दो चरणों के बाद भाजपा ने 364 जिला परिषद की सीटों में से 129 पर जीत दर्ज की है। उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव परिणाम के पहले भाजपा को ओडिशा से अच्छी खुशखबरी मिली है। ओडिशा में भाजपा का कोई खास जनाधार नहीँ था।परंतु यहां चल रहे पंचायत चुनावों में उसे भारी सफलता मिली है।
इसे नोटबंदी से भी जोड़ कर देखा जा रहा है।यदि जनता का यही रुख यूपी में भी रहा तो वहां भाजपा की सरकार बन सकती है। ओडिशा में पंचायत चुनाव चल रहे हैं लेकिन दो चरणों के मतदान के बाद भाजपा में खुशी की लहर है। पहले दो चरणों में उसे जोरदार कामयाबी मिली है और वह सत्ताधारी बीजू जनता दल (बीजद) को कड़ी टक्कर दे रही है। दो चरणों के बाद भाजपा ने 364 जिला परिषद की सीटों में से 129 पर जीत दर्ज की है। हालांकि बीजद नंबर एक पर है और उसे 200 सीटें मिली हैं लेकिन पहले की तुलना में उसका आंकड़ा कम हो गया है। कांग्रेस 27 सीटों के साथ तीसरे पायदान पर है। माना जा रहा है कि भाजपा को तीसरे चरण में 175 में से 60 सीटें मिल सकती हैं।
अगर भाजपा का यही ट्रेंड जारी रहा तो वह 330-340 सीटें जीत सकती हैं, जो कि पंचायत चुनावों में उसका अब तक का शानदार प्रदर्शन होगा।
यहां पर चुनाव 21 फरवरी को पूरे होंगे और चुनाव आयोग 23 को आधिकारिक रूप से परिणाम जारी करेगा। पांच साल पहले 2012 में उसे केवल 36 सीटें मिली थीं। 2012 के चुनावों में नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली बीजद ने पंचायत चुनावों में इकतरफा जीत दर्ज की थी। उसने 854 सीटों में से 77 प्रतिशत पर कब्जा किया था। कांग्रेस 13 प्रतिशत के साथ दूसरे नंबर पर थी। 2014 के विधानसभा चुनावों में भी यही सिलसिला जारी रहा और बीजद को 147 में से 119 पर विजय मिली।
वहीं लोकसभा में चुनावों में 21 में से 20 सीटें उसके पाले में गई थी।
ओडिशा में भाजपा का कामकाज देख रहे केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि जनता ने बीजद को आईना दिखा दिया है। यह ओडिशा में बीजद के शासन के अंत की शुरुआत है। वहीं बीजद नेता और राज्य के सहकारिता मंत्री दामोदर रौत इससे इनकार करते हैं। उन्होंने कहा, ”भाजपा कुछेक इलाकों में जीती है।
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इसे नोटबंदी से भी जोड़ कर देखा जा रहा है।यदि जनता का यही रुख यूपी में भी रहा तो वहां भाजपा की सरकार बन सकती है। ओडिशा में पंचायत चुनाव चल रहे हैं लेकिन दो चरणों के मतदान के बाद भाजपा में खुशी की लहर है। पहले दो चरणों में उसे जोरदार कामयाबी मिली है और वह सत्ताधारी बीजू जनता दल (बीजद) को कड़ी टक्कर दे रही है। दो चरणों के बाद भाजपा ने 364 जिला परिषद की सीटों में से 129 पर जीत दर्ज की है। हालांकि बीजद नंबर एक पर है और उसे 200 सीटें मिली हैं लेकिन पहले की तुलना में उसका आंकड़ा कम हो गया है। कांग्रेस 27 सीटों के साथ तीसरे पायदान पर है। माना जा रहा है कि भाजपा को तीसरे चरण में 175 में से 60 सीटें मिल सकती हैं।
अगर भाजपा का यही ट्रेंड जारी रहा तो वह 330-340 सीटें जीत सकती हैं, जो कि पंचायत चुनावों में उसका अब तक का शानदार प्रदर्शन होगा।
यहां पर चुनाव 21 फरवरी को पूरे होंगे और चुनाव आयोग 23 को आधिकारिक रूप से परिणाम जारी करेगा। पांच साल पहले 2012 में उसे केवल 36 सीटें मिली थीं। 2012 के चुनावों में नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली बीजद ने पंचायत चुनावों में इकतरफा जीत दर्ज की थी। उसने 854 सीटों में से 77 प्रतिशत पर कब्जा किया था। कांग्रेस 13 प्रतिशत के साथ दूसरे नंबर पर थी। 2014 के विधानसभा चुनावों में भी यही सिलसिला जारी रहा और बीजद को 147 में से 119 पर विजय मिली।
वहीं लोकसभा में चुनावों में 21 में से 20 सीटें उसके पाले में गई थी।
ओडिशा में भाजपा का कामकाज देख रहे केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि जनता ने बीजद को आईना दिखा दिया है। यह ओडिशा में बीजद के शासन के अंत की शुरुआत है। वहीं बीजद नेता और राज्य के सहकारिता मंत्री दामोदर रौत इससे इनकार करते हैं। उन्होंने कहा, ”भाजपा कुछेक इलाकों में जीती है।
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