपाली निगम, महामंत्री दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ
एनसीटीई ने ही बीटीसी को वैध ठहराते हुए जानकारी दी है। यह एक बड़ी राहत है। इलाहाबाद हाई कोर्ट में इससे हमारे पक्ष में फैसला होने की पूरी उम्मीद है।
-गाजी इमाम आला, प्रदेश अध्यक्ष शिक्षा मित्र संघ
इसी बीच नियमित बीटीसी प्रशिक्षकों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक और याचिका दायर कर दी। इसमें बीटीसी प्रशिक्षण को ही चुनौती दी गई थी। इस पर 28 अप्रैल को सुनवाई होनी है। इसी बीच शिक्षा मित्र नेता कौशल कुमार सिंह ने एनसीटीई से इस बारे में जानकारी मांगी थी। एनसीटीई ने उस पत्र की प्रति भी दी है जिसके तहत प्रदेश सरकार ने प्रशिक्षण की अनुमति मांगी थी।
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टीईटी की बाधा पार करना बाकी
शिक्षा मित्रों को बीटीसी प्रशिक्षण सही ठहराए जाने से उन्हें राहत मिली है लेकिन टीईटी की बाधा पार करने के लिए अभी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना होगा। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने टीईटी न होने को बड़ा मु्द्दा मानते हुए समायोजन रद किया था। सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले पर रोक लगाई है। अभी इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को खारिज नहीं किया गया है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय का इंतजार अभी करना होगा।
पर प्रदेश सरकार ने शिक्षा मित्रों को तीन चरण में दूरस्थ विधि से बीटीसी प्रशिक्षण करवाया। उसके बाद उन्हें बतौर शिक्षक समायोजित कर दिया गया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस समयोजन को अवैध ठहरा दिया। इसमें बीटीसी प्रशिक्षण पर सवाल उठाने के साथ ही टीईटी न होने को बड़ी रुकावट बताया था। इस मामले में शिक्षा मित्र सुप्रीम कोर्ट गए। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी और मुकदमा चल रहा है। तब से समायोजित हो चुके करीब 1.40 लाख शिक्षा मित्रों को वेतन जारी करने के आदेश प्रदेश सरकार ने कर दिया और वे पढ़ा
रहे हैं।
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