लखनऊ समाजवादी पार्टी में परिवार के बीच मचे विवाद का पटाक्षेप शिवपाल यादव के सरकार और संगठन से इस्तीफे के साथ हुआ है। शिवपाल ने कैबिनेट से अपना इस्तीफा अखिलेश यादव को भेज दिया है। उनके साथ उनकी पत्नी सरला और बेटे आदित्य ने भी इस्तीफा दिया है।
हालांकि, खबर है कि अखिलेश यादव ने तीनों के इस्तीफे को नामंजूर कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक मुलायम सिंह से मीटिंग के बाद शिवपाल ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। यही नहीं उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी भी छोड़ दी। इससे पार्टी में विभाजन का खतरा पैदा हो गया है। यदि ऐसा कुछ होता है तो आगामी विधानसभा चुनावों से पहले सत्ताधारी दल के लिए यह बड़ा झटका होगा। अखिलेश की ओर से कई मंत्रालय वापस लिए जाने के बाद शिवपाल यादव के पास समाज कल्याण विभाग ही बचा था।
पार्टी में बढ़ी कलह का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि शिवपाल के बेटे आदित्य ने भी पब्लिक को-ऑपरेटिव फेडरेशन के चेयरमैन के पद से इस्तीफा दे दिया है। समाजवादी पार्टी के करीबी सूत्रों के मुताबिक नेताजी से मुलाकात करने के बाद शिवपाल यादव अखिलेश से मुलाकात के लिए उनके आवास पर पहुंचे थे। लेकिन, अखिलेश ने शिवपाल से मुलाकात नहीं की और 20 मिनट तक इंतजार के बाद शिवपाल को बैरंग लौटना पड़ा। इसके बाद उन्होंने मंत्री और अध्यक्ष पद से इस्तीफे का ऐलान कर दिया।
इससे पहले कई दिनों से मची कलह को निपटाने की कोशिश करते हुए नेताजी ने राजधानी पहुंचते ही बेटे अखिलेश यादव और भाई शिवपाल यादव से मुलाकात की, लेकिन बात नहीं बनी। मुलायम ने सबसे पहले शिवपाल के साथ बंद कमरे में लंबी बातचीत की और अखिलेश के साथ उनके मतभेदों को सुलझाने का प्रयास किया। इससे पहले पार्टी महासचिव रामगोपाल ने कहा था, 'एक बार जब वह (मुलायम) यहां पहुंच जाएंगे तो सब कुछ सही हो जाएगा। उनके शब्द आखिरी होंगे।'
यही नहीं दिन में ही रामगोपाल ने सीएम अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद उन्होंने दावा किया था कि अखिलेश यादव किसी से नाराज नहीं हैं और मुलायम सिंह यादव का कोई भी फैसला पार्टी में आखिरी होगा। इससे पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिवपाल ने भी यही बात कही थी। गौरतलब है कि इससे पहले अखिलेश कैंप के माने जाने वाले रामगोपाल यादव ने 'बाहरी' कहे जा रहे अमर सिंह पर हमला करते हुए कहा था कि मुलायम सिंह सहज स्वभाव के हैं और कुछ लोग इस बात का फायदा उठा रहे हैं।
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हालांकि, खबर है कि अखिलेश यादव ने तीनों के इस्तीफे को नामंजूर कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक मुलायम सिंह से मीटिंग के बाद शिवपाल ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। यही नहीं उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी भी छोड़ दी। इससे पार्टी में विभाजन का खतरा पैदा हो गया है। यदि ऐसा कुछ होता है तो आगामी विधानसभा चुनावों से पहले सत्ताधारी दल के लिए यह बड़ा झटका होगा। अखिलेश की ओर से कई मंत्रालय वापस लिए जाने के बाद शिवपाल यादव के पास समाज कल्याण विभाग ही बचा था।
पार्टी में बढ़ी कलह का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि शिवपाल के बेटे आदित्य ने भी पब्लिक को-ऑपरेटिव फेडरेशन के चेयरमैन के पद से इस्तीफा दे दिया है। समाजवादी पार्टी के करीबी सूत्रों के मुताबिक नेताजी से मुलाकात करने के बाद शिवपाल यादव अखिलेश से मुलाकात के लिए उनके आवास पर पहुंचे थे। लेकिन, अखिलेश ने शिवपाल से मुलाकात नहीं की और 20 मिनट तक इंतजार के बाद शिवपाल को बैरंग लौटना पड़ा। इसके बाद उन्होंने मंत्री और अध्यक्ष पद से इस्तीफे का ऐलान कर दिया।
इससे पहले कई दिनों से मची कलह को निपटाने की कोशिश करते हुए नेताजी ने राजधानी पहुंचते ही बेटे अखिलेश यादव और भाई शिवपाल यादव से मुलाकात की, लेकिन बात नहीं बनी। मुलायम ने सबसे पहले शिवपाल के साथ बंद कमरे में लंबी बातचीत की और अखिलेश के साथ उनके मतभेदों को सुलझाने का प्रयास किया। इससे पहले पार्टी महासचिव रामगोपाल ने कहा था, 'एक बार जब वह (मुलायम) यहां पहुंच जाएंगे तो सब कुछ सही हो जाएगा। उनके शब्द आखिरी होंगे।'
यही नहीं दिन में ही रामगोपाल ने सीएम अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद उन्होंने दावा किया था कि अखिलेश यादव किसी से नाराज नहीं हैं और मुलायम सिंह यादव का कोई भी फैसला पार्टी में आखिरी होगा। इससे पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिवपाल ने भी यही बात कही थी। गौरतलब है कि इससे पहले अखिलेश कैंप के माने जाने वाले रामगोपाल यादव ने 'बाहरी' कहे जा रहे अमर सिंह पर हमला करते हुए कहा था कि मुलायम सिंह सहज स्वभाव के हैं और कुछ लोग इस बात का फायदा उठा रहे हैं।
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