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16448 शिक्षक भर्ती में गलत तरीके से मौलिक नियुक्ति , शिक्षकों के बीच चर्चाओं का बाजार गर्म

संवाद सूत्र, गोंडा: आरोप-प्रत्यारोप के बीच आखिरकार शासन ने बीएसए को हटा दिया। ऐसे में नए बीएसए के समक्ष जिले में बेसिक शिक्षा सुधार सहित अन्य योजनाओं व कार्यक्रमों की व्यवस्था को पटरी पर लाने की चुनौती होगी।
अभी नए बेसिक शिक्षा अधिकारी ने कार्यभार नहीं संभाला है, लेकिन पूर्व बीएसए के कार्यकाल को लेकर दिन भर शिक्षकों के बीच चर्चाओं का बाजार गर्म रहा। 1जिले के पूर्व बीएसए डॉ. फतेह बहादुर सिंह का प्रमोशन होने के बाद उन्हें कानपुर मंडल के सहायक बेसिक शिक्षा निदेशक पद पर अगस्त माह में तैनाती दी गई थी।
इसके बाद शिवेंद्र प्रताप सिंह को यहां का बीएसए बनाया गया। वह ज्यादा दिनों तक अपनी पारी नहीं खेल पाए। उनके तबादले के बाद 23 सितंबर को अजय कुमार सिंह को बीएसए बनाया गया। कार्यभार संभालने से ही उनका विवादों से नाता शुरू हो गया। कभी शिक्षकों ने मनमाने तरीके से काम करने का आरोप लगाया तो कभी पदोन्नति व नियुक्ति को लेकर बवंडर उठा। शिक्षकों की नियुक्ति में महिला व दिव्यांग शिक्षकों को स्कूल चयन के लिए स्कूल ही छुपा लिए गए। इस पर जब मामला डीएम तक पहुंचा तब जाकर स्कूल बढ़ाए गए। 16448 शिक्षक भर्ती में मौलिक नियुक्ति गलत तरीके से करने का भी मुद्दा उठा। शिकायतों का दौर चला। इसके साथ ही कई अन्य मामलों को लेकर शिकायतें अधिकारियों के पास की गई। जिसकी जांच भी चल रही है। समायोजन के मामले ने तो इतना तूल पकड़ लिया कि आगे आकर खुद को कमान संभालनी पड़ी। अब समायोजन पर प्रत्यावेदन लिए जा रहे हैं। इससे इतर बीएसए से शिक्षकों की बहस भी सुर्खियों में है। साथ ही अनुदेशकों के नियुक्ति से लेकर विज्ञान गणित के कार्यक्रम, नवाचार योजना, उपस्थिति अभियान के कार्यक्रम अधर में है। हालांकि बीएसए शुरू से ही आरोपों को सिरे से नकारते आ रहे हैं। ऐसे में अब नए बीएसए के सामने इन स्थितियों को पटरी पर लाना किसी चुनौती से कम नहीं है।

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