इलाहाबाद : यूपी बोर्ड में अभिलेख सुरक्षित नहीं है। यहां महज पांच वर्ष में एक के बाद एक हेराफेरी की तीन घटनाएं हो चुकी हैं। घटनाएं रोकने की जगह अफसर उन्हें दबाने को प्रयासरत हैं। यही वजह है कि तीनों मामलों में अब तक यह तय नहीं हो सका है कि इसमें हाथ किसका है। जांच पूरी नहीं हो रही है इस संबंध में जिम्मेदार कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।
दूसरे प्रकरण में टीईटी 2011 परीक्षा में फेल 400 अभ्यर्थियों को उत्तीर्ण करने के लिए कंप्यूटर एजेंसी के टेबुलेशन रिकॉर्ड (टीआर) में बदलाव किया गया। 2014 में हुई हेराफेरी की जांच अब तक ठीक से शुरू नहीं हो सकी है। प्रथम दृष्ट्या दोषी मिले दो कर्मचारियों को निलंबित किया गया, जिन्हें बहाल किया जा चुका है और जांच अधिकारी भी बदल गया है। इस प्रकरण में किन लोगों की शह पर हेराफेरी हुई और किसे इसका लाभ मिला उस पर पर्दा पड़ा है। 1तीसरे मामले में क्षेत्रीय कार्यालय के कर्मियों ने इलाहाबाद जिले के कुछ विद्यालयों के टेबुलेशन रिकॉर्ड में हेराफेरी करके बाहरी युवाओं को उम्दा अंकों से उत्तीर्ण कर दिया है। उनमें से अधिकांश को एलटी ग्रेड शिक्षक के रूप में नौकरी मिली है। हालांकि प्रकरण खुलते ही वह फरार हो गए। इस मामले की जांच महीनों से चल रही है, लेकिन वह कब पूरी होगी यह बताने वाला कोई नहीं है। अफसर उन्हें खोज नहीं पाए हैं, जिनके समय में यह घटना हेराफेरी हुई है। आशंका है कि इसमें बड़े अफसर शामिल हैं इसीलिए प्रकरण को दबाने का खेल चल रहा है।
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दूसरे प्रकरण में टीईटी 2011 परीक्षा में फेल 400 अभ्यर्थियों को उत्तीर्ण करने के लिए कंप्यूटर एजेंसी के टेबुलेशन रिकॉर्ड (टीआर) में बदलाव किया गया। 2014 में हुई हेराफेरी की जांच अब तक ठीक से शुरू नहीं हो सकी है। प्रथम दृष्ट्या दोषी मिले दो कर्मचारियों को निलंबित किया गया, जिन्हें बहाल किया जा चुका है और जांच अधिकारी भी बदल गया है। इस प्रकरण में किन लोगों की शह पर हेराफेरी हुई और किसे इसका लाभ मिला उस पर पर्दा पड़ा है। 1तीसरे मामले में क्षेत्रीय कार्यालय के कर्मियों ने इलाहाबाद जिले के कुछ विद्यालयों के टेबुलेशन रिकॉर्ड में हेराफेरी करके बाहरी युवाओं को उम्दा अंकों से उत्तीर्ण कर दिया है। उनमें से अधिकांश को एलटी ग्रेड शिक्षक के रूप में नौकरी मिली है। हालांकि प्रकरण खुलते ही वह फरार हो गए। इस मामले की जांच महीनों से चल रही है, लेकिन वह कब पूरी होगी यह बताने वाला कोई नहीं है। अफसर उन्हें खोज नहीं पाए हैं, जिनके समय में यह घटना हेराफेरी हुई है। आशंका है कि इसमें बड़े अफसर शामिल हैं इसीलिए प्रकरण को दबाने का खेल चल रहा है।
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