पुराने भुगतान में लटकी नई ड्रेस की प्रक्रिया, जीएसटी लागू होते ही बढ़ जाएंगी मुश्किलें, मामले को गंभीरता से नहीं ले रहा विभाग

एटा: स्कूल खुलते ही जुलाई के पहले पखवाड़े में ही परिषदीय स्कूलों के छात्रों को ड्रेस वितरित करने का फरमान आ गया, लेकिन शिक्षकों के समक्ष कई मुश्किलें हैं।
एक साल बाद भी पूर्व में वितरित हो चुकी ड्रेस का पूरा भुगतान न होने के कारण व्यवसायी नई ड्रेस की व्यवस्था करने में हाथ खड़े कर रहे हैं। 1 जुलाई से जीएसटी लागू होने की स्थिति में और भी मुश्किलें बढ़ेंगी।
2016-17 शिक्षा सत्र में बांटी गई ड्रेस का 75 फीसद भुगतान ही हुआ है। लगभग डेढ़ लाख छात्र लाभांवित किए गए थे। कपड़ा-ड्रेस की सिलाई करने वालों का भुगतान भी अभी तक इसलिए लटका हुआ है कि सिर्फ एटा जिला ही है, जहां दूसरा सत्र शुरू होने के बावजूद पहले के अवशेष 25 फीसद ड्रेस का भुगतान विभागीय अड़चनों के कारण नहीं हो पाया है। पिछला भुगतान न होने और नई ड्रेस के लिए निर्देश जारी होते ही शिक्षक पसोपेश में हैं, पूर्व में जहां से ड्रेस के कपड़े- सिलाई की व्यवस्था की गई उनका भुगतान बकाया होने के कारण वह अभी नई ड्रेस की भी व्यवस्था करने में असमर्थतता जता रहे हैं। पूर्व का बकाया ओर नई ड्रेस का भी पैसा कब तक भेजा जाएगा यह स्पष्ट नहीं है। अब तो ड्रेस के लिए कपड़ा और सिलाई की व्यवस्था करने वाले व्यवसायी यह कहकर शिक्षकों को परेशान किए हैं कि यदि जीएसटी लागू होने से पहले उन्हें भुगतान नहीं मिला तो वह पुरानी ड्रेस के बिल व बाउचर नहीं दे पाएंगे। यदि जुलाई से जीएसटी अदा करने पर ही बिल दिए जा सकेंगे। मुसीबत में फंसे कुछ शिक्षकों ने समस्या को देखते हुए अपनी जेब से भुगतान भी कर दिया है, लेकिन इससे समस्या का समाधान होता नजर नहीं आ रहा।
खास बात तो यह है कि सत्र का समापन होने के कारण स्कूल की अन्य मदों में भी पैसा नहीं है। जिससे अवशेष का भुगतान किया जा सके। जहां है, वहां दूसरी मदों से भुगतान को लेकर विभाग चुप्पी साधे हुए है। इस तरह के हालात नई ड्रेस व्यवस्था में आड़े आ रही है। शिक्षक कल्याण समिति के अध्यक्ष राकेश चौहान ने कहा है कि कई बार विभाग को अवगत कराया जा चुका है। यदि ड्रेस की आड़ में विभाग ने शिक्षकों का उत्पीड़न किया तो शिक्षक चुप नहीं बैठेंगे। उधर जिला समन्वयक सामुदायिक शिक्षा मदन राजपूत ने बताया है कि अवशेष भुगतान के प्रयास किए जा रहे हैं। कुछ कारणों से विलंब हुआ, वह बाधाएं दूर की जा रही हैं।

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