कौशांबी में बुनियादी तालीम से हो रहा खिलवाड़

कौशांबी : जिले में प्राथमिक शिक्षा मजाक बन कर रह गई है। यहां मेधावी टहलते रहते हैं और मुन्ना भाई सरीखे लोग फर्जी मार्कशीट के सहारे बीटीसी करने के बाद मास्साब बन जाते हैं।
सबसे खास बात तो यह है कि ज्यादातर मामले में बीटीसी के दौरान मार्कशीट कुछ और लगाई जाती है और अध्यापक बनने के दौरान कराई जाने वाली काउंसि¨लग में डिग्री बदल जाती है। खुद जिलाधिकारी अखंड प्रताप ¨सह ने इस तरह के फर्जीवाड़े को पकड़ा है। मामले में काउंसि¨लग में शामिल आठ मुन्ना भाइयों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने का निर्देश दिया गया है।
बेसिक शिक्षा विभाग में कौशांबी के बाकरगंज, खोजवापुर, फतेहपुर के भवनी का पुरवा और इलाहाबाद के फाफामऊ में रहने वाले चार लोगों का काकस है। यह लोग डायट के एक चर्चित लिपिक से से¨टग करके बीटीसी के चयन से ही फर्जीवाड़ा शुरू कर देते हैं। बकायदा बीटीसी की ट्रे¨नग से लेकर मास्साब बनाने का तक का ठेका लिया जाता है। यह रैकेट वर्ष 2004 से अपना जाल फैलाए हुए हैं।इससे मेधावियों की प्रतिभा घुट जाती है। पिछले पांच साल के इतिहास पर नजर डाले तो वर्ष 2010 में फर्जी मार्कशीट के जरिए बीटीसी करने पहुंचे पांच लोग पकड़े गए थे। इन्हें ट्रे¨नग से निकाल दिया गया था। इसी तरह वर्ष 2011 में 15 लोग पकड़े गए थे। वर्ष 2012 में तत्कालीन डीएम अतुल कुमार ने पूरे मामले को संज्ञान में लेकर जांच कराई तो 22 मुन्ना भाई ऐसे मिले जिनकी डिग्री फर्जी थी। अब मौजूदा समय जिलाधिकारी अखंड प्रताप ¨सह ने अध्यापक बनने पहुंचे आठ मुन्ना भाइयों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देश दिया।
अब तक जितने भी लोग बीटीसी में फर्जी तरीके से ट्रे¨नग लेने में सफल हुए थे, उन्हें पकड़े जाने के बाद सिर्फ ट्रे¨नग से निकाला गया। मामले में किसी का रिपोर्ट तक नहीं दर्ज कराई गई। इससे रैकेट से जुड़े लोग मनमाने तरीके से अपना खेल बदस्तूर जारी रखे हैं।
पिछले दिनों सरायअकिल थानाक्षेत्र के मेढ़ुवा सलेमपुर गांव निवासी राकेश ¨सह के खिलाफ पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर जेल भेजा था। राकेश ने बीटीसी के दौरान दूसरी डिग्री लगाई थी और अध्यापक बनने के दौरान दूसरी डिग्री। खास यह रहा कि दोनों डिग्री एक सत्र में ही ली गई थी। राकेश ने दो साल तक मास्टर की नौकरी भी की थी।
पिछले दिनों हुई अध्यापकों की काउंसि¨लग के दौरान कार सवार दो शिक्षकों को स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम ने पकड़ा था। आरोप था कि वह लोग फर्जी तरीके से कुछ लोगों की काउंसि¨लग कराने पहुंचे थे। बाद में शिक्षक संघ के दबाव में उन्हे छोड़ दिया गया था। संघ के लोगों ने कई दिनों तक विरोध प्रदर्शन किया था।
बीएसए डीएस यादव का कहना है कि नौकरी मिलने के बाद शिक्षा विभाग की तरफ से सत्यापन कराया जाता है। अक्सर गड़बड़ी बीटीसी चयन के दौरान होती है। ट्रे¨नग में शामिल होने के लिए लोग हाई मेरिट की फर्जी डिग्री लगा लेते हैं। मुझे आए हुए मात्र एक महीना हुआ है। आठ लोगों के पकड़े जाने का पहला मामला संज्ञान में आया है।

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