परिषदीय स्कूलों में शत-प्रतिशत नामांकन का मामला : सारे प्रयास विफल,
अब बदलेगी रणनीति, शैक्षिक रूप से पिछड़े विकासखंडों में स्कूल चलो अभियान
के तहत रैली, मेला, गोष्ठियों आदि के जरिए बच्चों एवं उनके अभिभावकों को
लुभाने का पूरा किया गया जतन
इलाहाबाद : तमाम प्रयासों के बाद भी बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में बच्चों शत-प्रतिशत नामांकन नहीं हो पा रहा है। ऐसे में सर्व शिक्षा अभियान के बड़े अफसर अब फिर जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक बेसिक एवं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों का साथ लेकर नए सिरे से रणनीति बनाने जा रहे हैं।
प्रदेश भर के परिषदीय स्कूलों में नया शैक्षिक सत्र हुए डेढ़ माह बीत रहा है।
इस दौरान शैक्षिक रूप से पिछड़े विकासखंडों में स्कूल चलो अभियान के तहत रैली, मेला, गोष्ठियों आदि के जरिए बच्चों एवं उनके अभिभावकों को लुभाने का पूरा जतन किया गया, लेकिन सरकारी प्रयास उस मुकाम तक नहीं पहुंच सके, जैसी अपेक्षा थी। सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक ने यह बात स्वीकारी है कि इतने के बाद भी नामांकन में सुधार नहीं हो सका है। ऐसे में आयोजनों की रणनीति में सकारात्मक परिवर्तन करने की तैयारी है। अब जमीनी स्तर पर काम करने वाले अफसरों के सुझाव मांगे गए हैं। ऐसे में अफसरों से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, ड्राप आउट कम करने, बालिकाओं, अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक बच्चों के लिए किए गए प्रयोग उपलब्ध कराएं।
परियोजना निदेशक जीएस प्रियदर्शी ने इसके लिए अफसरों को 30 मई तक का समय दिया है। इसमें यह भी कहा गया है कि हर जिला कम से कम एक विवरण अनिवार्य रूप से भेजे। माना जा रहा है कि गर्मी की छुट्टियों के बाद जुलाई माह से विद्यालयों में नामांकन बढ़ाने के लिए बदली रणनीति के तहत कार्य होगा।
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इलाहाबाद : तमाम प्रयासों के बाद भी बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में बच्चों शत-प्रतिशत नामांकन नहीं हो पा रहा है। ऐसे में सर्व शिक्षा अभियान के बड़े अफसर अब फिर जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक बेसिक एवं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों का साथ लेकर नए सिरे से रणनीति बनाने जा रहे हैं।
प्रदेश भर के परिषदीय स्कूलों में नया शैक्षिक सत्र हुए डेढ़ माह बीत रहा है।
इस दौरान शैक्षिक रूप से पिछड़े विकासखंडों में स्कूल चलो अभियान के तहत रैली, मेला, गोष्ठियों आदि के जरिए बच्चों एवं उनके अभिभावकों को लुभाने का पूरा जतन किया गया, लेकिन सरकारी प्रयास उस मुकाम तक नहीं पहुंच सके, जैसी अपेक्षा थी। सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक ने यह बात स्वीकारी है कि इतने के बाद भी नामांकन में सुधार नहीं हो सका है। ऐसे में आयोजनों की रणनीति में सकारात्मक परिवर्तन करने की तैयारी है। अब जमीनी स्तर पर काम करने वाले अफसरों के सुझाव मांगे गए हैं। ऐसे में अफसरों से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, ड्राप आउट कम करने, बालिकाओं, अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक बच्चों के लिए किए गए प्रयोग उपलब्ध कराएं।
परियोजना निदेशक जीएस प्रियदर्शी ने इसके लिए अफसरों को 30 मई तक का समय दिया है। इसमें यह भी कहा गया है कि हर जिला कम से कम एक विवरण अनिवार्य रूप से भेजे। माना जा रहा है कि गर्मी की छुट्टियों के बाद जुलाई माह से विद्यालयों में नामांकन बढ़ाने के लिए बदली रणनीति के तहत कार्य होगा।
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